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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 9 जनवरी 2024 (19:31 IST)

विश्व हिंदी दिवस 2024 : हिंदी भाषा कितनी प्राचीन है और वह कैसे बनी?

हिन्दी भाषा का जन्म, विकास और विनाश

विश्व हिंदी दिवस 2024 : हिंदी भाषा कितनी प्राचीन है और वह कैसे बनी? - History of hindi language
History of hindi language: भारत की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत और तमिल को माना जाता है। इसके बाद प्राकृत और पाली। इसके बाद हिंदी, पंजाबी, सिंधी आदि भाषाओं का विकास हुआ। प्राकृत और पाली भाषाएं लुप्त हो चली हैं। यदि हम लिपि की बात करें तो ब्राह्मी और देवनागरी लिपि से ही सभी लिपियों का निर्माण हुआ है। जैसे ब्राह्मी लिपि से ही तमिल एवं मलयालम की ग्रंथ और तेलगु एवं कन्नड़ की कदम्ब लिपियां जन्मी हैं। देवनागरी से संस्कृत, हिन्दी, पञ्जाबी, गुजराती, मराठी, डोगरी आदि लिपियों का विकास हुआ है।
हिंदी का जन्म : आज हम जिस भाषा को हिन्दी के रूप में जानते है, वह आधुनिक आर्य भाषाओं में से एक है। संस्कृतकालीन आधारभूत बोलचाल की भाषा परिवर्तित होते-होते 500 ई.पू.के बाद तक काफ़ी बदल गई, जिसे 'पाली' कहा गया। संभवत: यह भाषा ईसा की प्रथम ईस्वी तक रही। पहली ईसवी तक आते-आते पालि भाषा और परिवर्तित हुई, तब इसे 'प्राकृत' की संज्ञा दी गई। इसका काल पहली ई.से 500 ई. तक है। इन्हीं से हिंदी का जन्म हुआ। 
 
हिंदी का विकास : पाली की विभाषाओं के रूप में प्राकृत भाषाएं- पश्चिमी,पूर्वी ,पश्चिमोत्तरी तथा मध्य देशी, अब साहित्यिक भाषाओं के रूप में स्वीकृत हो चुकी थी। जिन्हें मागधी (बिहारी, बंगला, उड़िया, असमिया), शौरसेनी (पश्चिमी हिन्दी, राजस्थानी, मालवी, निमाड़ी, पहाड़ी, गुजराती), महाराष्ट्री (मराठी), पैशाची (लहंदा,पंजाबी), ब्राचड (सिन्धी) तथा अर्धमागधी (पूर्वी हिन्दी) भी कहा जा सकता है। आगे चलकर, प्राकृत भाषाओं के क्षेत्रीय रूपों से अपभ्रंश भाषाएं प्रतिष्ठित हुई। इनका समय 500 ई.से 1000 ई.तक माना जाता है।
अपभ्रंश भाषा साहित्य के मुख्यत: 2 रूप मिलते हैं- पश्चिमी और पूर्वी। अनुमानत: 1000 ईस्वी के आसपास अपभ्रंश के विभिन्न क्षेत्रीय रूपों से आधुनिक आर्य भाषाओं का जन्म हुआ। अपभ्रंश से ही हिन्दी भाषा का जन्म हुआ। किंतु उसमें हिंदी साहित्य रचना का कार्य 1150 ईस्वी के आसपास आरंभ होने की बात कहीं जाती है।
 
विनाश : हिंदी में प्रारंभ में अधिकतम शब्द भारतीय भाषाओं के ही हुआ करते थे। इसमें भी संस्कृत के शब्द ज्यादा होते थे परंतु मुगल काल में इसमें फारसी और अरबी के शब्दों के साथ ही और भी कई भाषाओं के शब्दों का समावेश हुआ और तब हिंदी के हजारों शब्द प्रचलन से बाहर हो गए। उर्दू के विकास के दौरान में हिंदी और उर्दू एक जैसी भाषा हो गई। इसके बाद जब अंग्रेजों का काल आया तब बोलचाल और लेखन में हिंदी के साथ ही अंग्रेजी शब्दों का चलन बढ़ गया और इस तरह हिंदी अपने विनाश की राह पर चल पड़ी।
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