गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. आलेख
  4. Arjun Hingorani, Dharmendra, Dil Bhi Tera Hum Bhi Tere
Written By

अर्जुन हिंगोरानी चिल्लाकर बोलते थे 'धरमेन को बुलाओ'

अर्जुन हिंगोरानी चिल्लाकर बोलते थे 'धरमेन को बुलाओ' - Arjun Hingorani, Dharmendra, Dil Bhi Tera Hum Bhi Tere
अर्जुन हिंगोरानी की फिल्म के लिए धर्मेन्द्र ने कभी नहीं पूछा कि उनका रोल क्या है? कितना लंबा है? कितने पैसे मिलेंगे? जब भी अर्जुन की फिल्म का ऑफर धर्मेन्द्र को मिलता वे हंसते-हंसते फिल्म साइन कर लेते। दरअसल धर्मेन्द्र उस अहसान को चुकाने की कोशिश करते जो अर्जुन ने उन पर किया था। धर्मेन्द्र का मानना था कि इस अहसान का कर्ज वे कभी भी चुका नहीं सकते हैं, लेकिन उनकी थोड़ी-बहु्त कोशिश उनके दिल को सुकून देती थी। 
 
अर्जुन वे पहले फिल्मकार थे जब उन्होंने धर्मेन्द्र को अपनी फिल्म के लिए साइन किया था। मुंबई में अभिनेता बनने आए धर्मेन्द्र संघर्ष करते-करते हौंसला खो चुके थे। अकेले पड़ गए थे, तब अर्जुन ने उनके कंधों पर हाथ रखा था। 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' (1960) के लिए उन्होंने धर्मेन्द्र को साइन किया था जो उनकी पहली फिल्म थी। 
 
इसके बाद धर्मेन्द्र ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और सफलता की नई परिभाषा लिख दी। इन्हीं अर्जुन हिंगोरानी का जब 5 मई 2018 को वृंदावन में 92 वर्ष की उम्र में निधन हुआ तो धर्मेन्द्र बेहद दु:खी हो गए। उन्होंने ट्वीट कर अपने दु:ख का इज़हार भी किया। साथ में अर्जुन और अपना एक फोटो भी शेयर किया। 
 
दशकों तक हिंगोरानी फिल्में बनाते रहे। उन्होंने धर्मेन्द्र को लेकर 'कब क्यूं और कहा (1970), कहानी किस्मत की (1973), खेल खिलाड़ी का (1977), कातिलों के कातिल (1981), कौन करे कुर्बानी (1991) भी बनाई। उनकी फिल्मों के नाम में 'तीन के' आते थे। उनका विश्वास था कि इस तरह का नाम उन्हें सफलता दिलाता है। 'कैसे कहूं के... प्यार है' (2003) उनके द्वारा निर्मित अंतिम फिल्म थी। 'हाउ टू बी हैप्पी' और 'रियलाइज़ योअर ड्रीम्स' नामक उन्होंने दो किताबें भी लिखीं। 
 
ऋषि कपूर ने एक मजेदार बात बताई। उन्होंने अर्जुन और धर्मेन्द्र के साथ कातिलों के कातिल नामक फिल्म की थी। ऋषि ने ट्वीट कर बताया कि जब शॉट रेडी होता था तब अर्जुन अपने सहयोगी से कहते थे- 'ऋषि साहब को बुलाइए' और जब धर्मेन्द्र को बुलाना होता था तब वे चिल्लाते थे 'धरमेन को बुलाओ'। धर्मेन्द्र चुपचाप आपकर अर्जुन की सारी बातें मानते थे। 
 
धर्मेन्द्र के अलावा फिल्म अभिनेत्री साधना को लांच करने का श्रेय भी अर्जुन हिंगोरानी को जाता है। साधना को लेकर अर्जुन ने सिंधी फिल्म 'अबाना' (1958) निर्देशित की थी। 
ये भी पढ़ें
माधुरी दीक्षित ने बताया कौन-सा खान है उनका फेवरेट