शनिवार, 27 अप्रैल 2024
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कौन कहता है हमें आजादी नहीं है.... जरूर पढ़ें

कौन कहता है हमें आजादी नहीं है.... जरूर पढ़ें - republic day in hindi
हमने सफेद कुर्ता-पजामा पहना, झंडे बांटे, चलती सड़क पर मंच लगाए। देशभक्ति के गाने जोर-शोर से भोंगे लगाकर देशभक्ति का इजहार किया। कतारबद्ध स्कूली बच्चों ने रैली निकाली। 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन पूरे शहर में गाने बजे- मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती, मेरे देश की धरती। सचमुच  हम आजाद हुए थे।

अब फिर वही रात ग्यारह बजे से दुकान बंद न करने पर डंडे पड़ेंगे। दस बजे के बाद आप पार्टी में डिस्को नहीं बजा सकते। सराफे में जाकर चाट-पकोड़े नहीं खा सकते। छप्पन दुकान पर चहल-कदमी नहीं कर सकते। रात की ट्रेन से अपने घर आने वाले यात्रियों को डरते हुए घर आना पड़ेगा।
 
कौन कहता है हमें आजादी नहीं है 
 
हमें आजादी है- पतिव्रता का मंगलसूत्र छीनने की, किसी वृद्धा को धोखा देने की, तेज गाड़ी गड्ढों में चलाकर दूसरों पर कीचड़ उछालने की। हमें आजादी है- खुले चाकू, कट्टे, बंदूक हवा में लहराने की। बैंक लूटने की। हमें आजादी है- बिना परमिशन के रैली निकालने की। बिजली के खुले तारों में हेकड़ी डालकर कनेक्शन लेने की। हमें आजादी है- किसी कंपनी के पेड होर्डिंग पर जबरन अपने जन्मदिन का फ्लेक्स लगाने की। पक्की सड़क पर सब्जियों के ठेले लगाने की, गाड़ी खड़ी कराई की। कार्यक्रमों में जबरन चंदा वसूलने की। हमें आजादी है- डंडा दिखाकर बिना रसीद के चालान बनाने की। हमें आजादी है- घासलेटी ऑटो रिक्शा चलाने की। टाटा मैजिक में ठूंस-ठूंसकर भरने की। हमें आजादी है- नकली घी, नकली मावा, नकली मिठाइयाँ बनाने की, दूध में ज्यादा पानी मिलाने की।
 
हमें आजादी है हर वर्ष स्कूल में मनमानी फीस बढ़ाने की। हमें आजादी है- बेसहारा, गरीब, निशक्त एवं बेरोजगारों को ठगने की। मासूम बच्चियों से कुकृत्य करने की। हमें आजादी है- चुनाव के वक्त वोट के लिए ढेरों शुभारंभ के नारियल फोड़ने की। झूठे वादे करने की। पेंशन घोटालों की। वृद्धाओं की पेंशन खाने की, जमीन हड़पने की, रिश्वत लेने की, दूसरों के हक का पैसा खाने की। हमें आजादी है- अपनी कार की नंबर प्लेट पर भूतपूर्व मंत्री लिखकर रौब दिखाने की। हमें आजादी है- नकली दवाइयां बनाने की, बिना रसीद के एक्सरे निकालने की, टैक्स चुराने की। हमें आजादी है- 20 रुपए में कोर्ट की तारीख बढ़ाने की। मिल मजदूरों को न्याय नहीं दिलाने की। बेतहाशा महंगाई बढ़ाने की।
 
मैने भी आजादी और गणतंत्र का जश्न मनाया, किसी के भेजे हुए देशप्रेम के बधाई संदेशों को भेजने की बजाए, गरीब बच्चों को संतरे वाली चॉकलेट बांटी। जिन्होंने रोड पर मंच लगाए थे- उनके नाश्ते में खाए हुए पोहे-जलेबी के दोने-पत्तल का कचरा एवं स्टेज हटने के बाद, स्वागत के लिए लाए गए फूलों को निगम को फोन लगवाकर हटवाया। मैंने सिर्फ गलती से रोड पर गिरे हुए झंडों को उठाकर अपने झोले में डाला। राष्ट्रीय पर्व की बधाई ... 
 
जयहिन्द...जय भारत