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Written By ND

'एनडीए में जाना ऐतिहासिक भूल'

रामविलास से 'डॉयचे वेले' की बातचीत

''एनडीए में जाना ऐतिहासिक भूल'' -
गठबंधन की राजनीति और सियासी जोड़-तोड़ में माहिर समझे जाने वाले रामविलास पासवान एनडीए से हाथ मिलाने को अपनी सबसे बड़ी गलती मानते हैं। वे इसे 'ऐतिहासिक भूल' बताते हैं और कहते हैं कि दोबारा ऐसी गलती नहीं होगी।

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जर्मन रेडियो 'डॉयचे वेले' के साथ खास बातचीत में केंद्रीय इस्पात मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अध्यक्ष पासवान ने कहा कि बिहार के हालात को देखकर 1999 में हमने एनडीए में जाने का फैसला किया।

बाद में गुजरात मुद्दे पर समर्थन वापस ले लिया। लेकिन, मैं मानता हूँ कि एनडीए में जाना ऐतिहासिक भूल थी। ब्लंडर था और दोबारा ऐसी गलती नहीं होगी। पासवान 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र सरकार में शामिल थे। लेकिन बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

रामविलास पासवान की एलजेपी और लालू यादव की आरजेडी में इस बार लोक सभा चुनाव के लिए सीटों का तालमेल हो गया है। पासवान ने बताया कि उन्होंने लालू यादव के साथ लंबा राजनीतिक गठबंधन किया है और अगले साल के राज्य विधानसभा चुनाव में भी मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

केंद्रीय इस्पात मंत्री को कांग्रेस के साथ चुनावी तालमेल न हो पाने का अफसोस है। उन्होंने 'डॉयचे वेले' से कहा कि हम लोग चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ते, गठबंधन के सिलसिले में मुझसे कोई बातचीत नहीं हो रही थी। बातचीत लालू यादव के साथ हो रही थी, लेकिन गुस्से में जहर नहीं खाना चाहिए।

अगर तीन सीट की बात कही गई थी तो सीटें बढ़ भी सकती थीं। एलजेपी और आरजेडी में जो शुरुआती करार हुआ था, उसके मुताबिक कांग्रेस के लिए बिहार की 40 में से सिर्फ तीन सीटें छोड़ी गई थीं। कांग्रेस ने इसे नहीं माना और बिहार में अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया।

मायावती मौकापरस्त : बरसों से दलित राजनीति की पहचान बने रामविलास पासवान ने एक और दलित नेता उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती से किसी भी तरह के तालमेल से इंकार कर दिया। उन्होंने मायावती को मौकापरस्त करार देते हुए कहा कि मायावती के पास कोई विजन नहीं है। उनका एक ही विजन है कि कुर्सी प्राप्त करो।

पहले जिस मनुवाद और ब्राह्मणवाद को गाली देती थीं, आज उसे ही गले लगाए बैठी हैं। हालाँकि पासवान समझते हैं कि बीएसपी के संस्थापक कांशीराम के पास दूरदर्शिता थी और उनके साथ दलितों को एक मंच पर लाया जा सकता था।

अपराधीकरण पर अंकुश मुश्किल : 'डॉयचे वेले' के एक सवाल पर राजनीति के अपराधीकरण के लिए पासवान ने सीधे-सीधे राष्ट्रीय पार्टियों को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि जब तक कांग्रेस और भाजपा इन पर लगाम नहीं लगाएँगी, तब तक इन पर अंकुश लगा पाना मुश्किल होगा।

हालाँकि खुद पासवान की एलजेपी पार्टी से भी कई दागी नेता जुड़े हुए हैं, जिनमें सूरजभान भी शामिल हैं। अदालत ने इस बार सूरजभान के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है।

भाजपा को कमजोर करना हमारा मकसद : इसके बावजूद रामविलास पासवान कांग्रेस और यूपीए से जुड़ा रहना चाहते हैं। वे मनमोहनसिंह को सिर्फ कांग्रेस का नहीं, बल्कि यूपीए का प्रधानमंत्री मानते हैं और कहते हैं कि अगली बार भी उन्हीं के नेतृत्व में सरकार बनेगी।

पासवान कहते हैं कि वे ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे कांग्रेस को घाटा पहुँचे। उनका कहना है कि चौथे मोर्चे यानी हमारे, लालूजी और मुलायमजी के मोर्चे का मुख्य उद्देश्य भाजपा को कमजोर करना है। एनडीए को हराना मेरा टारगेट है और कांग्रेस कभी भी मेरा टारगेट नहीं है।