• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. solar storm to hit earth within few hours can damage phone and tv
Written By
Last Modified: सोमवार, 7 मई 2018 (15:53 IST)

आ रहा है सौर तूफान, ठप हो जाएंगे मोबाइल और टीवी

आ रहा है सौर तूफान, ठप हो जाएंगे मोबाइल और टीवी - solar storm to hit earth within few hours can damage phone and tv
वाशिंगटन। नासा द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी का उल्लेख करते हुए अमेरिका के सीबीएस चैनल ने जानकारी दी है कि रविवार को एक और तूफान भड़कने से सूर्य के बाहरी वातावरण से प्लाज्मा का एक हिस्सा अलग हो गया और यह अंतरिक्ष में एक घंटे के भीतर करीब पचास लाख क्षेत्र में फैल गया। अमेरिकी चैनल ने सूर्य से अलग होते प्लाज्मा क्लाउड के कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई-सूर्य के बाहरी भाग से होने वाले बड़े पैमाने पर विस्फोट) की तस्वीरें दिखाईं। अगले 48 घंटों में पृथ्वी से सोलर स्टॉर्म टकरा सकता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक सूर्य में एक कोरोनल होल होगा, जिससे सूरज से भारी मात्रा में ऊर्जा निकलेगी। इस ऊर्जा में कॉस्मिक किरणें भी होंगे, जो धरती पर टेक ब्लैकआउट कर सकते हैं। यानी कि इससे सैटलाइट आधारित सेवाएं जैसे कि मोबाइल सिग्नल, केबल नेटवर्क, जीपीएस नैविगेशन आदि ठप पड़ जाएंग।
 
इन तस्वीरों में सौर तूफान के भड़कने के बाद ली गई तस्वीरों में दिखाया गया है कि इसके बाद सूर्य पर नए सक्रिय क्षेत्रों का निर्माण हुआ है। इस कारण से सूर्य की बाहरी सतह पर बहुत सुंदर दिखने वाले घुमावदार फंदों का निर्माण हुआ है जो कि अत्यधिक गर्म (सुपरहीटेड) प्लाज्मा (तरल पदार्थ) से बने हैं। उल्लेखनीय है कि इनमें बना प्रत्येक फंदा पृथ्वी के आकार से कई गुना बड़ा है। 
 
रविवार रात को आए सौर तूफान को नासा की एक तस्वीर में दर्शाया गया है। विदित हो कि सौर तूफान वास्तव में विकिरण (रेडिएशन) का अचानक होने वाली बौछार है जो कि सूर्य के धब्बों के साथ मिलकर भारी मात्रा में चुंबकीय ऊर्जा फैलाती है। सूर्य के बाहरी आवरण में आने वाला यह तूफान कुछेक मिनटों से लेकर घंटों तक का हो सकता है। इस प्रकार के सौर तूफानों से सूर्य के बाहरी भाग के हिस्सों का बड़े पैमाने पर क्षरण ( ए कोरोनल मास इजेक्शन) प्रति घंटा करोड़ों मील प्रति घंटा की दर से पदार्थ (मैटर) को निष्कासित करता है।
 
नासा का कहना है कि सौर तूफानों या लपटों को देखने के लिए आमतौर पर कलहंस या गहरे हरे-नीले रंग के मेल से बने रंग तरंगदैर्घ्य में दिखाई पड़ते हैं। उल्लेखनीय है कि किसी भी साइन-आकार की तरंग, जितनी दूरी के बाद अपने आप को पुनरावृत करती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य कहते हैं। 'दीर्घ' से 'दैर्घ्य' बना है। तरंगदैर्घ्य, तरंग के समान कला वाले दो क्रमागत बिन्दुओं की दूरी होती है। आमतौर पर परंपरागत रूप से इसी रंग में सौर तूफानों या लपटों को देखा जाता है। 
 
प्रोटोन कणों की वर्षा 
 
एनओएए (नेशनल ओशियानिक एंड एटमॉस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन) का स्पेस वेदर प्रीडिक्शन सेंटर सूर्य के वायुमंडल में होने वाली इस तरह की गतिविधियों के दौरान होने वाले सीएमई का अत्याधुनिक कंम्पोजीशन एक्सप्लोरर (एसीई) अंतरिक्षयान के जरिए सूर्य की तेज हवाओं की गति और हाई-एनर्जी पार्टीकल्स (कणों) को एकत्र करता है। इस तस्वीर पर दर्शाई गई 'स्नो' (बर्फ) यह दर्शाती है कि सौर तूफानों के दौरान प्रोटोन कणों का विस्फोट ऑनबोर्ड सेंसर्स और कैमरा उपकरण को रोकने का काम कर रहा है।
 
ऐसी घटनाओं की जानकारी देने के लिए स्पेस वेदर प्रीडिक्शन सेंटर भविष्यवाणी करता है। सेंटर अपने आंकड़ों की मदद से बतलाता है कि उत्तरी गोलार्द्ध में दिखाई देने वाला अरोरो (रोशनी का गोलार्द्ध) कैसा और कितना दिखाई देगा। रविवार रात को आया सौर तूफान भविष्यवाणी की तुलना में दस घंटे पहले ही आ गया लेकिन जी 1 तूफानों का आकार लगभग सटीक था। इस आशय की भविष्यवाणी बोल्डर, कोलाराडो के स्पेस वेदर प्रीडिक्शन सेंटर ने दी थी। यह तूफान तीव्रता की दृष्टि से सबसे कम प्रभावी जी 1 की श्रेणी का था।
 
स्पेस फोरकास्ट 
 
जैसेकि प्रतिदिन मौसम की भविष्यवाणी की जाती है, ठीक उसी तरह से स्पेस फोरकास्टर्स विभिन्न साधनों, उपकरणों की मदद से पृथ्वी पर सौर गतिविधियों के प्रभाव का आकलन करते हैं। इस जानकारी के मुताबिक इस सौर तूफान से जो अधिकतम सौर विकिरण होगा, उसका सर्वाधिक प्रभाव अमेरिका में सोमवार के पूर्वी समयमान के दौरान होगा। इसके बाद के घंटों में प्लाज्मा के स्तरों में कमी होगी। आज एनओएए के स्पेस वेदर प्रीडिक्शन सेंटर का कहना है कि इसे संभावना दिखाई देती है कि यह सौर तूफान दिसंबर, 2006 के बाद सबसे बड़ा सौर तूफान होगा। 
 
भविष्यवाणी के नक्शे में दिखाया गया है कि पृथ्वी पर सौर विकिरण का प्रभाव कितना होगा। स्पेस वेदर प्रीडिक्शन सेंटर का कहना है कि इसे सूचनाएं मिली हैं कि विमानों को चेतावनी दी गई है कि वे उत्तरी ध्रुव पर उड़ान भरने से बचें और कम ऊंचाई पर भी उड़ानें न भरें।
 
( सीएनबी टीवी अमेरिका) 
 
(नेशनल ज्योग्राफिक डॉट सीओ डॉट यूके)
ये भी पढ़ें
आदमखोर कुत्‍तों का आतंक, ली 12 बच्‍चों की जान