शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Written By WD

ग़ालिब के रोचक किस्से : हमने भी दाबे तुमने भी दाबे

ग़ालिब के रोचक किस्से : हमने भी दाबे तुमने भी दाबे - Mirza Ghalib
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गालिब के खास शागिर्द और दोस्त अक्सर शाम के वक़्त उनके पास जाते थे और मिर्ज़ा सुरूर के आलम में बहुत पुरलुत्फ बातें किया करते थे-

एक रोज़ मीर मेहदी मजरूह बैठे थे और मिर्ज़ा पलंग पर लेटॆ कराह रहे थे- मीर मेहदी पाँव दाबने लगे- ' मिर्ज़ा ने कहा

'भई तू सय्यद ज़ादा है मुझे क्यूं गुनहगार करता है 'वोह नहीं माने और कहा' आपको ऎसा ही ख्याल है तो पैर दाबने की उजरत दे दीजिएगा' हां इसका मुज़ायक़ा नहीं- जब वो पैर दाब चुके तो उजरत तलब की- मिर्ज़ा ने कहा' भैया कैसी उजरत?

तुमने हमारे पांव दाबे, हमने तुम्हारे पैसे दाबे। हमने भी दाबे तुमने भी दाबे...