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Last Updated :लखनऊ , रविवार, 12 फ़रवरी 2017 (14:58 IST)

यूपी का रण: दिग्गज नेता चुनाव अभियान से नदारद

यूपी का रण: दिग्गज नेता चुनाव अभियान से नदारद - UP election : Senior leaders are not in election campaign
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार एक बड़ा बदलाव देखने को मिला जहां पार्टियों के दिग्गज एवं वरिष्ठ नेताओं की जगह पहले दो चरण में प्रचार की कमान युवा पीढ़ी के हाथों में दिखी। राज्य में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अभी तक प्रचार अभियान से नदारत रहे हैं।
 
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का पहला चरण समाप्त होने और कल दूसरे चरण का प्रचार थमने तक कोई वरिष्ठ नेता प्रचार करता नजर नहीं आया।
 
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के चुनाव पूर्व गठबंधन के बाद से अखिलेश यादव और राहुल गांधी ही चुनाव अभियान की बागडोर संभाले दिख रहे हैं।
 
मुलायम सिंह ने जहां खुद को पहले दो चरणों में प्रचार से अलग रखा, वहीं सोनिया गांधी खराब सेहत के चलते प्रचार का हिस्सा नहीं बन पाई।
 
पारिवारिक विवाद के बाद सपा नेता शिवपाल यादव ने भी पार्टी के लिए प्रचार न करने की ठानी और खुद को अपने विधानसभा क्षेत्र जसवंत नगर (एटा) तक ही सीमित रखा।
 
शिवपाल ने प्रचार के दौरान पार्टी में चल रहे विवाद के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए 11 मार्च को एक नई पार्टी का गठन करने का ऐलान भी किया है । 11 मार्च को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे।

पूर्व में सपा के स्टार प्रचारक रहे अमर सिंह और जया प्रदा भी इस बार चुनाव अभियान से गायब रहे। एक अंदरूनी सूत्र के मुताबिक पार्टी को उनकी अब और जरूरत भी नहीं है। अखिलेश ने एक जनवरी को यहां हुए सपा के अधिवेशन में अमर सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया था और यह राजनीतिक परिदृश्य से उनके एवं जया के दूर रहने का कारण भी हो सकता है।
 
सपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा भी प्रचार से नदारद हैं। उनके बेटे राकेश वर्मा को बाराबंकी की राम नगर सीट से टिकट देने से इंकार कर दिया गया था।
 
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवाणी ने भी उत्तर प्रदेश में अभी तक एक भी बैठक को संबोधित नहीं किया है। बॉलीवुड अभिनेता शत्रुघन सिन्हा भी इस साल प्रचार अभियान से गायब हैं।
 
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केसरी नाथ त्रिपाठी भी क्रमश: राजस्थान और पश्चिम बंगाल में राज्यपाल के पद पर काबिज होने के कारण प्रत्यक्ष राजनीति से दूर हैं। (भाषा) 
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