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घर की किस्मत बदलने के चमत्कारिक टोटके

घर की किस्मत बदलने के चमत्कारिक टोटके - ghar ka vastu dosh ke upay
ईश्वर सर्वशक्तिमान है। ग्रह-नक्षत्र और देवी-देवता सभी उसके अधीन है। ईश्वर के बाद ईश्वर की प्रकृति महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार प्रकृति ने रोग, शोक या अन्य घटना, दुर्घटना को प्रदान किया उसी प्रकार उसने उक्त सभी से बचने के उपाय भी दिए हैं। प्रकृति में ही है वह उपाय जिससे आप अपनी सकारात्मक ऊर्जा का विकास कर अपने भाग्य को जागृत कर सकते हैं। यदि आप भाग्यशाली हैं लेकिन आपका घर दुर्भाग्य पैदा कर रहा है तो कैसे तालमेल संभव होगा?
जरूरी नियम : सबसे पहले घर का सही जगह और सही दिशा में होना जरूरी है। प्राचीनकाल में घर के वास्तु का बहुत ध्यान रखा जाता था। यदि वास्तु सही है तो आपके ग्रह-नक्षत्र भी सही रहेंगे और आपका भाग्य और चमक जाएगा। जो लोग वास्तु विज्ञान पर विश्वास नहीं करते हैं उनको कुछ समय के लिए आग्नेय कोण के मकान में और कुछ समय के लिए ईशान कोण के मकान में रहना चाहिए। फर्क समझ में आ जाएगा।

 
आपके घर की किस्मत बदलेंगे तो आपकी किस्मत खुद-ब-खुद चमक जाएगी। यदि संकट से मुक्ति, धन, समृद्धि, खुशी, शांति और तरक्की चाहते हैं तो हमारे बताए उपाय करें। आपकी किस्मत बदल जाएगी।
 
पहला चमत्कारिक टोटका...
 

घर हो वास्तु अनुसार : घर का द्वार पूर्व, ईशान, उत्तर, वायव्य और पश्चिम दिशा में से किसी एक में होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो किसी वास्तुशास्त्री से सलाह लें। मुख्य द्वार की दिशा ही घर को शुभ या अशुभ नहीं बनाती। किसी भी वास्तु विचार के लिए जल, अग्नि एवं वायु का ध्यान रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। यदि घर का समस्त वास्तु ठीक व नियम के अनुसार हो, तो सिर्फ दिशा का महत्व कम हो जाता है। हां! खराब समय में दक्षिण मुखी घर ज्यादा कष्ट दे सकता है। यदि आपका घर आग्नेय, दक्षिण या नैऋत्य दिशा में है तो यह उपाय करें।
*दक्षिण दिशा के लिए : द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने। इससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक उर्जा पलटकर वापस चली जाती है। द्वार के ठीक सामने आशीर्वाद मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाने से भी दक्षिण दिशा की ओर मुख्य द्वार का वास्तुदोष दूर होता है। मुख्य द्वार के ऊपर पंचधातु का पिरामिड लगवाने से भी वास्तुदोष समाप्त होता।
 
सभी दिशाओं के लिए : दरवाजे के ऊपर भगवान गणेश का चित्र और दाएं-बाएं स्वस्तिक के साथ लाभ-शुभ लिखा हो। दरवाजे के उपर वंदनवार लगाएं। दरवाजा जितना सुंदर, मजबूत और अच्छा होगा उतना उत्तम होगा। घर के अंदर आग्नेय कोण में किचन, ईशान में प्रार्थना-ध्यान का कक्ष हो, नैऋत्य कोण में शौचालय, दक्षिण में भारी सामान रखने का स्थान आदि हो।
 
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घर का फर्श : घर का फर्श बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें किस तरह की टाइल्स लगाएं और किस रंग की लगाएं यह जरूरी है। ऐसी टाइल्स न लगाएं जो गर्मी के लिए तो उत्तम हो लेकिन ठंड में अत्यधिक ठंडी हो। फर्श वास्तु अनुसार होना चाहिए। घर में फर्श के लिए हल्के पीले या सफेद रंग के संगमरमर का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है। संगमरमर नहीं लगा रहे हैं तो पीले, लाल, गेरुएं रंग की सेरेमिक, विनाइल और वुडन टाइल्स भी श्रेष्ठ है। यदि ऐसा नहीं हो तो क्या करें...
*हर रूप के लिए अलग-अलग रंगों का सुंदर सा करपेट लाएं और उसे बिछाएं। उस कारपेट की प्रतिदिन अच्छे से साफ रखें।
 
*सप्ताह में एक बार समुद्री नमक को पानी में घोलकर फर्श पर उसका पोछा लगाएं।
*घर के प्रत्येक रूप के मध्य में मांडना मांडे। घर के द्वार के बाहर रंगोली बनाए। रंगोली या मांडना हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति की समृद्धि के प्रतीक हैं। इससे घर परिवार में मंगल रहता है।
 
* आपके घर में किसी कमरे, किचन या अन्य किसी स्थान की टाइल्स टूटी हुई है तो उसे जल्दी ठीक कराना चाहिए, क्योंकि टूटी टाइल भी वास्तुशास्त्र के हिसाब से ठीक नहीं मानी जाती।
 
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अनावश्यक वस्तुओं को करें घर से बाहर : घर के भीतर अनावश्यक वस्तुएं नहीं रखें। जैसे बंद पड़ी घड़ी, खराब टीवी, रद्दी, सेल, टूटे ‍पेन, कचरे, फालतू के चप्पल जूते की थैली आदि।

घर का अटाला जहां नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है, वहीं घर में रखे गमले के पौधे भी आपके जीवन को संकट में डाल सकते हैं यदि वे कांटेदार या नकारात्मक ऊर्जा वाले हैं तो। उसी तरह यदि घर में लौह तत्व की अधिकता है, तब भी जीवन संघर्षमय बन सकता है।
 
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पूजा घर हो कैसा : घर में ढेर सारे देवी और देवताओं के चित्र या मूर्तियां न रखें। इससे वास्तुदोष निर्मित होगा और आपका मन भी भटकेगा। छोटा सा पूजाघर हो जिसमें एक शिवलिंग, एक शालिग्राम, गणेशजी, दुर्गा, राम और कृष्‍ण की छोटी-छोटी एक पीतल की मूर्ति, एक गरुढ़ घंटी हो बस। भगवान के चित्रों में राधाकृष्ण का चित्र शयनकक्ष में, राम दरबार का चित्र बैठक रूम में लगा सकते हैं।

 
वास्तु के अनुसार भगवान के लिए उत्तर-पूर्व की दिशा श्रेष्ठ रहती है। इस दिशा में पूजाघर स्थापित करें। यदि पूजाघर किसी ओर दिशा में हो तो पानी पीते समय मुंह ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा की ओर रखें। पूजाघर के ऊपर या नीचे की मंजिल पर शौचालय या रसोईघर नहीं होना चाहिए, न ही इनसे सटा हुआ। सीढ़ियों के नीचे पूजा का कमरा बिलकुल नहीं बनवाना चाहिए। यह हमेशा ग्राउंड फ्लोर पर होना चाहिए, तहखाने में नहीं। पूजा का कमरा खुला और बड़ा बनवाना चाहिए।
 
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ईशान कोण को सुंदर और साफ रखें : घर का ईशान कोण हमेशा खाली रखें या उसे जल का स्थान बनाएं। यहां पूजा घर भी बना सकते हैं। यहां पर मछलीघर भी रख सकते हैं। यहां पर सुंदर फूलों से सजा गमला भी रख सकते हैं।
 
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घर का वातावरण हो सुगंधित : घर में मधुर सुगंध और संगीत से वातावरण को अच्छा बनाएं। रात्रि में सोने से पहले घी में तर किया हुआ कपूर जला दें। घर में गुग्गल का ही धुंआ करें लोबान का नहीं। अगरबत्ती जलाकर सुगंधित वातावरण न करें। अगरबत्ती बांस से बनी होती है। बांस जलने से दुर्भाग्य निर्मित होता है।
 
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घर की छत : 9.घर की छत में किसी भी प्रकार का उजालदान ना रखें। घर की छत पर बांस या किसी भी प्रकार का अटाला न रखे। छत को साफ सुधरा रखें। 
 
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घर का ध्वज : घर के उपर वायव्य कोण में स्वास्तिक या ॐ लगा हुआ केसरिया ध्वज लगाकर रखें। इससे यश, कीर्ति और विजय मिलती है। ध्वजा या झंडा लगाने से घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक व दोष का नाश होता है और घर की सुख व समृद्धि बढ़ती है।
 
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घर में रखें ये वस्तुएं: भाग्यवर्धक वस्तुएं:-
घर में पवित्र और ऊर्जावान वस्तुएं रखने से घर के सदस्यों के दिमाग भी शांत और प्रगतिशील रहते हैं। घर में ऐसी कोई नकारात्मक वस्तु नहीं होना चाहिए, जो घर की शांति भंग करे। 
 
1. रुद्राक्ष, 2.शंख, 3.घंटी, 4.स्वस्तिक का चिह्न, 5.ऊं का लॉकेट, 6.कलश, 7.गंगाजल, 8.मौली (कलाई पर बंधने वाला नाड़ा), 9.कमल गट्टे, तुलसी या रुद्राक्ष की माला, 10. दीवार पर लगा प्रकृति का चित्र या हंसमुख परिवार का चित्र और 11. अधिक से अधिक पीतल और तांबे के बर्तन।
 
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हिंदू धर्म का वृक्ष से गहरा नाता है। हिंदू धर्म को वृक्षों का धर्म कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि हिंदू धर्म में वृक्षों का जो महत्व है वह किसी अन्य धर्म में शायद ही मिले। इस ब्रह्मांड को उल्टे वृक्ष की संज्ञा दी है। पहले यह ब्रह्मांड बीज रूप में था और अब यह वृक्ष रूप में दिखाई देता है। प्रलय काल में यह पुन: बीज रूप में हो जाएगा।
 
घर के आसपास हो भाग्यवर्धक पौधे :- 1. केला, 2.तुलसी, 3.मनी प्लांट, 4.अनार, 5.पीपल, 6.बड़, 7.आम, 8.जामफल, 9.कड़ी पत्ता और 10.नीम