रविवार, 28 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. योग
  3. योग मुद्रा
  4. ज्ञान बढ़ाए ज्ञानमुद्रा
Written By अनिरुद्ध जोशी

ज्ञान बढ़ाए ज्ञानमुद्रा

gyan mudra yoga | ज्ञान बढ़ाए ज्ञानमुद्रा
ज्ञान क्या है? अष्टावक्र ने जनक से कहा कि जो-जो अज्ञान है उसे जान लेना ही ज्ञान है। अधिकतर लोगों को यही नहीं मालूम होता है कि उनके कृत्य, विचार या दिनचर्या कितनी अव्यवस्थित या अज्ञानपूर्ण है। अर्थात यंत्रवत या बेहोशी से भरी जिंदगी।
 

महत्व : योग में ज्ञानमुद्रा इसलिए शक्तिशाली कही गई है ‍क्योंकि यह आपकी तंद्रा को तोड़ती है। हाथों की ग्रंथियों का संबंध हमारे मस्तिष्क से होता है। दाएँ हाथ का संबंध बाएँ और बाएँ हाथ का संबंध दाएँ मस्तिष्क से माना गया है। ज्ञानमुद्रा से मस्तिष्क के सोए हुए तंतु जाग्रत होकर मानव के होश को बढ़ाते हैं। ज्ञान का अर्थ ढेर सारी जानकारी या वैचारिकता से नहीं बल्कि होश से है। होशपूर्ण व्यक्तित्व के चित्त पर किसी भी प्रकार के कर्म या विचारों का दाग नहीं बनता।
 
 
विधि : अँगूठे को तर्जनी (इंडेक्स) अँगुली से स्पर्श करते हुए शेष तीन अँगुलियों को सीधा तान दें। इस मुद्रा के लिए कोई विशेष समय अवधि नहीं है। सिद्धासन में बैठकर, खड़े रहकर या बिस्तर पर जब भी समय मिले आप इसका अभ्यास कर सकते हैं। 
 
लाभ : ज्ञानमुद्रा ज्ञान को बढ़ाती है। अँगुलियों के दोनों ओर की ग्रंथियाँ सक्रिय रूप से कार्य करती हैं। इससे मस्तिष्क तेज और स्मृति शक्ति बढ़ती है। यह मुद्रा एकाग्रता को बढ़ाकर अनिद्रा, हिस्टीरिया, गुस्सा और निराशा को दूर करती है। यदि इसका नियमित अभ्यास किया जाए तो सभी तरह के मानसिक विकारों तथा नशे की आदतों से मुक्ति मिल सकती है। इसके अभ्यास से मन प्रसन्न रहता है।
ये भी पढ़ें
पृथ्वी मुद्रा