श्री गणेश को चढ़ने वाले हर पत्र का है एक विशेष मंत्र
गणेश उत्सव के 10 दिन यदि उचित रीति से सही प्रकार की वनस्पति पूर्ण विधि-विधान से अर्पित की जाए तो भगवान गणेश प्रसन्न होकर शुभ आशीर्वाद प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं श्रीगणेश के मनपसंद पत्तों और उसके मंत्रों का शास्त्रोक्त विधान।
1. भगवान श्रीगणेश को शमी पत्र चढ़ाकर 'सुमुखाय नम:' कहें।
इसके बाद क्रम से यह पत्ते चढ़ाएं और नाम मंत्र बोलें -
2. बिल्वपत्र चढ़ाते समय जपें 'उमापुत्राय नम:।'
3. दूर्वादल चढ़ाते समय जपें 'गजमुखाय नम:।'
4. बेर चढ़ाते समय जपें 'लम्बोदराय नम:।'
5. धतूरे का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'हरसूनवे नम:।'
6. सेम का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'वक्रतुण्डाय नम:।'
7. तेजपत्ता चढ़ाते समय जपें 'चतुर्होत्रे नम:।'
8. कनेर का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'विकटाय नम:।'
9. कदली या केले का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'हेमतुंडाय नम:।'
10. आक का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'विनायकाय नम:।'
11. अर्जुन का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'कपिलाय नम:।'
12. महुआ का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'भालचन्द्राय नम:।'
13. अगस्त्य वृक्ष का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'सर्वेश्वराय नम:।'
14. वनभंटा चढ़ाते समय जपें 'एकदन्ताय नम:।'
15. भंगरैया का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'गणाधीशाय नम:।'
16. अपामार्ग का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'गुहाग्रजाय नम:।'
17. देवदारु का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'वटवे नम:।'
18. गान्धारी वृक्ष का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'सुराग्रजाय नम:।'
19. सिंदूर वृक्ष का पत्ता चढ़ाते समय जपें 'हेरम्बाय नम:।'
20. केतकी पत्ता चढ़ाते समय जपें 'सिद्धिविनायकाय नम:।'
आखिर में दो दूर्वादल गंध, फूल और चावल गणेशजी को चढ़ाना चाहिए।