प्रार्थना क्या है, क्यों करें प्रार्थना?
प्रार्थना करने के फायदे
हमें अपने अनुभवों को बांटने का मौका देती हैं प्रार्थना। प्रार्थना हमारे आंतरिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि प्रार्थना हमारे महत्वपूर्ण वैयक्तिक बदलाव का बुनियादी केंद्र होती है। जब हम प्रार्थना करते हैं तो स्वीकार करते हैं कि कोई तो है, जो हम सबको रोशन किए हुए है। कोई तो है जिसके पास इस समूचे ब्रह्माण्ड का बटन है। * जब हम प्रार्थना करते हैं तो अपने अहम का दमन करते हैं। * जब प्रार्थना करते हैं तो हमारे मन से कलुषित विचार दूर होते चले जाते हैं। प्रार्थनाएं हीलिंग टच का काम करती हैं। प्रार्थनाएं हमें बल देती हैं, संबल देती हैं, क्योंकि प्रार्थनाएं हमें पवित्र बनाती हैं। * हमारे शरीर को डिटॉक्सीफिकेशन करती हैं यानी उसे निर्विषीकरण की प्रक्रिया से गुजारती हैं। इससे हमारा शरीर स्वस्थ, पवित्र, प्रफुल्लित और तरोताजा होता है। प्रार्थनाएं हमें सिखाती हैं कि हम ऊर्जा कैसे हासिल करें। * जो लोग प्रार्थना नहीं करते वे मौन में विलुप्त हो जाने का लुत्फ नहीं उठा पाते। * प्रार्थना उस शक्ति को हासिल करने का उपक्रम है, जो शक्ति हमें अपने पराक्रम से हासिल होती है।
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* प्रार्थनाएं हमें मनुष्यता सिखाती हैं। * प्रार्थनाएं हमें संगठित करती हैं। * प्रार्थनाएं हमें मिल-जुलकर कुछ भी कर सकने की शक्ति देती हैं। इसीलिए सामूहिक प्रार्थनाए महज धार्मिक क्रियाकलाप या अनुष्ठान भर नहीं होतीं, वे एक सामाजिक आंदोलन, एक वसुधैव कुटुम्बकम् का आह्वान भी होती हैं। * प्रार्थनाएं हमें दूसरों पर भरोसा करना सिखाती हैं। अगले पन्ने पर पढ़िए प्रार्थना से संबंधित जानकारी
* प्रार्थनाएं हमें संतोष करना सिखाती हैं। * प्रार्थनाएं हमें तनावमुक्त करती हैं और उम्मीदों और अपेक्षाओं का जो बोझ हमने अपने पर लाद दिया होता उससे हल्का करती हैं। * प्रार्थना एक प्रक्रिया है आत्मा को परमात्मा के पथ का राही बनने का।* प्रार्थनाएं हमें साझे संघर्षों के लिए साझे प्रयासों की प्रेरणा देती हैं। ये हमें इकट्ठा करती हैं यानी जोड़ती हैं। हमें अपने अनुभवों को बांटने का मौका देती हैं, जो कि साधारण तरीकों में संभव नहीं है।