वर्ष 2009: नौकरी के सूखे से नियुक्ति की हरियाली तक
नौकरी के बाजार की शुरुआत 2009 में जैसी हुई उससे बुरी शुरुआत किसी साल की नहीं हो सकती लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरे उम्मीदों की किरण दिखने लगी। मंदी के दौरान लाखों लोगों ने अपना रोजगार गँवाया।वित्तीय संकट का दायरा सिकुड़ रहा है। ऐसे में रोजगार में कमी के हालात में भी सुधार हुआ है। इस साल की शुरूआत में रोजाना करीब 9,000 हजार लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा था।कर्मचारियों को निकालने की प्रक्रिया ने कई नाम ग्रहण किए। कुछ ने इसे छँटनी कहा तो कुछ ने इस नौकरी से निकालना जबकि अन्य ने इसे कर्मचारियों की संख्या को सुव्यवस्थित करना कहा।मंदी का असर सबसे ज्यादा आईटी क्षेत्र के रोजगार पर पड़ा। वर्ष 2009 के दौरान हालात यह हो गए थे कि कोई भी छात्र कंप्यूटर साइंस और आईटी विषय लेने को तैयार नहीं था और कॉलेजों में इस विषय की माँग में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। कंपनियों ने छँटनी के लिए लागत बचाने और माँग में कमी को वजह बताया। अब अर्थव्यवस्थाओं में सुधार के बीच रोजगार में कटौती का रुख भी बदल रहा है। अमेरिका और जापान जैसे विकसित देशों की वृद्धि के आँकड़ों ने भी रोजगार बाजार को प्रभावित किया है।भारत में बेहतर स्थिति को प्रतिबिंबित करते हुए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने कहा कि सरकार के प्रोत्साहन पैकेज से तीसरी तिमाही में पाँच लाख रोजगार पैदा किए गए। ऋण के हालात में सुधार ने कंपनियों को ऐसी नई निवेश योजना के साथ सामने आने में मदद की जो अपेक्षाकृत रोजगार के अधिक मौके पैदा करें। नियुक्ति कंपनी टीमलीज सर्विसेज के उपाध्यक्ष ए आर राजेश ने श्रम बाजार के बारे कहा कि आने वाले महीनों में विशेष तौर पर स्वास्थ्य, दवा और संचार जैसे क्षेत्रों में नियुक्ति बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि शीर्ष स्तर पर नियुक्तियाँ बहुत अधिक होगी हालाँकि संख्या से पूरे हालात का अंदाजा नहीं मिलता।उन्होंने कहा ‘फ्रंटलाइन, बिक्री और उपभोक्ताओं से जुड़ी गतिविधियाँ ऐसे क्षेत्र होंगे जिसमें ठीक-ठाक नियुक्तियाँ होंगी।’ अपनी अर्थव्यवस्थओं को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारों ने जो भारी-भरकम व्यय किए हैं इससे हजारों की तादाद में रोजगार पैदा हुए हैं। संकट से सबसे बुरी तरह प्रभावित अमेरिका में न सिर्फ नौकरी से छँटनी की दर में कमी आई बल्कि स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में नए रोजगार भी पैदा हुए हैं।फिर भी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ रोजगार के अवसरों के संबंध में पैदा आशावाद के प्रति सतर्क कर रही हैं। उनका कहना है कि प्रोत्साहन पैकेज की वापसी से रोजगार में बढ़ोतरी कम दर से होगी। अपनी रपट में आईएलओ ने आगाह किया कि यदि प्रोत्साहन पैकेज वापस ले लिया जाता है तो 50 लाख से ज्यादा रोजगार खत्म होंगे।हाल ही में आई नौकरी डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार नियुक्ति सूचकांक में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2009 के बाद रोजगार इंडेक्स का ये उच्चतम स्तर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरों के हिसाब से किए गए विश्लेषण से भी रोजगार बाजार में सुधार दिखाई देता है। देश के 13 प्रमुख शहरों में से नौ में रोजगार सूचकांक बढ़ा है। पुणे में नियुक्ति गतिविधियों में 18. 04 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इससे पिछले चार माह के दौरान इसमें लगातार गिरावट आई थी।नवंबर के दौरान दिल्ली में नियुक्ति गतिविधियों में 4.82 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जबकि मुंबई में यह वृद्धि 9.93 प्रतिशत, हैदराबाद में 11.21 प्रतिशत तथा बेंगलूर में 8.46 प्रतिशत रही। हालाँकि, दूसरी श्रेणी के शहरों में कोयंबटूर में नियुक्ति गतिविधियों में 14.26 प्रतिशत तथा चंडीगढ़ में 10.07 प्रतिशत की गिरावट आई। बहरहाल भारत रोजगार के क्षेत्र में मंदी से जिस तरह लड़ा है वह उत्साहवर्धन करने वाला है। (भाषा)