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ईद का जश्न
ईद का दिन है हर तरफ़ है ख़ुशीपर मुझे कोई तो ये बतलादेपूरे रोज़े रखे हैं क्या उसनेक्या पढ़ी उसने सब नमाज़ें भीऔर क़ौरआन की तिलावत तो रोज़ ही सुबोशाम की होगी दे चुका होगा वो ग़रीबों को वो रक़म जो ज़कात होती है सदक़ा-ए-फ़ित्र भी दिया होगाऔर फिर ईद-गाह में जाकर पढ़ चुका होगा वो नमाज़-ए-ईद गर ये सब काम कर दिए पूरेफिर तो हक़ है उसे के सजधज कर ख़ूब खाए-पिए, गले मिलकर सब के हमराह वो मनाए ईद।