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Last Modified: शुक्रवार, 2 मार्च 2018 (09:54 IST)

पाकिस्तान के एक नामी क्लब ने किया भारतीय राजदूत का अपमान

पाकिस्तान के एक नामी क्लब ने किया भारतीय राजदूत का अपमान - Indian ambassador in pak
नई दिल्ली। इस्लामाबाद के एक नामी क्लब ने पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया की सदस्यता को लटकाकर रखा हुआ है। 'इस्लामाबाद क्लब' में पाकिस्तान के विशिष्ट लोग और विदेशी राजनयिक सुकून के पल बिताने के लिए यहां एकजुट होते हैं। पाकिस्तान के इस क्लब के कदम से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव और बढ़ गया है।
 
उल्लेखनीय है कि इस्लामाबाद क्लब पाकिस्तान के सबसे खास क्लबों में से एक है। विदेशी देशों के उच्चायुक्तों की नियुक्ति जब पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में होती है, तो वे सभी यहां के इस नामी क्लब की सदस्यता जरूर लेते हैं। इस्लामाबाद में विदेशी राजनयिकों के एकजुट होने के लिए यह क्लब बेहद प्रचलित है। बिसारिया इस्लामाबाद में भारत के उच्चायुक्त पिछले साल के अंतिम महिने दिसंबर में नियुक्त हुए थे। इसके तुरंत बाद उन्होंने इस क्लब की सदस्यता पाने के लिए आवेदन कर दिया था। लेकिन इस क्लब ने अभी तक बिसारिया के आवेदन को मंजूर नहीं किया है।
 
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार इस नामी क्लब ने सिर्फ बिसारिया के आवेदन को ही मंजूरी नहीं दी है बल्कि, उन्हें यह धमकीभरा निर्देश भी मिला है कि वह भारत के बाकी राजनयिकों की भी सदस्यता को दोबारा रिन्यू न करें। 
 
आमतौर पर राजनयिकों की सदस्यता को अगर कुछ दिनों में नहीं, तो कुछ सप्ताह में मंजूरी मिल ही जाती है। इस्लामाबाद का यह क्लब खुद को विशेष क्लब बताता है, जिसमें सरकार के अधिकारी, राजनयिक और इस्लामाबाद के विशिष्ट नागरिक सदस्यता लेते हैं। इस खास क्लब की बिल्डिंग यहां बने डिप्लोमेटिक एनक्लेव के साथ है, जो 346 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस क्लब में सभी देशों के राजनयिक और पाकिस्तान के नीति-निर्माता यहां समय बिताना पसंद करते हैं। 
 
पाकिस्तान के राजनयिक ने भी भारत पर आरोप लगाया है कि भारत ने नई दिल्ली में उनकी गतिविधियों पर अंकुश लगाया है। उन्हें दिल्ली से सटे नोएडा और गुड़गांव जैसे उपनगरों में घूमने की इजाजत तक नहीं है। 
 
भारतीय सूत्रों की मानें, तो भारत ने ये सब निर्णय पारस्परिक आदान-प्रदान की नीति के आधार पर तय किए हैं। इसके बावजूद इस्लामाबाद में भारतीय राजनयिकों से हम यहां रह रहे पाकिस्तान के राजनयिकों से तुलना करें, तो नई दिल्ली में मौजूद पाकिस्तान के राजनयिक वहां से कहीं बेहतर स्थिति में हैं। 
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