मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. होली
  4. Holi Pujan Vidhi 2018
Written By

कैसे करें होलिका दहन, पढ़ें सरल विधि और खास जानकारी...

कैसे करें होलिका दहन, पढ़ें सरल विधि और खास जानकारी... - Holi Pujan Vidhi 2018
मस्ती में रचा-बसा मजेदार पर्व है होली। इस वर्ष यह 2 मार्च 2018 को मनाया जाएगा अर्थात् 1 मार्च को होलाष्टक समाप्ति के साथ होलिका दहन होगा और 2 मार्च को रंगों के साथ त्योहार मनाया जाएगा। 
 
होली के दिन शाम के समय लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ अलाव जलाकर अग्नि से सुख और शांति की प्रार्थना करते हैं। कुछ जगहों पर होलिका और प्रहलाद का पुतला भी बनाकर आग में रखा जाता है। भक्त इस पवित्र अग्नि में जौ को भूनकर अपने प्रियजनों के बीच बांटते हैं और बदले में कुछ लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि आग में जौ जलाने से सभी तरह की समस्याएं नष्ट हो जाती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। होलिका दहन की यह पूजा उत्तरी भारत में की जाती है। 
 
होलिका दहन के दौरान जौ को आग में भूनने के अलावा लोग आमतौर पर गुझिया, बेसन की सेंव, दही भल्ले और कांजी वड़ा जैसे स्वादिष्ट व्यंजन परोसते हैं। 
 
होली पूजन की विधि
 
होलिका में आग लगाने से पूर्व होलिका में विधिवत पूजन करने की परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार होलिका में आग लगाने से पहले बाकायदा एक पुरोहित मंत्रों का उच्चारण कर इस विधि को पूरा करवाता है। परंपरा के अनुसार इस पूजा को करने के लिए जातक को पूजा करते वक्त पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठाया जाता है। होलिका पूजन करने के लिए गोबर से बनी होलिका और प्रहलाद की प्रतीकात्मक प्रतिमाएं, माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच या सात प्रकार के अनाज, नई गेहूं या अन्य फसलों की बालियां और साथ में एक लोटा जल रखना अनिवार्य होता है। साथ ही मीठे पकवान, मिठाईयां, फल आदि भी चढ़ाए जाते हैं।
 
पूजा सामग्री के साथ होलिका के पास गोबर से बनी ढाल भी रखी जाती है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के समय चार मालाएं अलग से रख ली जाती हैं। इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी श्री हनुमान जी के लिए, तीसरी शीतला माता और चौथी घर परिवार के नाम की रखी जाती है। इसके पश्चात पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करते हुए सूत के धागे को लपेटा जाता है। होलिका की परिक्रमा 3 या 7 बार की जाती है। इसके बाद शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक एक कर होलिका को अर्पित किया जाता है। फिर अग्नि प्रज्वलित करने से पूर्व जल से अर्घ्य दिया जाता है। होलिका दहन के समय मौजूद सभी पुरुषों को रोली का तिलक लगाया जाता है। कहते हैं, होलिका दहन के बाद जली हुई राख को अगले दिन प्रात: काल घर में लाना शुभ रहता है। अनेक स्थानों पर होलिका की भस्म का शरीर पर लेप भी किया जाता है।
 
वही दूसरी तरफ होलिका दहन से पहले महिलाएं एक लोटा जल, चावल, धूपबत्ती, फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल और नारियल से होलिका का पूजन करती हैं। महिलाएं होलिका के चारों ओर कच्चे सूत को सात परिक्रमा करते हुए लपेटती हैं। इसके बाद लोटे का शुद्ध पानी और अन्य पूजन की सभी चीजें एक-एक करके होलिका की पवित्र अग्नि में डालती हैं। कई जगहों पर महिलाएं होलिका दहन के मौके पर गाने भी गाती हैं। होलिका दहन के अगले दिन लोग रंगों से होली खेलते हैं।
 
नारद पुराण के अनुसार होलिका दहन के अगले दिन (रंग वाली होली के दिन) प्रात: काल उठकर आवश्यक नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पितरों और देवताओं के लिए तर्पण-पूजन करना चाहिए। साथ ही सभी दोषों की शांति के लिए होलिका की विभूति की वंदना कर उसे अपने शरीर में लगाना चाहिए। घर के आंगन को गोबर से लीपकर उसमें एक चौकोर मण्डल बनाना चाहिए और उसे रंगीन अक्षतों से अलंकृत कर उसमें पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से आयु की वृद्धि, आरोग्य की प्राप्ति तथा समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। 
ये भी पढ़ें
होलिका दहन : शुभ मुहूर्त में विशेष मंत्रों से करें पूजा, हर मनोरथ होगा पूरा...