रातभर मुझको नींद ही आती नहीं
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रोशनी मिश्रा रातभर मुझको नींद ही आती नहींगीत सुंदर सा कोयल सुनाती नहींमेरे भारत की हालत कहाँ जाएगीपूछने पर मेरी माँ बताती नहींरातभर मुझको नींद ही आती नहींकश्मीर में रोज हिंदू मरते रहे,ज़ख्म अपनों के हम रोज भरते रहेदेश में रह विदेशों की तारीफेंअपने लोगों के मुँह से ही सुनते रहेकब तलक चलेगा सिलसिला इस तरहसरकार देश की बताती नहींरातभर मुझको नींद ही आती नहींकोई नंगा यहाँ कोई भूखा खड़ा,बाढ़ में कुछ मरे कहीं सूखा पड़ाकहीं पानी नहीं कहीं समंदर भरे,कोई तर माल में कोई रुखा पड़ाये ऊँच-नीच की दीवारें कब टूटेगीं,अर्थनीति हमें ये बताती नहींरातभर मुझको नींद ही आती नहींवीर शिवा, राणा, दुर्गा की हमने सुनी कहानी ,इस धरती की खातिर दी अनेक ने कुर्बानीउसी देश में करते जो अपमान सरस्वती माता काकैसे कहेंगे अपने को िक वे हैं हिंदुस्तानीइन भ्रष्ट बुद्धि को सद्बुद्धि कब आएगीमाँ शारदे मुझे ये बताती नहींरातभर मुझको नींद ही आती नहींअंत में मेरी माँ ने मुझसे कहा किअब जवानों के कंधों पर सब भार है,वे ही इस देश के तारण हार हैं,भ्रष्टाचारों और गद्दारों से मुक्त करने कातुम पर ही सब भार है,तुमसे ही सुनहरा बनेगा ये भारतमाँ मेरी दिनभर ये बताती रही.माँ मेरी दिनभर ये बताती रही।