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क्या सचमुच शिव ही हैं प्रथम पैगंबर?, जानिए सच...

क्या सचमुच शिव ही हैं प्रथम पैगंबर?, जानिए सच... - Lord Shiva was the first prophet of Islam?
प्रस्तुति : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

हिन्दू देवी-देवताओं में महादेव शिव शंकर का सर्वोच्च स्थान है। हिन्दुओं की शिव में अगाथ श्रद्धा है। भगवान शिव की आराधना के पर्व शिवरात्रि के ठीक एक दिन बाद जमीयत उलेमा के एक सदस्य मुफ्ती मोहम्मद इलियास ने भगवान शिव को मुसलमानों का प्रथम पैगंबर बताकर विवाद खड़ा कर दिया है।


मुफ्ती मोहम्मद इलियास ने ये बयान अयोध्या में दिया जहां वो संतों को कौमी एकता सम्मेलन का न्योता देने गए थे। ये कौमी एकता सम्मेलन वो पड़ोस के बलरामपुर जिले में आयोजित कर रहे हैं। धार्मिक भेदभाव खत्म करने के मिशन पर लगे मुफ्ती तो यहां तक कह गए कि शंकर और पार्वती ही मुसलमानों के भी मां बाप हैं।

मुफ्ती का ये भी कहना था कि मुस्लिम हिंदू राष्ट्र के विरोधी नहीं हैं। हिंदुस्तान में रहने वाला हर शख्स हिंदू है। ये हमारा मुल्की नाम है। जब हमारे मां-बाप, खून और मुल्क एक है तो इस लिहाज से हमारा धर्म भी एक है।

मुफ्ती साहब ने कहा कि हमारे धर्म (इस्लाम) की शुरुआत यहीं हिन्दुस्तान से हुई है। शंकरजी लंगा में आए थे। यह हमारे धर्म के सबसे पहले प्रॉफेट हैं। यह मुल्क हमारा जन्मभूमि भी है और धर्मभूमि भी।

मोहम्मद इलियास ने कहा कि हमे यह मानने में कोई गुरेज नहीं है कि भगवान शंकर हमारे पहले पैगंबर हैं। मौलाना ने कहा कि मुसलमान भी सनातन धर्मी हैं और हिंदुओं के देवता शंकर और पार्वती हमारे भी मां-बाप हैं। मुफ्ती ने कहा कि शंकर-पार्वती हमारे मां बाप हैं, चाहे आप उनको शंकर कहिए, आदम कहिये ये मनु कहिये। ये वास्तविकता है।

मुफ्ती मोहम्मद इलियास के इस बयान से कई लोग ऐ‍तराज रखते हैं। शंकराचार्यजी ने इस बयान को अप्रमाणिक करार दिया है तो विश्‍व हिन्दू परिषद ने इसका समर्थन किया है। दूसरी ओर कई मुस्लिम संगठन इसे सियासी बयान मान रहे हैं। अगले पन्नों पर हम जानेंगे कि मुफ्ती साहब की बात में कितना दम है...और यह कि हिन्दू उनकी बात का विरोध क्यों कर रहे हैं।

अगले पन्ने पर जारी...

मनु : मनु एक विशेषण और पद है। यह किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं। भाषविदों अनुसार सभी भाषाओं के मनुष्य-वाची शब्द मैन, मनुज, मानव आदि सभी मनु शब्द से प्रभावित है।

हिन्दुओं में अभी तक 7 मनु हुए हैं और 7 होना अभी बाकी है। सातवें मनु वैवस्वत थे। सातवें मनु वैवस्वत को ही कई हिन्दू और मुसलमान हजरत नूह मानते हैं, क्योंकि दोनों की कहानी लगभग समान है। नूह ही यहूदी, ईसाई और इस्लाम के पैगंबर हैं। इस पर शोध भी हुए हैं। मनुओं को ही मनुष्यों की जातियों का निर्माण और विस्तार का श्रेय जाता है।

धरती का पहला मानव कौन था?

स्वायम्भुव मनु : पहले मनु का नाम था स्वायम्भुव। कुछ विद्वानों का मानना है कि मनु और शतरूपा ही आदम और हव्वा थे, लेकिन यह अभी शोध का विषय है।

हिन्दु धर्म अनुसार स्वायम्भुव मनु को ही धरती का पहला मानव माना जाता है, भगवान शंकर को नहीं। लेकिन पुराण कहते हैं कि प्रजापत्य कल्प में ब्रह्मा ने रुद्र रूप को ही स्वयंभु मनु और स्त्री रूप में शतरूपा को प्रकट किया। रुद्र का एक रूप तो शंकर भी है। शंकर तो स्वायंभुव मनु के पहले हुए और महाभारत काल तक वह विद्‍यमान थे। भगवान शंकर की गणना मानव नहीं देवताओं होती है। तब यह कैसे मान लें कि शंकर ही स्वायम्भुव मनु थे और स्वायम्भुव मनु ही आदम?

* बाइबिल में उल्लेखित है कि ह. आदम के दो पुत्र कैन और हाबिल थे। कैन बुरा और हाबिल अच्छा। हाबिल गड़ेरिया बना। कैन किसान बना। कैन ने जब हाबिल को मार डाला तब कैन नोद देश में रहने लगा। बाबा आदमी और हव्वा को एक तीसरा पुत्र हुआ जिसका नाम उन्होंने शेत रखा। आदम के अन्य पुत्र और पुत्रियां भी हुए और ह. आदम नौ सौ 30 वर्ष तक जीवित रहकर मरे।

* स्वायम्भुव मनु एवं शतरूपा के कुल पांच सन्तानें थीं जिनमें से दो पुत्र प्रियव्रत एवं उत्तानपाद तथा तीन कन्याएं आकूति, देवहूति और प्रसूति थे। स्वायम्भुव मनु के पुत्रों में किसी प्रकार की कोई स्पर्धा नहीं थी। राजा प्रियव्रत के ज्येष्ठ पुत्र आग्नीध्र जम्बूद्वीप के अधिपति हुए।

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आदम : आदम शब्द की उत्पत्ति 'आदि' शब्द से हुई है। आदम से ही आदमी शब्द बना। भगवान शंकर को आदि भी कहा जाता है। आदि का अर्थ होता है प्रारंभ। शैव और नाथपंथ के साधु मिलते वक्त आदिश कहते हैं। यह आदिश ही आगे चलकर आदेश हो गया।

आदम के पुत्र : जैसा कि बाइबिल में उल्लेखित है कि आदम के दो पुत्र कैन और हाबिल थे। कैन बुरा और हाबिल अच्छा। कैन ने जब हाबिल को मार डाला तब कैन नोद देश में रहने लगा। बाबा आदमी और हव्वा को एक तीसरा पुत्र हुआ जिसका नाम उन्होंने शेत रखा।

शिव के पुत्रों के जन्म की कथा जानिए

शिव के पुत्र : शिव का पहला विवाह राजा दक्ष की पुत्री सती से हुआ था जो आग में कूद कर भस्म हो गई थी। उनका दूसरा विवाह पर्वतराज हिमालय की पुत्री उमा से हुआ जिन्हें पार्वती कहा जाता है। पार्वती से उनको एक पुत्र मिला।

प्रमुख रूप से शिव के दो पुत्र थे, गणेश और कार्तिकेय। गणेशजी की उत्पत्ति कैसे हुई यह सभी जानते हैं। यह शिव और पर्वती के मिलन से नहीं जन्में। शिव के दूसरे पुत्र कार्तिकेय का जन्म शिव-पार्वती मिलन से हुआ। शिव का एक तीसरा पुत्र था जिसका नाम विद्युत्केश था। विद्युत्केश अनाथ बालक था जिसे शिव और पार्वती ने पालपोस कर बड़ा किया था। इसका नाम उन्होंने सुकेश रखा था। शिवजी का एक चौथा पुत्र था जिसका नाम था जलंधर। भगवान शिव ने अपना तेज समुद्र में फेंक दिया इससे जलंधर उत्पन्न हुआ। जलंधर शिव का सबसे बड़ा दुश्मन बना। इस तरह शिव के और भी कई पुत्र थे। जैसे अंधक, सास्तव, भूमा और खुजा। शिव की कथा और आदम की कथा में जरा भी मेल नहीं है। हालांकि फिर भी यह शोध का विषय हो सकता है।

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श्रीलंका का एडम पीक : कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि ईडन गार्डन श्रीलंका में था। श्रीलंका आज जैसा द्वीप नजर आता है यह पहले ऐसा नहीं था। यह इंडोनेशिया, जावा, सुमात्रा और भारत से जुड़ा हुआ था। कई मुसलमान (खासकर श्रीलंका के मुसलमा) मानते हैं कि श्रीलंका में रहते थे बाबा आदम और उनकी पत्नी हव्वा।

शोधकर्ता मानते हैं कि हजरत आदम जब आसमान की जन्नत (ईडन उद्यान) से निकाले गए तो सबसे पहले 'हिंदुस्तान की जमीं' पर ही उतारे गए, जहां उन्होंने सबसे पहले कदम रखे उसे आदम चोटी कहते हैं। ह.आदम अलै. का 'तनूर' हिंद में था।

शिव और पार्वती भी कैलाश पर्वत से श्रीलंका रहने चले गए थे जहां कुबेर ने उन्हें सोने की लंका बनवाकर दी थी। श्रीलंका में एक आदम चोटी है। इस चोटी पर भगवान शंकर के पांवों के निशान हैं। इसका प्राचीन नाम सारान्दीप पर्वत है जिसे 'एडम पीक' भी कहते हैं। यह श्रीलंका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह पर्वत 2,243 मीटर ऊंचा और रत्नपुरा से 18 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है। इस पर्वत का शंक्वाकार शिखर 22/7 मीटर आयताकार आधार में समाप्त होता है, जिस पर मानव पांव के निशान से मिलता-जुलता एक विशाल गड्ढा है।

प्राचीन हिंदू मान्यता अनुसार यह गड्ढा भगवान शिव का पदचिह्न है जबकि मुसलमान और ईसाई इसे आदम के पैर के निशान मानते हैं। दूसरी ओर बौद्ध इसे बुद्ध के पैर का निशान कहते हैं।

अगले पन्ने पर कैसे बना पर्वत पर अंगुठेनुमा गड्ढा...
रामायण में एक प्रसंग आता है कि एक बार रावण जब अपने पुष्पक विमान से यात्रा कर रहा था तो रास्ते में एक वनक्षेत्र से गुजर रहा था। उस क्षेत्र के पहाड़ पर शिवजी ध्यानमग्न बैठे थे। शिव के गण नंदी ने रावण को रोकते हुए कहा कि इधर से गुजरना सभी के लिए निषिद्ध कर दिया गया है, क्योंकि भगवान तप में मगन हैं।

रावण को यह सुनकर क्रोध उत्पन्न हुआ। उसने अपना विमान नीचे उतारकर नंदी के समक्ष खड़े होकर नंदी का अपमान किया और फिर जिस पर्वत पर शिव विराजमान थे उसे उठाने लगा। यह देख शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबा दिया जिस कारण रावण का हाथ भी दब गया और फिर वह शिव से प्रार्थना करने लगा कि मुझे मुक्त कर दें। इस घटना के बाद वह शिव का भक्त बन गया।

क्या यह वही पहाड़ है और क्या शिव के पैरों के दबाव के कारण यह विशालकाय गड्ढा बन गया? हालांकि कुछ लोग इसे रावण के पैरों के निशान मानते हैं।

श्रीलंका में आदम पुल भी है। रामसेतु को भी एडम्स ब्रिज कहा जाता है। मान्यता है कि बाबा आदम इसी पुल से होकर भारत, ‍अफ्रीका और फिर अरब चले गए थे।

अंत में जानिए हिन्दू और मुसलमान एक कैसे...
संसार भर में गोरे, पीले, लाल और श्याम (काले) ये चार रंगो के लोग विभिन्न क्षेत्रों में पाए जाते हैं । एक भारत ही ऐसा देश है, जहां, इन चार रंगों का भरपूर मिश्रण एक साथ देखने को मिलता है। इसके कारण कई विद्वान कहते हैं कि भारतीय मानव जाति उर्पयुक्त चारों जातियों की वर्ण संकरता से उत्पन्न हुई, जबकि उनका यह दावा जीनोम तकनीक के चलते अब गलत सिद्ध हो गया है।

ब्राह्मणों से मिलते हैं मुसलमानों के जीन...

ययाति कौन थे, जानिए...

वस्तुतः श्वेत-काकेशस, पीले-मंगोलियन, काले-नीग्रो तथा लाल रेड इंडियन इन चार प्रकार के रंगविभाजनों के बाद पांचवी मूल एवं मुख्य नस्ल है, जो भारतीय कहलाती है। इस जाति में उर्पयुक्त चारों का सम्मिश्रण है। ऐसा कहीं सिद्ध नहीं होता कि भारतीय मानव जाति उर्पयुक्त चारों जातियों की वर्ण संकरता से उत्पन्न हुई। उलटे नृतत्व विज्ञानी यह कहते हैं कि भारतीय सम्मिश्रण वर्ण ही यहां से विस्तरित होकर दीर्घकाल में जलवायु आदि के भेद से चार मुख्य रूप लेता चला गया।

भारत में रहने वाले सभी भारतीयों के पूर्वज एक ही है। शोधानुसार कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले मानव समुह के पूर्वज ययाति के पांच पुत्रों के समूह है। ययाति के प्रमुख 5 पुत्र थे- 1.पुरु, 2.यदु, 3.तुर्वस, 4.अनु और 5.द्रुहु। इन्हें वेदों में पंचनंद कहा गया है। हिन्दुकुश से लेकर अरुणाचल तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक संपूर्ण अखंड भारत में रहने वाले हम सब भारतीय इन्हीं पांचों को संतानें है और इससे पूर्व हमारे पूर्जव थे ब्रह्मा के ऋषि कश्यप, अत्रि, भार्गव आदि प्रजा‍पतियों की हम संतानें हैं।