शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. वसंत पंचमी
  4. Hindi basant poem

वसंत पंचमी पर कविता : महकै लाग बा उपवन फिर से...

वसंत पंचमी पर कविता : महकै लाग बा उपवन फिर से... - Hindi basant poem
-शम्भू नाथ कैलाशी
 
महकै लाग बा उपवन फिर से,
चहकै लाग बा माली।
मधुमास आगमन सुन के अब तो,
हंसय लाग बा क्यारी।
 
मुस्काय कली जब करय ठिठोली, 
हीलय लागय डाली।
व्याकुल भ्रमर रस चूस सकय न, 
करबय हमहू रखवाली।
 
कोयल पतझड़ भांप रही है,
बोलेगी बोली प्यारी। 
यौवन से सज-धज-कर घर में,
आवयगी घरवाली। 
 
पेड़ से जब-जब गिरेंगे पत्ते,
धरा बजाय ताली।
कुछ दिन में जो घने हैं जंगल,
लगेंगे खाली-खाली।
 
उड़ेगी खुशबू जब फूलों से,
फलों की आएगी बारी।
केसू खिलेंगे अब वन-उपवन,
छाएगी लाली-लाली। 
ये भी पढ़ें
वसंत पर कविता : पीत अमलतास