कविता : भारत के वीर सपूत
सुशील कुमार शर्मा | शनिवार,अप्रैल 21,2018
तेईस मार्च को तीन वीर, भारतमाता की गोद चढ़े। स्वतंत्रता की बलवेदी पर,
कविता : मानवता
सुशील कुमार शर्मा | गुरुवार,मार्च 15,2018
मानवता अपना ले बंदे, मिट जाएंगे सारे फंदे। प्रभु ने तुझको जनम दिया है, तुझ पर ये उपकार किया है।
हिन्दी कविता : सियासत
सुशील कुमार शर्मा | गुरुवार,मार्च 15,2018
गरीब की रोटी से, लटकती सियासत, किसान खून से लथपथ सियासत
कभी सत्ता में, कभी विपक्ष में, सियासत
प्रवासी कविता : अपनी जड़ों से दूर
सुशील कुमार शर्मा | बुधवार,मार्च 7,2018
प्रवासी अपनी जड़ों से दूर बरगद की भांति फैलते हैं और उन जड़ों को सींचते हैं भारत के संस्कारों के पानी से।
महिला दिवस विशेष : पढ़ें नारी जीवन पर 3 कविताएं
सुशील कुमार शर्मा | बुधवार,मार्च 7,2018
नारी का सम्मान, बचाना धर्म हमारा, सफल वही इंसान, लगे नारी को प्यारा। जीवन का आधार, हमेशा नारी होती,
होली पर कविता : हर चेहरा खुशरंग है...
सुशील कुमार शर्मा | गुरुवार,मार्च 1,2018
होली के हुड़दंग का, बड़ा अजब है हाल, हर चेहरा खुशरंग है, जीवन बना गुलाल।
होली नवगीत : रंग दो पिया चुनरिया
सुशील कुमार शर्मा | गुरुवार,मार्च 1,2018
नवल किशोरी खेलत होरी
प्रीत कुसुम संग बंधी है डोरी, कान्हा ने जब बांह मरोरी, सखियां करती जोराजोरी
कविता : किन्नर कौन?
सुशील कुमार शर्मा | सोमवार,फ़रवरी 26,2018
किन्नर कौन? वो जो धर्म की आड़ में, अस्मत लूटता है।
हिन्दी कविता : सृष्टि
सुशील कुमार शर्मा | गुरुवार,फ़रवरी 22,2018
बिग बैंग विस्फोट संग, जन्मी सृष्टि महान। इसके पहले कौन था,
कहानी : जन्म और मृत्यु से परे मैं कौन हूं
सुशील कुमार शर्मा | मंगलवार,फ़रवरी 20,2018
कल कक्षा ग्यारहवीं में मैं स्वामी रामतीर्थ की कविता 'waves on the sleepless sea' पढ़ा रहा था। इस कविता में प्रकृति स्वयं ...