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रक्षाबंधन
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आशा जाकड़ भाई-बहिन के स्नेह का पवित्र बंधनऐसे महके जैसे चंदनजब तक साँसों में स्पन्दनसुरभित रहे ये अटूट बंधनपवित्र भावनाओं का पर्वकरते भारतीय इस पर गर्वधर्म की दीवार मिटा देजाति-वर्ग भेद मिटा देहुमायूँ बना कर्णावती का भाईइसकी खातिर चल पड़ा था मुस्लिम भाई इसकी महानता की सीमा नहींइस जैसी पावनता नहीं कहीं।