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1.क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है।
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2.जब मनुष्य को ठोकर लगती है और दर्द होता है तभी वह सीख पाता है।
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3.अधिकार-प्राप्ति का उचित माध्यम कर्तव्यों का निर्वाह है।
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4.स्वच्छता,पवित्रता और आत्म-सम्मान से जीने के लिए धन की आवश्यकता नहीं होती।
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5.त्याग ही जीवन है। सुखद जीवन का भेद त्याग पर आधारित है।
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6.सच्चा व्यक्तित्व अकेले ही सत्य तक पहुंच सकता है।
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7.मनुष्य अपनी तुच्छ वाणी से केवल ईश्वर का वर्णन कर सकता है।
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8.यदि आप न्याय के लिए लड़ रहे हैं,तो ईश्वर सदैव आपके साथ है।
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9.जहां प्रेम है,वहीं जीवन है। ईर्ष्या-द्वेष विनाश की ओर ले जाते हैं।
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10.यदि आपको अपने उद्देश्य और साधन तथा ईश्वर में आस्था है तो सूर्य की तपिश भी आपको शीतलता प्रदान करेगी।
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