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Written By WD

पढ़ि‍ए, निदा फाज़ली की 5 मशहूर नज़्में

पढ़ि‍ए, निदा फाज़ली की 5 मशहूर नज़्में - Nida Fazli / Nida Faazli
कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता
 
बुझा सका है भला कौन वक्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमें धुआं नहीं मिलता
तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो
जहां उमीद हो इसकी वहां नहीं मिलता
 
कहां चिराग जलाएं कहां गुलाब रखें
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकां नहीं मिलता
 
ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं
ज़बां मिली है मगर हमज़बां नहीं मिलता
 
चिराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है
खुद अपने घर में ही घर का निशां नहीं मिलता

बदला न अपने आपको जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से अजनबी रहे
 
अपनी तरह सभी को किसी की तलाश थी
हम जिसके भी करीब रहे दूर ही रहे
 
दुनिया न जीत पाओ तो हारो न खुद को तुम
थोड़ी बहुत तो जेहन में नाराज़गी रहे
 
गुज़रो जो बाग से तो दुआ मांगते चलो
जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे
 
हर वक्त हर मकाम पे हंसना मुहाल है
रोने के वास्ते भी कोई बेकली रहे

सफर में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
 
यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो
 
हर इक सफर को है महफूज रास्तों की तलाश
हिफाज़तों की रवायत बदल सको तो चलो
 
यही है ज़िंदगी, कुछ ख्वाब, चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
 
किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं
तुम अपने आपको खुद ही बदल सको तो चलो

कहीं-कहीं से हर चेहरा तुम जैसा लगता है
तुम को भूल न पाएंगे हम, ऐसा लगता है
 
ऐसा भी इक रंग है जो करता है बातें भी
जो भी इसको पहन ले वो अपना-सा लगता है
 
तुम क्या बिछड़े भूल गए रिश्तों की शराफत हम
जो भी मिलता है कुछ दिन ही अच्छा लगता है
 
अब भी यूं मिलते हैं हमसे फूल चमेली के
जैसे इनसे अपना कोई रिश्ता लगता है
 
और तो सब कुछ ठीक है लेकिन कभी-कभी यूं ही
चलता-फिरता शहर अचानक तन्हा लगता है

बेनाम-सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता
 
सब कुछ तो है क्या ढूंढती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक्त पे घर क्यों नहीं जाता
 
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहां में
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता
 
मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा
जाते हैं जिधर सब, मैं उधर क्यों नहीं जाता
 
वो ख्वाब जो बरसों से न चेहरा, न बदन है
वो ख्वाब हवाओं में बिखर क्यों नहीं जाता