एमपी नहीं पीएम चुनेगा अमेठी!
अमेठी। राहुल को बड़ी चुनौती देने वाले आप प्रत्याशी कुमार विश्वास जनता का विश्वास नहीं जीत पा रहे हैं। कुमार विश्वास से बेहतर तो स्मृति ईरानी जान पड़ती हैं, जो भाजपा की अमेठी से उम्मीदवार हैं। भाजपा ने अमेठी में पहली बार किसी महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। वर्ष 1998 में फेमिना मिस इंडिया रह चुकीं स्मृति ईरानी नरेंद्र मोदी की पसंद हैं। वर्तमान में गुजरात से राज्यसभा सांसद हैं। फिलहाल अमेठी में राहुल की जीत को लेकर कोई संकट नजर नहीं आता। अमेठी के मतदाता मान रहे हैं कि वे एमपी को नहीं पीएम को चुन रहे हैं। राहुल की जीत सुनिश्चित करने के लिए बहन प्रियंका ने 15 अप्रैल से सभी 16 ब्लॉकों में जाकर चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथ ले ली है और चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। अमेठी में 7 मई को मतदान होगा।पड़ोसी सटे जिले सुल्तानपुर से वरुण की संजीदगी भी राहुल के प्रति है। इधर बहन प्रियंका की नसीहत वरुण को नहीं भा रही है। वरुण के खिलाफ बोलकर प्रियंका ने बेवजह राजनीतिक मोर्चा खोलने का मौका दे दिया है। बहन प्रियंका ने कहा था कि वरुण हमारे भाई हैं लेकिन वे भटक गए हैं। परिवार में जब कोई भटक जाता है तो बड़े लोग उसे सही रास्ता दिखाते हैं। चचेरी बहन प्रियंका की टिप्पणी पर वरुण ने कहा कि प्रियंका ने भद्रता की लक्ष्मण रेखा लांघ दी है। प्रियंका और राहुल के खिलाफ मोर्चा खोलना भी वरुण गांधी को खुद के लिए भी भारी पड़ सकता है। स्मृति ईरानी ने भी बहन प्रियंका और दामाद रार्बट वाड्रा पर यह कहकर निशाना साधना शुरू कर दिया है कि अमेठी के किसान दामाद वाड्रा को देखकर अपनी जमीन के कागज छिपा देते हैं कि कहीं दामाद उनकी जमीन को हड़प न लें। कुल मिलाकर अमेठी से राहुल की जीत तय है। हां, जीत का अंतर घट सकता है। राहुल के खिलाफ खड़े प्रत्याशी वोट काट सकते हैं, जीत नहीं सकते। फिलहाल अमेठी पर देशभर की निगाहें हैं। कुमार विश्वास राहुल को हराने का दावा सार्वजनिक रूप से कर रहे हैं। कुमार विश्वास ने कहा कि राहुल का अमेठी में कोई घर नहीं, कहते हैं पूरी अमेठी हमारी। स्थानीय लोग उनसे मिल नहीं सकते सांसद निधि पूरी खर्च नहीं की, केंद्रीय योजनाओं में भ्रष्टाचार, लोकसभा में न्यूनतम उपस्थिति, राहुल जनता के साथ बराबर धोखा कर रहे हैं। अमेठी सबसे पिछड़े 5 जिलों में शुमार है। अमेठी में शिशु मृत्यु दर सर्वाधिक है। अशिक्षा, बेरोजगारी और पिछड़ेपन से पीड़ित है अमेठी। कुमार विश्वास कहते हैं कि अब तक अमेठी में अच्छी सड़कें क्यों नहीं बनीं। 24 घंटे बिजली क्यों नहीं, गांवों में शौचालय हैण्डपम्प क्यों नहीं, बच्चों को पौष्टिक भोजन क्यों नहीं, रोजगार क्यों नहीं, सरकारी राशन क्यों नहीं। यद्यपि गांधी घराने की पुश्तैनी सीट अमेठी से राहुल को हराने के लिए भाजपा पूरी घेराबंदी कर रही है। स्मृति ईरानी किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। उनके एक धारावाहिक 'क्यूं कि सास भी कभी बहू थी' से बहू के रूप में वे घर-घर पहुंच चुकी हैं। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार पहले ही कह चुके थे कि अमेठी में भाजपा का बड़ा चेहरा चुनाव लड़ेगा, जो राहुल गांधी को हराकर सदन में जा सके। कहा जा रहा है कि स्मृति ईरानी के नाम पर नरेंद्र मोदी ने पहले ही मुहर लगा दी थी, लेकिन इसे गोपनीय रखा गया था। मोदी की मंशा थी कि कांग्रेसियों को जब यह भरोसा हो जाएगा कि भाजपा अमेठी में डमी उम्मीदवार उतारेगी, उसके बाद ही स्मृति के नाम का ऐलान किया गया। मालूम हो कि स्मृति ईरानी ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता वर्ष 2003 में ली थी और लोकसभा के चुनावों में दिल्ली की चांदनी चौक सीट से कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा था। उन्हें वर्ष 2004 में महाराष्ट्र युवा वाहिनी में उपाध्यक्ष बनाया गया। 2010 में ईरानी को पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। इसी वर्ष उन्हें भाजपा महिला मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया गया। अगस्त 2011 में ईरानी को गुजरात से राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया। इधर कांग्रेसियों को राहुल गांधी का चुनाव एकतरफा नजर आ रहा था, लेकिन स्मृति का नाम आने के बाद अमेठी के कांग्रेसी अचानक सतर्क हो गए हैं। तीन महीने पहले गुजरात के दर्जनभर नेता अमेठी आए थे। इन नेताओं ने अमेठी के एक होटल के सभी कमरे बुक करवाए थे, उन्होंने दर्जनभर लग्जरी गाड़ियां भी बुक करवाई, लेकिन यहां के कांग्रेसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा यहां राहुल को हराने के लिए पूरी संजीदगी से लड़ रही है। भाजपा की इस चुनावी चाल से डेढ़ दशक से सुस्त पड़े भाजपा संगठन में अचानक जोश भर गया है। भाजपा नेताओं ने जिलेभर में बूथ कमेटियों का गठन भी कर लिया है। इन कमेटियों में 20-20 कार्यकर्ताओं के दल बनाए गए हैं, जो घर-घर जाकर एक नोट, एक वोट मांग रहे हैं। भाजपा के अमेठी लोकसभा क्षेत्र में 28 मंडल बने हैं, जिसमें 1521 बूथ हैं। हर बूथ पर दो दर्जन सदस्य नेता तैनात किए गए हैं, जो घर-घर जाकर कमल का फूल खिला रहे हैं। स्मृति ईरानी मतदाताओं से कह रहीं हैं कि लक्ष्मी साइकल या हाथी पर बैठकर आती है और न ही पंजा उन्हें उठाता है, लक्ष्मी तो कमल के फूल पर बैठकर आती हैं, इसलिए विकास रूपी लक्ष्मी लाने के लिए कमल को वोट दें। उधर राहुल गांधी के समर्थकों में इस बार पुराना जोश नजर नहीं आ रहा है जो वर्ष 2004 और 2009 में था। इसके पीछे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा मानी जा रही है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र की जनता पिछले 10 सालों से उपेक्षित है। गांवों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। कांग्रेस के चुनावी वादे अब तक पूरे नहीं हो सके।राहुल गांधी की चुनावी कमान प्रियंका के हाथ में है। सपा ने यहां कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी के समर्थन में उम्मीदवार नहीं उतारा है। उसके मतदाता किस उम्मीदवार को वोट देंगे, यह साफ नहीं है।बसपा के डीपी सिंह उम्मीदवार हैं, मगर वे जनता के लिए गुमनाम हैं। उन्हें बसपा के परंपरागत वोटों का ही आसरा है। दर्जनभर वोट कटवा भी यहां चुनावी ताल ठोंक रहे हैं तृणमूल कांग्रेस ने छाया सिंह एवं पीस पार्टी ने जाहिदा बेगम को उम्मीदवार बनाया है।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अमेठी में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही होगा। विशेशरगंज के कांग्रेसी नेता पंडित ओमप्रकाश शुक्ल का कहना है कि राहुल को घेरने के लिए पहले भी बड़े-बड़े धुरंधर आ चुके हैं, पर सब मुंह की खाकर राजनीतिक बियाबान में खो जाते हैं। अमेठी में जनता यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव से लेकर बसपा के संस्थापक कांशीराम तक की जमानत जब्त हो चुकी है।उल्लेखीन है कि वर्ष 2009 में कांग्रेस के राहुल गांधी को 4,64,195 (71.78%) वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे बसपा के आशीष शुक्ला को 93,997 (14.54%) वोट मिले थे एवं तीसरे नंबर पर रहे भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को 37,570 (5.81%) वोट मिले थे। अमेठी लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र तिलोई, सलोन, जगदीशपुर, गौरीगंज एवं अमेठी आते है। 16
ब्लॉक और 722 ग्राम पंचायतें और 126 न्याय पंचायतें हैं। 1257 राजस्व ग्राम और वर्ष 2004 में भी कांग्रेस के राहुल गांधी जीते थे तब उन्हें 3,90,179 वोट मिले थे। मालूम हो कि अमेठी जिले में ही मशहूर और संत कवि मलिक मोहम्मद जायसी की मजार है। अमेठी को जिला बनाने का श्रेय बसपा सुप्रीमो व तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को जाता है।अमेठी : कब किसने मारी बाजीवर्ष | विजेता | पार्टी |
1957 | वीवी केस्कर | कांग्रेस |
1962 | रणंजय सिंह | कांग्रेस |
1967 | विद्याधर वाजपेई | कांग्रेस |
1971 | विद्याधर वाजपेई | कांग्रेस |
1977 | रविन्द्र प्रताप सिंह | जनसंघ |
1980 | संजय गांधी | कांग्रेस |
1984 | राजीव गांधी | कांग्रेस |
1989 | राजीव गांधी | कांग्रेस |
1991 | राजीव गांधी | कांग्रेस |
1996 | कैप्टन सतीश शर्मा | कांग्रेस |
1998 | संजय सिंह | भाजपा |
1999 | सोनिया गांधी | कांग्रेस |
2004 | राहुल गांधी | कांग्रेस |
2009 | राहुल गांधी | कांग्रेस |