शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. सनातन धर्म
  3. आलेख
  4. Signs of Death
Written By

ये लक्षण दिखें तो समझ जाएं, मृत्यु है निकट...

ये लक्षण दिखें तो समझ जाएं, मृत्यु है निकट... - Signs of Death
कुछ लोग मौत को जीवन का सबसे बड़ा सत्य मानते हैं, लेकिन हिन्दू दर्शन अनुसार यह सबसे बड़ा झूठ या भ्रम है। मौत से सभी डरते हैं ऐसा मानना गलत है। दरअसल लोगों को यह गहराई से अहसास ही नहीं है कि हम भी कभी न कभी मरेंगे। 
जब लोग किसी के दाह या दफन संस्कार में शामिल होकर शमशान या कब्रिस्तान जाते हैं तभी उन्हें थोड़ा बहुत अहसास होता है कि हम भी लाइन में खड़े हैं। हालांकि बहुत से लोगों को, तो तब अहसास होता है जब वे अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे होते हैं। शरीर के प्रति लापरवाह लोगों को आप कितना ही समझाएं वे जब मौत निकट आती है तब पछताते हैं। आओ हम आपको बताते हैं कि आपकी मौत कब आपके दरवाजे पर दस्तक दे सकती है।
 
मृत्यु कैसी भी हो काल या अकाल, उसकी प्रक्रिया छह माह पूर्व ही शुरू हो जाती है। छह माह पहले ही मृत्यु को टाला जा सकता है, अंतिम तीन दिन पूर्व सिर्फ देवता या मनुष्य के पुण्य ही मृत्यु को टाल सकते हैं। यह याद रखना चाहिए कि मौत का अहसास व्यक्ति को छह माह पूर्व ही हो जाता है। विकसित होने में 9 माह, लेकिन मिटने में 6 माह। 3 माह कम।
 
अगले पन्ने पर पहला लक्षण...
 

ज्योतिष शास्त्र में मनुष्य शरीर के सात चक्र बताए गए हैं। पहला चक्र है मूलाधार चक्र जो लिंग के नीचे रीढ़ मू में है, दूसरा स्वाधिस्ठान चक्र जो लिंक से चार अंगुल उपर है, तीसरा मणिपुर चक्र जो नाभि में स्थित है, चौथा अनाहत चक्र जो हृदय में स्थित है, पांचवा विशुद्ध चक्र जो कंठ में स्थित है, छठा आज्ञा चक्र जो भृकुटी में स्थित है और सातवां चक्र है सहस्रसार चक्र जो सिर के चोटी वाले स्थान पर स्थित है।
पुराणों में वर्णित है कि मृत्यु की आहट सबसे पहले मस्तिष्क में नहीं बल्कि नाभि में होती है। यानी पहली आहट नाभि चक्र पर महसूस की जा सकती है। मृत्यु आने के सबसे पहले पता नाभि चक्र से जाना जा सकता है। यह नाभि चक्र एक दिन में नहीं टूटता है, इसके टूटने की क्रिया लंबे समय तक जारी रहती है और जैसे-जैसे चक्र टूटता जाता है मृत्यु के करीब आने के दूसरे कई लक्षण महसूस होने लगते हैं।
 
अगले पन्ने पर जारी दूसरे लक्षण...
 

समुद्रशास्त्र में उल्लेखित है कि जब मृत्यु आती है, तो हथेली में मौजूद रेखाएं अस्पष्ट और इतनी हल्की दिखाई देने लगती हैं, कि उसे देख पाना मुश्किल होता है।
 
अगले पन्ने पर तीसरा लक्षण...
 

जिस व्यक्ति की मृत्यु हो रही है उसको अपने आस-पास कुछ सायों के मौजूद होने का अहसास होता रहता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने पूर्वज और कई मृत व्यक्ति नजर आते रहते हैं। स्वप्नशास्त्र वर्णित है कि सपने कई बार भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत देते हैं जैसे कि उसे अशुभ स्वप्न आने लगते हैं।
 
अगले पन्ने पर चौथा लक्षण...
 

गरूड़ पुराण उल्लेखित है कि जब बिल्कुल मौत करीब आती है तो व्यक्ति को अपने करीब बैठा इंसान भी नजर नहीं आता है। ऐसे समय में व्यक्ति के यम के दूत नजर आने लगते हैं और व्यक्ति उन्हें देखकर डरता है। इसीलिए जब तक जीवन चक्र चलता रहता है तब तक सांसें सीधी चलती है। लेकिन जब किसी व्यक्ति की मृत्यु करीब आ जाती है तो उसकी सांसें उल्टी चलने लगती है। 
 
अगले पन्ने पर पांचवां लक्षण...
 

*जब किसी नशा, रोग, अत्यधिक चिंता, अत्यधिक कार्य से भीतर के सभी स्नायु, नाड़ियां आदि कमजोर हो जाते हैं। यह उसी तरह है कि हम किसी इमारत के सबसे नीचे की मंजिल को खोद दें। ऐसे व्यक्ति की आंखों के सामने बार-बार अंधेरा छा जाता है। उठते समय, बैठते समय या सफर करते समय अचानक आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। यदि यह लक्षण दो-तीन सप्ताह तक बना रहे तो तुरंत ही योग, आयुर्वेद और ध्यान की शरण में जाना चाहिए या किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें।
 
* माना यह भी जाता है कि इस अंधेरा छा जाने वाले रोग के कारण उस चांद में भी दरार जैसा नजर आता है। यह उस लगता है कि चांद दो टुकड़ों में है, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता।
 
* जिन लोगों की मृत्यु एक माह शेष रहती है वे अपनी छाया को भी स्वयं से अलग देखने लगते हैं। कुछ लोगों को तो अपनी छाया का सिर भी दिखाई नहीं देता है। 
 
अगले पन्ने पर छठा लक्षण...
 

* आयुर्वेदानुसार मृत्यु से पहले मानव शरीर से अजीब-सी गंध आने लगती है। इसे मृत्यु गंध कहा जाता है। यह किसी रोगादि, हृदयाघात, मस्तिष्काघात आदि के कारण उत्पन्न होती है। यह गंध किसी मुर्दे की गंध की तरह ही होती है। बहुत समय तक किसी अंदरुनी रोग को टालते रहने का परिणाम यह होता है कि भीतर से शरीर लगभग मर चुका होता है।
 
अगले पन्ने पर सातवां लक्षण...
 

* आंखों की कमजोरी से संबंधित ही एक लक्षण यह भी है कि व्यक्ति को दर्पण में अपना चेहरा न दिखकर किसी और का चेहरा होने का भ्रम होने लगता है।
 
* जब कोई व्यक्ति चंद्र, सूर्य या आग से उत्पन्न होने वाली रोशनी को भी नहीं देख पाता है तो ऐसा इंसान भी कुछ माह और जीवित रहेगा, ऐसी संभावनाएं रहती हैं। 
 
* जब कोई व्यक्ति पानी में, तेल में, दर्पण में अपनी परछाई न देख पाए या परछाई विकृत दिखाई देने लगे तो ऐसा इंसान मात्र छह माह का जीवन और जीता है। 
 
अगले पन्ने पर आठवां लक्षण...
 

श्वास लेने और छोड़ने की गति भी तय करती है मनुष्य का जीवन। प्राणायाम करते रहने से सभी तरह के रोगों से बचा जा सकता है।
 
*जिस व्यक्ति का श्वास अत्यंत लघु चल रहा हो तथा उसे कैसे भी शांति न मिल रही हो तो उसका बचना मुश्किल है। नासिका के स्वर अव्यवस्थित हो जाने का लक्षण अमूमन मृत्यु के 2-3 दिनों पूर्व प्रकट होता है।
 
*कहते हैं कि जो व्यक्ति की सिर्फ दाहिनी नासिका से ही एक दिन और रात निरंतर श्वास ले रहा है (सर्दी-जुकाम को छोड़कर) तो यह किसी गंभीर रोग के घर करने की सूचना है। यदि इस पर वह ध्यान नहीं देता है तो तीन वर्ष में उसकी मौत तय है।
 
*जिसकी दक्षिण श्वास लगातार दो-तीन दिन चलती रहे तो ऐसे व्यक्ति को संसार में एक वर्ष का मेहमान मानना चाहिए। यदि दोनों नासिका छिद्र 10 दिन तक निरंतर ऊर्ध्व श्‍वास के साथ चलते रहें तो मनुष्य तीन दिन तक ही जीवित रहता है। यदि श्‍वास वायु नासिका के दोनों छिद्रों को छोड़कर मुख से चलने लगे तो दो दिन के पहले ही उसकी मृत्यु जानना चाहिए। 
 
अगले पन्ने पर नौवां लक्षण...
 

*जिसके मल, मूत्र और वीर्य एवं छींक एकसाथ ही गिरते हैं उसकी आयु केवल एक वर्ष ही शेष है, ऐसा समझना चाहिए। 
 
*जिसके वीर्य, नख और नेत्रों का कोना यह सब यदि नीले या काले रंग के हो जाएं तो मनुष्य का जीवन छह से एक वर्ष के बीच समाप्त हो जाता है।
 
*जब किसी व्यक्ति का शरीर अचानक पीला या सफेद पड़ जाए और ऊपर से कुछ लाल दिखाई देने लगे तो समझ लेना चाहिए कि उस इंसान की मृत्यु छह माह में होने वाली है।
 
*जो व्यक्ति अकस्मात ही नीले-पीले आदि रंगों को तथा कड़वे-खट्टे आदि रसों को विपरीत रूप में देखने-चखने का अनुभव करने लगता हैं वह छह माह में ही मौत के मुंह में समा जाएगा।
 
* जब किसी व्यक्ति का मुंह, जीभ, कान, आंखें, नाक स्तब्ध हो जाएं यानी पथरा जाए तो ऐसे माना जाता है कि ऐसे इंसान की मौत का समय भी लगभग छह माह बाद आने वाला है।
 
* जिस इंसान की जीभ अचानक से फूल जाए, दांतों से मवाद निकलने लगे और सेहत बहुत ज्यादा खराब होने लगे तो मान लीजिए कि उस व्यक्ति का जीवन मात्र छह माह शेष है।
 
* यदि रोगी के उदर पर सांवली, तांबे के रंग की, लाल, नीली, हल्दी के तरह की रेखाएं उभर जाएं तो रोगी का जीवन खतरे में है, ऐसा बताया गया है।
 
* यदि व्यक्ति अपने केश एवं रोम को पकड़कर खींचे और वे उखड़ जाएं तथा उसे वेदना न हो तो रोगी की आयु पूर्ण हो गई है, ऐसा मानना चाहिए।
 
अगले पन्ने पर दसवां लक्षण...
 

* हाथ से कान बंद करने पर किसी भी प्रकार की आवाज सुनाई न दे और अचानक ही मोटा शरीर दुबला और दुबला शरीर मोटा हो जाए तो एक माह में मृत्यु हो जाती है। सामान्य तौर पर व्यक्ति जब आप अपने कान पर हाथ रखते हैं तो उन्हें कुछ आवाज सुनाई देती है लेकिन जिस व्यक्ति का अंत समय निकट होता है उसे किसी भी प्रकार की आवाजें सुनाई देनी बंद हो जाती हैं।
 
*मौत के ठीक तीन-चार दिन पहले से ही व्यक्ति को हर समय ऐसा लगता है कि उसके आसपास कोई है। उसे अपने साथ किसी साए के रहने का आभास होता रहता है। यह भी हो सकता है कि व्यक्ति को अपने मृत पूर्वजों के साथ रहने का अहसास होता हो। यह अहसास ही मौत की सूचना है।
 
*समय बीतने के साथ अगर कोई व्यक्ति अपनी नाक की नोक देखने में असमर्थ हो जाता है तो इसका अर्थ यही है कि जल्द ही उसकी मृत्यु होने वाली है, क्‍योंकि उसकी आंखें धीरे-धीरे ऊपर की ओर मुड़ने लगती हैं और मृत्‍यु के समय आंखें पूरी तरह ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।
 
* यदि किसी व्यक्ति को नीले रंग की मक्खियां घेरने लगे और अधिकांश समय ये मक्खियां व्यक्ति के आसपास ही रहने लगें तो समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति की आयु मात्र एक माह शेष है।
 
*प्रतिदिन कोई कुत्ता घर से निकलने के बाद आपके पीछे चलने लगे और ऐसा तीन-चार दिन तक लगातार हो तो आपको सतर्क होने की जरूरत है।
 
* यदि बायां हाथ लगातार एक सप्ताह तक अकारण ही फड़कता रहे, तो समझना चाहिए कि मृत्यु किसी भी कारण से निकट है।