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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025 (07:58 IST)

Papankusha Ekadashi 2025: पापाकुंशा एकादशी कब है, जानें पूजन के शुभ मुहूर्त, विधि, महत्व और लाभ

How to observe Papankusha Ekadashi fast
When is Papankusha Ekadashi: पापांकुशा एकादशी हिंदू धर्म की प्रमुख एकादशियों में से एक है, जो आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत, पूजा, दान और श्रीहरि के नाम का जाप करने से जीवन में शुभता और समृद्धि आती है।ALSO READ: दशहरे पर झाड़ू घर लाने से कैसे खुलते हैं सौभाग्य के द्वार
 
वर्ष 2025 में पापांकुशा एकादशी शुक्रवार, 03 अक्टूबर 2025 को रखा जा रहा है। इस बार उदया तिथि के अनुसार 03 अक्टूबर को रखा जाएगा और पारण 04 अक्टूबर को द्वादशी तिथि में किया जाएगा।
 
यहां व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व की जानकारी निम्नलिखित है:
 
पापांकुशा एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
पापांकुशा एकादशी व्रत का दिन: शुक्रवार, 03 अक्टूबर 2025
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 02 अक्टूबर 2025, शाम 07 बजकर 10 मिनट से, 
एकादशी तिथि समाप्त- 03 अक्टूबर 2025, शाम 06 बजकर 32 मिनट पर।
 
व्रत पारण (खोलने) का समय 04 अक्टूबर 2025, सुबह 06 बजकर 16 मिनट से सुबह 08 बजकर 37 मिनट तक
 
पापांकुशा एकादशी का महत्व: पापांकुशा एकादशी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: 'पाप' (अपराध या गलत कार्य) और 'अंकुश' (हाथी को नियंत्रित करने वाला औजार)। इस एकादशी को करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति सद्मार्ग पर चलता है, इसलिए इसे 'पापों पर अंकुश लगाने वाली' एकादशी कहा जाता है।
 
पूजन की विधि:  पापांकुशा एकादशी का व्रत दशमी तिथि (एक दिन पहले) से ही शुरू हो जाता है।
 
1. दशमी के दिन नियम: दशमी तिथि के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें और जौ, मसूर, चना, चावल, उड़द, मूंग आदि अनाजों का सेवन न करें।
 
2. एकादशी के दिन संकल्प: 03 अक्टूबर को एकादशी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें। स्वच्छ (पीले रंग के) वस्त्र धारण करें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें।
 
3. विष्णु पूजा: पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें रोली, अक्षत, पीले फूल, तुलसी दल, धूप, दीप और नैवेद्य (फल, मिष्ठान्न) अर्पित करें।
 
4. मंत्र जाप: भगवान विष्णु के मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
 
5. व्रत कथा: पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें।
 
6. रात्रि जागरण: संभव हो तो रात्रि में जागरण कर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें।
 
7. पारण: अगले दिन यानी द्वादशी तिथि 04 अक्टूबर को पारण के शुभ समय में व्रत खोलें। व्रत खोलने से पहले ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन, अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान अवश्य करें।
 
व्रत के लाभ:
 
* पापों से मुक्ति: मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी संचित या जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं और वह यमलोक के कष्टों से मुक्त हो जाता है।
 
* अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति: शास्त्रों के अनुसार, यह एकादशी व्रत करने वाले को अर्थ (धन, समृद्धि) और मोक्ष (जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति) दोनों प्रदान करती है।
 
* सुख-समृद्धि: इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
 
* दान का महत्व: इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
 
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