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नज़्म : 'तख़लीक़'
जमील क़ुरेशी बांदवी जिसके हाथों ने बनाया है तुझे चाँद से उसने चमक ली होगी, तेरे पैकर की शबाहत के लिएऔर तारों से दमक ली होगी, तेरे चेहरे की मलाहत के लिएले के घंगोर घटाएँ उसने, तेरी ज़ुल्फ़ों को नमी दी होगीलेके फूलों से अदाएँ उसने, तेरे होंटों को हँसी दी होगी मरमरीं ताक़ में दीपक रख कर, तेरी आँखों को बनाया होगासुर्मा-ए-च्श्म की ख़ातिर उसने, फिर कोई तूर जलाया होगा जिसके हाथों ने बनाया है तुझे, सालहासाल तो सोचा होगाऔर फिर उसने बनाकर तुझको, मुद्दतों प्यार से देखा होगा