वर्ष 2001 का समय था, जब इंटरनेट पर हिन्दी की उपस्थिति नहीं के बराबर थी। हालांकि तब तक विश्व का पहला हिन्दी पोर्टल 'वेबदुनिया' अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका था। उस दौर में मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली ने वेबदुनिया के लिए दोहे लिखे थे। उस समय उनका लगातार प्रकाशन भी हुआ था और वे लंबे समय तक वेबदुनिया से जुड़े रहे। उनके दोहों को दुनियाभर में सराहना भी मिली।
आज से 15 साल पहले के उस दौर में कई नामचीन लेखक और शायरों ने वेबदुनिया पर उपस्थित दर्ज कराई थी, उन्हीं में से निदा फ़ाज़ली साहब भी थे। हालांकि बाद में व्यस्तताओं के चलते उनका वेबदुनिया के लिए लगातार लिखना संभव नहीं हो पाया, लेकिन वेबदुनिया के साथ निदा साहब का जो जुड़ाव था, उसका अहसास वेबदुनिया के कर्मचारियों में आज भी कायम है।
मंगलवार को मुंबई में जब उनके वर्सोवा स्थित अपने ही घर में दिल का दौरा पड़ने के कारण दु:खद निधन हुआ तो देश विदेश के साथ वेबदुनिया से जुड़े यूजर्स के साथ ही साथ कर्मचारी भी गमजदा हो गए और उनकी बेहतरीन शायरी के साथ वेबदुनिया के लिए लिखे दोहे की चर्चा चलती रही।
गौरतलब है कि निदा फ़ाज़ली का जन्म दिल्ली में हुआ था और शिक्षा ग्वालियर में हुई। देश विभाजन के बाद उनके माता पिता पाकिस्तान चले गए थे लेकिन निदा फ़ाज़ली साहब ने पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया था। वे भारत में ही रहे और उन्होंने साहित्य के साथ शायरी में भी एक अलग मुकाम हासिल किया। वेबदुनिया परिवार निदा फ़ाज़ली को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।