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Last Modified: मंगलवार, 24 मई 2016 (00:12 IST)

चीन ने अमेरिका को दी 'तीसरे विश्व युद्ध' की धमकी

चीन ने अमेरिका को दी 'तीसरे विश्व युद्ध'  की धमकी - China,US, China Sea, South China Sea,
नई दिल्ली। नासूर आखिर क्या होता है, नासूर वो जख्म है जो कभी नहीं भरता,  जिसमें रह रहकर टीस उठती है। चीन ने अमेरिका के दो नासूर छेड़ दिए हैं। उसने खुली धमकी दे दी है कि अगर अमेरिका ने दक्षिण चीन के समुद्र में अपना मटरगश्ती बंद नहीं की तो 66 साल पुरानी जंग दोहराई जा सकती है। ये वो जंग है जिसमें चाह कर भी अमेरिका जीत न सका था।
चीन के उप विदेश मंत्री के चौंकाने वाले बयान ने दुनिया के उस डर को जिंदा कर दिया है कि तीसरा विश्व युद्ध समुद्र से ही शुरू हो सकता है। ये बयान ऐसे वक्त पर आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा वियतनाम की पाश्चाताप यात्रा पर हैं, सालों पहले इसी वियतनाम को तबाह करने के चक्कर में अमेरिका के 58 हजार फौजी मारे गए थे।
 
दरअसल,  कुछ दिन पहले दक्षिण चीन के तनाव भरे समुद्र में ज्वार उठा। चीन के अघोषित कर्फ्यू को तोड़ते हुए अमेरिकी टोही विमान EP-3 एरीज ने उड़ान भरी। अचानक उसके पास दो चीनी जे-11 लड़ाकू विमान प्रकट हो गए। लगा जैसे अमेरिकी टोही विमान को चीनी लड़ाकू जेट्स ने गिरफ्तार कर लिया। वे अमेरिकी प्लेन से सिर्फ 50 फीट के फासले पर उड़ रहे थे। अमेरिकी विमान को तुरंत वो इलाका छोड़ देने का हुक्म सुनाया गया। कहा गया कि ये इलाका चीन का है यहां की जासूसी करना बंद करो और अपने बेस में लौट जाओ।
 
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन का दावा है कि हवा में टक्कर से बचने के लिए अमेरिकी विमान ने तुरंत गोता खाया और तनाव की नई रेखाएं खिंच गईं।  कुछ ही दिन बाद दूसरा ज्वार उठा। चीन की मनाही के बावजूद अमेरिका के मिसाइल डिस्ट्रायर शिप USS WILLIAM P LAWRENCE दक्षिण चीन समुद्र में घुसा।
 
अमेरिका ने कसम खाई कि वो फिर इलाका चीन का नहीं है, लिहाजा अमेरिकी विमान और जहाज वहां फिर जाएंगे। चीन ने कसम खाई कि अब अगर अमेरिका ने झगड़े के लिए उकसाया तो 66 साल पहले हुई एक जंग दोहरा दी जाएगी। अमेरिका को इससे पहले इतनी सीधी धमकी किसी मुल्क ने नहीं दी है। इससे पहले अमेरिका को जंग में हार की कड़वाहट इस तरह याद शायद ही किसी ने दिलाई हो।
 
चीन के उप विदेशमंत्री लियु जेनमिन के मुताबिक हम तैयार हैं, कोरिया की जंग दोहराने के लिए, हम तैयार हैं वियतनाम की जंग दोहराने के लिए। अगर अमेरिकी फौज दक्षिण चीन समुद्र में विवाद भड़काने से बाज नहीं आया तो हम ये जंग दोहराने को तैयार हैं।
 
आखिर चीन को ये क्या हो गया है जो वो अमेरिका को उस इतिहास की याद दिला रहा है, जिसे भुलाने की कोशिश हर अमेरिकी करता रहा है? आखिर समुद्ध के झगड़े में दुनिया के ये दोनों महारथी समुद्र के हिटलर बनने की कोशिश में क्यों है। एक हिटलर समुद्र पर कब्जे के लिए समुद्र की बालू निकाल कर नकली टापुओं की फौज बना रहा है।
 
पेंटागन की रिपोर्ट बताती है कि अब तक 3200 एकड़ समुद्र पर चीन नकली टापू बनाकर अपने एयर बेस और अड्डे बना रहा है। स्प्राटले और पारसेल द्वीप इसमें शामिल हैं। तो दूसरा चीन को चिढ़ाने के लिए उसी समुद्र में गश्त लगाने पर अड़ा हुआ है इतना ही नहीं चीन के दोस्तों को भरमाने की कोशिश भी कर रहा है।
 
ये इत्तेफाक है कि जब चीन के उप विदेश मंत्री अमेरिका को कोरिया और वियतनाम की जंग दोहराने की धमकी दे रहे थे। उसी वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का प्लेन एयर फोर्स 1 उस आसमान पर उड़ रहा था जिसपर कई साल पहले अमेरिकी जंगी विमान उड़ कर नापाक बम गिराते थे।
 
16 साल बाद कोई अमेरिकी राष्ट्रपति वियतनाम के दौरे पर था।  साल 2000 में बिल क्लिंटन ने उस मुल्क जाने का हौसला दिखाया था, जिसे तबाह करने केलिए अमेरिका ने पूरी ताकत झोंक दी फिर भी बुरी तरह मुंह की खाई। और अब ओबामा  ओबामा ने वियतनाम पर हथियारों की डील पर लगी सालों पुरानी पाबंदी हटा दी ये सीधा वार चीन पर था।  वहीं चीन जो दक्षिण चीन के टापुओं को कब्जाने के लिए वियतनाम का इलाका भी हड़पने की फिराक में है। अमेरिका वियतनाम से अपने रिश्ते सुधारकर वियतनाम को चीन के खिलाफ भड़काने की नीति पर है।
 
रक्षा विशेषज्ञ उदय भास्कर का कहना है कि ओबामा का ये महत्वपूर्ण दौरा है। एशिया पैसिफिक को लेकर अमरीकी रणनीति है उसमें वियतनाम का दौरा बताता है कि अमेरिका शक्ति संतुलन की नई कोशिश कर रहा है।
 
वियतनाम अमेरिकी इतिहास का शायद सबसे बड़ा नासूर है। दूसरों के झगड़े में टांग अड़ाने की अमेरिका को भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। उसके 58 हजार फौजी मारे गए थे, इसपर वियतनाम जैसे हरे भरे देश को बर्बाद करने का दंश अलग। क्या ओबामा का वियतनाम दौरा अमेरिका का असली प्रायश्चित है या फिर सिर्फ ओबामा के राष्ट्रपति पद के अंतिम दिनों का एक फोटो ऑप? जाहिर है अमेरिका का ये डबल गेम चीन को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। ये गुस्सा अमेरिका के प्रति नफरत में बदलता जा रहा है।
 
चीन के उप विदेश मंत्री लियु जेनमिन के मुताबिक चीन की जनता जंग नहीं चाहती। लेकिन अगर अमेरिका यूं ही भड़काने की कोशिश करता रहेगा तो हमें उसका विरोध करना ही पड़ेगा। और हां, अगर कोरियाई युद्ध या वियतनाम की जंग दोहराई जाती है तो हमें अपनी रक्षा तो करनी ही पड़ेगी। हमारे लिए दक्षिण चीन समुद्र बेहद अहम क्षेत्र है, वहां से हमारा व्यापार भी चलता है। इसीलिए हम उस इलाके में शांति और स्थायित्व चाहते हैं। लेकिन हमें घेरकर उस इलाके में फौजी ठिकाने बनाने की कोशिश ठीक नहीं है। और अब उलटे अमेरिका हमें तनाव बढ़ाने का जिम्मेदार ठहरा रहा है। ये तो हमारे साथ बुरा बर्ताव है। लेकिन हकीकत तो ये है कि चीन ने समुद्र पर इतनी तेजी से कब्जा किया है कि अमेरिका ही नहीं दक्षिण चीन के समुद्र के आसपास के 9 देश भी हैरान हैं। ये देखिए ये मैप ड्रैगन की हसरत को साफ दिखाता है।
 
इसमें ऊपर मौजूद भूरा गोला वो इलाका है जहां मौजूद वूडी द्वीप पर चीन के सतह से हवा में  मार करने वाली मिसाइलों की तैनाती की खबरें आई थीं। ये गोला उस इलाके को दिखाता है जहां तक ये मिसाइलें हवा में उड़ते विमानों को गिरा सकती हैं वूडी आइलैंड के अलावा डंकन आइलैंड और ट्रिटॉन आइलैंड इसके दायरे में हैं।
 
इसके अलावा पीले रंग के कई गोले उन द्वीपों को दर्शाते हैं जहां चीन ने राडार लगा रखे हैं।ये राडार हवा में उड़ते विमान और समुद्र में आते जहाजों को मीलों दूर से ही देख सकते हैं। इनमें फियरी क्रॉस के अलावा कुएरटेरॉन आइलैंडस, जॉनसन साउथ, ग्रैवन और मिसचीफ आइलैंड भी शामिल हैं।
 
अपने इसी कारनामे को ढांपने के लिए चीन ने दरअसल, बरसों बाद अमेरिका को उसके दो जख्म याद दिलाए हैं, वो जख्म जो दरअसल नासूर बन चुके हैं। अमेरिका को दर्द देने के लिए ही चीन ने पहले कोरियाई जंग का नाम लिया और फिर वियतनाम का। ये दोनों जंग अमेरिका जैसी सुपरशक्ति की हार की प्रतीक हैं। चाह कर भी ये जंग अमेरिका जीत न सका था।
 
ये 1950-53 के तीन साल थे जब अंतिम बार अमेरिका और चीन की फौजों ने एक दूसरे पर गोलियां और गोले दागे थे। जब दोनों मैदान में दुश्मन थे। ये थी कोरिया की जंग जब जापान को खदेड़ने के लिए दक्षिण कोरिया के हिस्से में अमेरिका ने दिलचस्पी दिखाई और उत्तरी कोरिया के हिस्से में चीन और रूस ने। और जब 1950 में उत्तर ने दक्षिण पर हमला बोल दिया तो संयुक्त राष्ट्र ने सेना गठित कर जवाब दिया। उस सेना में 88 फीसदी अमेरिकी फौजी थे।
 
इस जंग को अमेरिका और चीन के बीच जंग के तौर पर याद किया जाता है, दोनों तरफ की जंग में 5 लाख से ज्यादा फौजी मारे गए और 25 लाख से ज्यादा कोरियाई या तो मारे गए या जख्मी हुए। ये युद्ध थम जरूर गया, लेकिन कभी खत्म नहीं हुआ, इसी वजह से उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया कागजों पर आज भी जंग ही लड़ रहे हैं। यही हाल वियतनाम का था वियतनाम पर अमेरिका ने हमला 1 नवंबर 1955 से शुरू हुई ये जंग 19 साल 5 महीने तक खिंची, अमेरिका ने उत्तर वियतनाम से कम्युनिस्टों को हराने के लिए वियतनाम के घने जंगलों को नापाम बमों से पाट दिया।
 
केमिकल के असर से हर जंगल मुरझा गए, लेकिन वियतनामियों को कई पीढ़ियों तक कैंसर समेत अनगिनत बीमारियां दे गए। अमेरिका को भी अपने 58 हजार फौजी गंवाने पड़े। अमेरिका के भीतर वियतनाम पर हमले के खिलाफ तगड़ा आंदोलन जन्मा और ये जंग भी अमेरिका कभी जीत न सका। साफ है चीन अमेरिका की इन्हीं दो कमजोर नसों को दबाने की कोशिश में है। ताकि समुद्र पर कब्जे की उसके मंसूबे को कोई रोक न सके  समुद्र में दो दो हिटलर आमने सामने हैं। 
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