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Last Updated : गुरुवार, 6 सितम्बर 2018 (18:08 IST)

कौन है यह IAS अफसर जो पहचान छिपाकर दिन-रात बाढ़ पीड़ितों के लिए करता रहा काम..

कौन है यह IAS अफसर जो पहचान छिपाकर दिन-रात बाढ़ पीड़ितों के लिए करता रहा काम.. - IAS Officer toiled for Kerala Flood Victims without letting anyone know
कुछ दिन पहले कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वरा द्वारा अपने गनमैन से अपनी पैंट पर लगी कीचड़ साफ करवाने की खबर पढ़कर बहुत गुस्सा आया था कि लोग अपने ओहदे का किस प्रकार दुरुपयोग करते हैं, लेकिन आज एक IAS अफसर की सच्ची नि:स्वार्थ सेवा की खबर पढ़कर मन खुश हो गया। सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हो रही है कि IAS अफसर कन्नन गोपीनाथन ने अपनी पहचान छुपाकर आठ दिनों तक केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद की।



क्या है पूरा मामला..

कन्नन गोपीनाथन 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और इस वक्त वो दादरा एवं नागर हवेली में कलेक्टर के पद पर तैनात हैं। मूल रूप से वह केरल के कोट्टयम के रहने वाले हैं। गोपीनाथ 26 अगस्त को केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में देने के लिए दादरा नगर हवेली की ओर से एक करोड़ रुपए का चेक देने केरल पहुँचे थे। लेकिन चेक सौंपने के बाद वापस लौटने की बजाय 32 वर्षीय कन्नन ने वहीं रुककर अपने लोगों की मदद करने का फैसला किया। यहाँ कन्नन अलग-अलग राहत शिविरों में सेवा देते रहे। इस दौरान उन्होंने किसी को जाहिर नहीं होने दिया कि वह दादरा नगर हवेली के जिला कलक्टर हैं।

एक IAS अफसर होते हुए भी कन्नन ने लोगों के घर की सफाई तक में मदद की। कई लोगों को उनके घर तक पहुँचाया। उन्होंने इस दौरान राहत सामग्रियों को पीठ पर लादकर खुद ही ट्रकों पर चढ़ाया और उतारा भी।

वो अपनी पहचान उजागर न करते हुए पिछले 8 दिनों से राहत शिविरों में काम कर रहे थे। लेकिन एक दिन जब एर्नाकुलम के कलेक्टर ने केबीपीएस प्रेस सेंटर का दौरा किया तो उन्होंने शिविरों में काम कर रहे कन्नन को पहचान लिया। तब जाकर उनकी पहचान उजागर हुई कि वो एक आईएएस अधिकारी हैं। इसके बाद वहां मौजूद सभी लोग कन्नन की पहचान उजागर होते ही हैरान हो गए।

कन्नन के इस सराहनीय काम के लिए लोग उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं। इसके अलावा आईएएस एसोसिएशन ने भी कन्नन की सराहना की है।

कन्नन ने पहचान उजागर होने के बाद अफसोस जताते हुए कहा कि यह दुखद है कि लोग पता चलते ही उन्हें हीरो की तरह बर्ताव करने लगे। गोपीनाथ इसके बाद बिना किसी को बताए राहत शिविर से चले गए।
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