• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Yasin Malik Sentenced To Life In Jail In Terror Funding Case
Written By
Last Modified: बुधवार, 25 मई 2022 (21:54 IST)

32 साल बाद इन 10 मामलों में यासीन मलिक को सजा, निकले पाकिस्तान के आंसू, शरीफ ने बताया काला दिन

32 साल बाद इन 10 मामलों में यासीन मलिक को सजा, निकले पाकिस्तान के आंसू, शरीफ ने बताया काला दिन - Yasin Malik Sentenced To Life In Jail In Terror Funding Case
नई दिल्ली। 90 के दशक में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का पर्याय रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के सरगना यासीन मलिक को उसके जघन्य अपराधों के लिए 32 साल बाद बुधवार को दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मलिक को सजा सुनाये जाने पर पाकिस्तान में तीखी प्रतिक्रया हुई और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आज की तारीख को काला दिन बताया। 
मलिक को आतंकवाद, राजद्रोह और आपराधिक साजिश आदि विभिन्न धाराओं के तहत विभिन्न अवधि की कारावास की सजा और कई रकम के जुर्माने किए गए हैं जिनमें 10 लाख रुपए का जुर्माना भी शामिल है। अदालत ने कहा है कि मलिक के कैद की विभिन्न सजाएं एकसाथ चलेंगी।
 
मलिक के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के मामलों की सुनवाई करने वाली पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत के न्यायाधीश प्रवीण सिंह के फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर में तनाव का माहौल था। श्रीनगर के लाल चौक पर दुकानें बंद थीं,पर यातायात चालू था।
आतंकवादी सरगना मलिक जनवरी 1990 में कश्मीर में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों और जवानों की हत्या के मामले चर्चित हुआ था। उसके खिलाफ 2017 में आतंकवाद और विघटनकारी करतूतों में शामिल होने के आरोपों में मामला दायर किया गया था। इसी वर्ष मार्च में अदालत ने मलिक और अन्य के विरुद्ध गैर कानूनी गतिविधियां निवारक (यूएपीए) अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा चलाए जाने का आदेश दिया था।
 
मलिक के वकील उमेश शर्मा ने कहा कि उसके मुवक्किल को आजीवन कारावास की दो सजाओं के अलावा 10 अभियोगों में 10 साल की बामशक्कत कैद की सजाएं सुनाई गई हैं और उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उन्होंने कहा कि सभी सजायें एकसाथ चलेंगी।
कौनसी धाराओं में सजा : मलिक के विरुद्ध 10 वर्ष के कारावास और 10 हजार रुपये का जुर्माना एक जुर्माना भारतीय दंडिता संहिता के तहत सुनाई गयी है। इसी तरह सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, युद्ध छेड़ने का प्रयास करना या युद्ध छेड़ने को बढ़ावा देने के जुर्म में धारा 121 के तहत उम्रकैद तथा युद्ध छेड़ने की साजिश के आरोप में धारा 121 ए के तहत 10 साल की सजा तथा 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। 
 
यूएपीए की धाराओं में सजा : मलिक को आतंकवाद के लिए धन जुटाने के आरोप में यूएपीए की धारा 17 के तहत उम्र कैद और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसी तरह धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन से नाता रखने) के आरोप में 10 साल की सजा और 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है और धारा 18 (आतंकवाद की साजिश) के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार रुपए का जुर्माना किया गया है। उसे यूएपीए की धारा 38 और 39 के तहत 5 साल की सजा पांच हजार रुपए के जुर्माना भी भुगतना पड़ेगा।
 
मलिक और अन्य के खिलाफ यूएपीए की धारा 16 (आतंकवाद में संलिप्तता), धारा 17 (आतंकवाद के लिए धन जुटाना), धारा 18 (आतंकवाद की साजिश) और धारा 20(आतंकवादी गिरोह या संगठन से नाता) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षड्‍यंत्र) और 124 ए राजद्रोह के अभियोग लगाये गये थे। मलिक ने 19 मई 2022 को एनआईए के मामलों की सुनवाई करने वाली पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष अदालत में अपने जुर्म कबूल किए थे।
 
कोर्ट में कड़ी सुरक्षा : अदालत ने इस मामले में सजा सुनाने के लिए आज अपराह्न का समय निर्धारित किया था। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अदालत परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी थी और परिसर सुरक्षा कर्मियों के शिविर जैसा लग रहा था। सुरक्षा में पुलिस के अलावा अर्द्धसैनिक बल के दस्ते भी तैनात किए गए थे।
 
परिसर में मलिक को लाए जाने से पहले बम निस्तारण दस्ते और प्रशिक्षित कुत्तों से जांच करायी गयी थी। न्यायालय कक्ष में विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह के करीब साढ़े पांच से पहुंचने से पहले मलिक को वहां लाया गया था।बुधवार को अदालती कार्रवाई के दौरान एनआईए ने मलिक को मृत्यु दंड दिये जाने की दलील दी थी। मलिक के मामले में फैसला अपराह्न साढ़े तीन बजे सुनाया जाना था लेकिन इसमें घंटे भर से अधिक देरी हुई।
लीडर खन्ना की पत्नी बोलीं मौत के बदले मौत : जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर में यासीन के घर मैसुमा इलाके में पथराव की छिटपुट घटनाओं की रिपोर्ट आई हैं। स्क्वाड्रन लीडर खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह जेकेएलएफ के इस आतंकवादी को मौत की सजा चाहती हैं। उन्होंने कहा कि वह उनके पति की हत्या के बावजूद 32 साल तक जीवित बचा है।
 
उन्होंने सजा सुनाए जाने से पहले जम्मू में संवाददाताओं से कहा था,“ मैं अपने मामले में चाहूंगी कि ‘मौत के बदले मौत’ की सजा मिले। जहां तक आतंकवादियों को धन पहुंचाने का मामला है तो मलिक को उसमें अदालत जो उचित समझे, सजा दे। ”
 
अदालत में उपस्थित वकील के अनुसार जेकेएलएफ सरगना मलिक के अधिवक्ता ने कहा कि उसके मुवक्किल ने 28 साल पहले ही हिंसा का रास्ता छोड़ चुका है और तब से किसी हिसंक वारदात में शामिल नहीं रहा है। मलिक के खिलाफ इस मामले में जांच एजेंसी ने मलिक, अलगाववादी कश्मीरी कार्यकर्ता फारुक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, नईम खान, मोहम्मद अहमद खांडे, राजा महरुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद भट्ट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल रशीद शेख और नवल किशोर कपूर को आरोप पत्र में अभियुक्त बनाया था।
 
इस मामले में इनके अलावा लश्करे तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाउद्दीन को भगोड़ा अभियुक्त घोषित किया गया था। मलिक ने आरोप पत्र को सुनाए जाने के बाद कहा कि वह अपने विरुद्ध लगाये गये अभियोगों का प्रतिवाद नहीं करेंगे। न्यायाधीश सिंह ने मामले की सुनवाई के बाद मलिक की वित्तीय स्थिति के बारे में हलफनामा मांगा था और एनआईए से 25 मई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। अदालत ने कहा था कि इस मामले में 25 मई को सजा सुनाई जाएगी।
ये भी पढ़ें
देश के 6 राज्यों में 3 लोकसभा और 7 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव 23 जून को