3 साल में दूसरी बार 'विजय दिवस' पर कारगिल नहीं पहुंच पाए राष्ट्रपति
खराब मौसम के कारण राष्ट्रपति कोविंद ने बारामुल्ला में दी शहीदों को श्रद्धांजलि
जम्मू। 3 साल में दूसरी बार जोजिला में खराब मौसम के कारण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कारगिल विजय दिवस पर द्रास नहीं पहुंच पाए। उन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी सैनिकों को बारामुल्ला स्थित डैगर युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद राष्ट्रपति ने चिनार कोर और हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल, गुलमर्ग पहुंचकर सैन्य अधिकारियों और जवानों से बातचीत की। इस दौरान प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कारगिल दौरा आज सोमवार को खराब मौसम के कारण रद्द कर दिया गया। कारगिल द्रास शहीदी स्मारक न पहुंच पाने पर राष्ट्रपति बारामुल्ला स्थित डैगर युद्ध स्मारक पर पहुंचे और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अलावा सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। देश की रक्षा में अपनी जान अर्पित करने वाले शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सेना के इन वीरों की शहादत की वजह से ही आज देश का हर नागरिक शांति से अपना जीवन व्यतीत कर रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश का हर नागरिक इन वीरों व इनके परिजनों का सदैव कर्जदार रहेगा। इनकी शहादत को इसी तरह हमेशा याद रखना चाहिए। उन्होंने इस दौरान कश्मीर घाटी में आतंकवाद व पड़ोसी देशों की सेनाओं की साजिशों का सामना कर रहे सैनिकों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि वे इसी वीरता व साहस के साथ सरहद पर डटे रहकर दुश्मन की हर नापाक साजिश को नाकाम बनाएं।
खराब मौसम की वजह से आज सोमवार सुबह राष्ट्रपति का विशेष विमान श्रीनगर एयरपोर्ट से उड़ान नहीं भर पाया। जोजिला दर्रे जैसी हिमालय की चोटियों को इस मौसम में पार करना कठिन हो सकता था। वहीं प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें इसके लिए प्लान-बी तैयार किया गया। इस प्लान के तहत राष्ट्रपति गुलमर्ग बारामुल्ला पहुंचे। वहां स्थित हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल में आयोजित समारोह से पूर्व उन्होंने डैगर युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
राष्ट्रपति वर्ष 2019 में भी आए थे, उस दौरान भी वे खराब मौसम के कारण कारगिल विजय दिवस पर श्रद्धांजलि समारोह में नहीं पहुंच पाए थे। उस दौरान उन्होंने बदामीबाग स्थित सेना की 15 कोर के हेडक्वार्टर में आयोजित समारोह के दौरान शहीदों को श्रद्धांतलि दी थी। आज भी कारगिल न जा पाने की सूरत में वे गुलमर्ग स्थित हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ पहुंचे और शहीदों के समक्ष श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस बीच कारगिल युद्ध में अपना जीवन बलिदान करने वाले सैनिकों को सेना ने लद्दाख के द्रास सेक्टर में स्थित युद्ध स्मारक पर जाकर सोमवार को श्रद्धांजलि दी। गौरतलब है कि 1999 में भारतीय सशस्त्र बलों ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए कारगिल की पहाड़ी की चोटी पर कब्जा करने के पाकिस्तान के मंसूबे को विफल कर दिया था। इसे 'ऑपरेशन विजय' नाम दिया गया था।
श्रीनगर के जनसंपर्क अधिकारी (रक्षा) कर्नल एमरान मुसावी ने बताया कि द्रास स्थित युद्ध स्मारक पर कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ पर एक समारोह का आयोजन किया गया था। लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर ने इस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लिया। उन्होंने स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित किए और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। पूरे देश में आज उन शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है।