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मां शाकंभरी मंदिर : बस एक पल में ही बेशकीमती खजाना बन गया नमक....

मां शाकंभरी मंदिर : बस एक पल में ही बेशकीमती खजाना बन गया नमक.... - shakambhari mandir sambhar jaipur
मां शाकंभरी मंदिर, सांभर, जयपुर, राजस्थान 
 
शाकम्भरी को दुर्गा का अवतार माना जाता है। शाकंभरी माता के देशभर में तीन शक्तिपीठ है। माना जाता है कि इनमें से सबसे प्राचीन शक्तिपीठ राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर सांभर कस्बे में स्थित है। यहां स्थित मंदिर करीब 2500 साल पुराना बताया जाता है। वैसे तो शाकंभरी माता चौहान वंश की कुलदेवी है लेकिन, माता को अन्य कई धर्म और समाज के लोग पूजते हैं।

इन परिवारों में विवाह, बच्चे का जन्म जैसे शुभ कार्य होने पर यहां धोक लगाने की परंपरा है। मंदिर में भादवा सुदी अष्टमी को मेला आयोजित होता है। दोनों ही नवरात्रों में माता के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। 
 
यहां प्रतिमा के संबंध में मान्यता है कि देवी की यह प्रसिद्ध मूर्ति भूमि से स्वत: प्रकट हुई है। विभिन्न लेखों के अनुसार, चौहान वंश के शासक वासुदेव ने सातवीं सदी में सांभर झील और सांभर नगर की स्थापना शाकंभरी माता के मन्दिर के पास की थी। किवदन्तियों के अनुसार, शाकंभरी का अपभ्रंश सांभर है। महाभारत, शिव पुराण और मार्कण्डेय पुराण जैसे धर्म ग्रंथों में माता शाकंभरी का उल्लेख मिलता है। इसके अनुसार,100 साल तक निर्जन स्थान पर जहां बारिश भी नहीं होती थी माता ने तपस्या की थी। इस तपस्या के दौरान माता ने केवल महीने में एक बार शाक यानि वनस्पति का सेवन किया था। 
 
इस निर्जन स्थान पर शाक की उत्पत्ति माता के तप के कारण हुई थी। ऐसे में यह देखने के लिए ऋषि-मुनि आए थे। शाक पर आधारित तपस्या के कारण शाकंभरी नाम पड़ा। इस तपस्या के बाद यह स्थान हराभरा हो गया। भूगर्भ में बहुमूल्य धातुओं की प्रधानता हो गई।। समृद्धि के साथ ही यहां इस प्राकृतिक सम्पदा को लेकर झगड़े शुरू हो गए। तब माता ने यहां बहुमूल्य सम्पदा और बेशकीमती खजाने को नमक में बदल दिया। 
 
वर्तमान में करीब 90 वर्गमील में यहां नमक की झील है। कई साल पहले इसका विस्तार इससे भी अधिक था। चौहान काल में सांभर और उसका निकटवर्ती क्षेत्र सपादलक्ष (सवा लाख की जनसंख्या सवा लाख गांवों या सवा लाख की राजस्व वसूली क्षेत्र) कहलाता था। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार यहां राजा ययाति ने शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी और शर्मिष्ठा के साथ विवाह किया था। 
 
कैसे पहुंचें (How To Reach)
सांभर कस्बे से बेशकीमती खजाना माता के मन्दिर की दूरी करीब 15 किलोमीटर है। सांभर ​जयपुर से करीब 70 किलोमीटर है। जयपुर में सांगानेर हवाई अड्डा सांभर से करीब 90 किलोमीटर, बस स्टैंड और रेल्वे स्टेशन करीब 70 किलोमीटर है। जयपुर से सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। सांभर में रेलवे स्टेशन है जो जयपुर, अजमेर, नागौर आदि शहरों से जुड़ा है। 
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