गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. child education plan
Written By
Last Updated : सोमवार, 10 दिसंबर 2018 (16:22 IST)

बच्चों की पढ़ाई के लिए 50 लाख का इंतज़ाम ऐसे: धंधा पानी

बच्चों की पढ़ाई के लिए 50 लाख का इंतज़ाम ऐसे: धंधा पानी - child education plan
भारत के सबसे प्रतिष्ठित बिज़नेस स्कूल आईआईएम अहमदाबाद की 2019-20 के पाठ्यक्रम की दो साल की फीस 25 लाख रुपये है और इसमें जीएसटी और दूसरे अन्य चार्ज शामिल नहीं हैं। ये रकम दस साल पहले के मुक़ाबले लगभग दोगुनी है। यानी अगर इसी रफ़्तार से फ़ीस बढ़ती गई तो अगले कुछ सालों में ही ये रकम 50 लाख रुपये हो जाएगी।
 
 
ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ आईआईएम जैसे बिज़नेस स्कूल में ही ऐसा हाल हो। प्ले स्कूल, नर्सरी और स्कूल-कॉलेजो, इंजीनियरिंग या फिर मेडिकल सभी जगह फ़ीस के बढ़ने की रफ्तार तकरीबन ऐसी ही है।
 
 
तो ऐसा क्या किया जाए कि लाखों रुपये की फ़ीस भरने के लिए आपको अपनी ज़मीन जायदाद न बेचनी पड़े या फिर लोन के लिए बैंकों के लिए चक्कर न काटने पड़ें।
 
 
फाइनेंशियल एडवाइजर्स की सलाह है कि बच्चे के जन्म के साथ ही या उससे पहले भी इस बारे में फाइनेंशियल प्लानिंग कर लेनी चाहिए। सही समय पर प्लानिंग से ये लक्ष्य आसानी से हासिल हो सकता है।
 
 
एसोचेम सोशल डेवलपमेंट फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2005 में एक बच्चे का सालाना स्कूल खर्च अगर 55 हज़ार रुपये था तो वो 2015 तक बढ़कर डेढ़ लाख रुपये हो गया है। अध्ययन के मुताबिक 70 फ़ीसदी से अधिक पैरेंट अपनी टेकहोम सैलरी का 30 से 40 फ़ीसदी बच्चों की शिक्षा पर खर्च करते हैं।
 
 
हालाँकि ये अध्ययन दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे महानगरों में हुआ है, लेकिन दूसरे छोटे शहरों की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है।
 
 
एक अन्य अध्ययन के अनुसार पढ़ाई का खर्च सालाना औसतन 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। इस समय अगर पढ़ाई का खर्च ढाई लाख रुपये है तो 15 साल बाद यही खर्च 20 लाख रुपये हो जाएगा।
 
यानी अगर कोई पैरेंट अभी से 15 सालों तक हर महीने 2000 रुपये का निवेश करता है और इस पर औसत रिटर्न 12 फीसदी मान लें तो वह करीब साढ़े नौ लाख रुपये ही जोड़ पायेगा। तो फिर सवाल है कि कितनी रकम बचाई जाए और कहाँ निवेश की जाए।
 
 
-सबसे पहले देखें कि आप कितना कमाते हैं और कितनी बचत कर सकते हैं।
-बच्चे के जन्म से लेकर 3 साल तक आमतौर पर खर्च मेडिकल ज़रूरतों पर ही होता है
-इसके बाद प्री-स्कूल, स्कूल का नंबर आता है।
-आप जितनी जल्दी शुरू करते हैं, निवेश की रकम उतनी ही कम होगी
 
मसलन- अगर आप बच्चे के 18 साल का होने तक उसके लिए 50 लाख रुपये बचाना चाहते हैं तो ये कैसे संभव है। फाइनेंशियल एडवाइज़र के मुताबिक आमतौर इसे तीन तरह से हासिल किया जा सकता है।
 
 
पहला- इक्विटी यानी शेयरों में पैसा लगाकर- जैसे शेयर बाज़ार, म्यूचुअल फंड्स
दूसरा- शेयरों और डेट मार्केट में निवेश कर- जैसे, यूलिप
तीसरा- सिर्फ डेट योजनाओं में निवेश कर- जैसे पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना
 
शेयरों में निवेश जोखिम से भरा होता है, लेकिन फाइनेंशियल एडवाइज़र का कहना है कि इस जोखिम को कम करने के लिए म्यूचुअल फंड्स के एसआईपी बेहतर तरीका हो सकते हैं। अगर इस पर सालाना रिटर्न 12 फ़ीसदी मान लिया जाए तो हर महीने कितना निवेश
 
बच्चे के जन्म के समय से- 6550 रुपये
बच्चा जब 3 साल का हो तब से- 10,000 रुपये
बच्चा जब 9 साल का हो तब से- 25,700 रुपये
बच्चा जब 12 साल का हो तब से- 47,400 रुपये
 
शेयर-डेट मार्केट मिक्स में- अगर इस पर सालाना रिटर्न 10 फ़ीसदी मान लिया जाए तब हर महीने निवेश
 
बच्चे के जन्म के समय से- 8,300 रुपये
बच्चा जब 3 साल का हो तब से- 12,000 रुपये
बच्चा जब 9 साल का हो तब से- 28,500 रुपये
बच्चा जब 12 साल का हो तब से- 50,600 रुपये
 
डेट मार्केट में निवेश पर- अगर इस पर सालाना रिटर्न 8 फ़ीसदी मान लिया जाए तो हर महीने निवेश
 
बच्चे के जन्म के समय से- 10,400 रुपये
बच्चा जब 3 साल का हो, तब से- 12,000 रुपये
बच्चा जब 9 साल का हो तब से- 31,600 रुपये
बच्चा जब 12 साल का हो तब से- 54,000 रुपये
 
फाइनेंशियल एडवाइज़र का कहना है कि इन फ़ाइनेंशियल गोल्स को हासिल करने का एक अच्छा तरीका ये है कि जिस अनुपात में आपकी इनकम बढ़ती है, बचत भी उसी अनुपात में करनी चाहिए।
ये भी पढ़ें
मध्य प्रदेश के नतीजे आने में आख़िर इतनी देरी क्यों हुई?