गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. poem on terrorism

कविता : कब समझेगा वह नासमझ राष्ट्र...

कविता : कब समझेगा वह नासमझ राष्ट्र... - poem on terrorism
आतंकवादियों की खोज
होती रही सारे जहान में। 
अमेरिका-यूरोप में, अफ्रीका-मिडिल ईस्ट में, ईरान में।। 
इने-गिने कुछ मिले यहां (कश्मीर में), हिन्दुस्तान में। 
बकौल 'सिक्योरिटी काउंसिल' (यू.एन.ओ.)
एक सौ उन्चालिस मिले पाकिस्तान में ।।1।। 
 
कौन समझाए उस नासमझ देश को 
आतंकवाद शेर की सवारी है। 
राष्ट्र की जड़ों को करती खोखला,
यह ऐसी महामारी है ।। 
सीरिया देश की बर्बादी का ताजा-तरीन 
उदाहरण है सामने,
यह कल का दावानल है,
भले ही आज एक चिंगारी है ।।2।। 
 
अपने पड़ोसी देशों के लिए,
भारत तो विकास-मॉडल बनने को अग्रसर है। 
जहां जी.डी.पी. की वृद्धि दर स्थिर,
अपनी सीमाओं में मूल्य-स्तर है। 
छुट-पुट हलचलों के बावजूद 
राजनीतिक चेतना है स्तरीय यहां,
स्वच्छ प्रशासन, परिश्रमी सरकार,
अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा शीर्ष पर है ।।3।। 
ये भी पढ़ें
महिलाओं को एचआईवी संक्रमण से बचाने के लिए अनूठा प्रतिरोपण