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Last Updated : शुक्रवार, 23 जुलाई 2021 (12:19 IST)

2008 में ब्रॉन्ज, 2012 में सिल्वर मेडल, 2021 में जेल में देखेंगे ओलंपिक का हाल- सुशील कुमार

2008 में ब्रॉन्ज, 2012 में सिल्वर मेडल, 2021 में जेल में देखेंगे ओलंपिक का हाल- सुशील कुमार - Sushil kumar to watch Tokyo olympics behind the bars
नई दिल्ली:जीवन भी कैसे कैसे दिन दिखाता है। अब सुशील कुमार को ही देख लीजिए 9 साल पहले लंदन ओलंपिक में वह पहलवानी में रजत पदक जीतकर आजाद भारत के इकलौते डबल ओलंपिक मेडलिस्ट थे और आज वह सलाखों के पीछे हैं।

अगर सागर हत्याकांड जैसी घटना उनके साथ नहीं होती तो वह टोक्यो में भारतीय दल के ध्वजवाहक भी हो सकते थे। लेकिन कहते हैं ना जिंदगी पीछे जाकर गलतियां सुधारने का मौका नहीं देती। बीजिंग ओलंपिक 2008 में कांस्य पदक, लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक और अब जेल की सलाखों के अंदर टोक्यो ओलंपिक देखेंगे सुशील कुमार।

दिल्ली जेल प्रशासन ने तिहाड़ जेल में बंद दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को 23 जुलाई से शुरू हो रहे ओलंपिक खेल से पहले बृहस्पतिवार को अपने वार्ड के साझा क्षेत्र में टेलीविजन देखने की अनुमति दे दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
 
दो जुलाई को कुमार ने पहलवानी के मैचों तथा जेल के बाहर की अन्य गतिविधियों से अपने आपको को रूबरू रखने के लिए अपने वकील के मार्फत जेल प्रशासन से उसे टेलीविजन उपलब्ध कराने की अपील की थी। कोविड-19 के साये में ओलंपिक खेल टोक्यो में 23 जुलाई से शुरू होगा।
महानिदेशक (दिल्ली जेल) संदीप गोयल ने कहा, ‘‘ हमने सुशील कुमार को अन्य लोगों के साथ अपने वार्ड के साझा क्षेत्र में टेलीविजन देखने की अनुमति दे दी है क्योंकि कल से ओलंपिक शुरू होने वाला है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘उसने पहलवानी के मैचों तथा जेल के बाहर की अन्य गतिविधियों से अपने आपको को रूबरू रखने के लिए अपने वकील के मार्फत अनुरोध किया था।’’
 
कुमार को दिल्ली के मुंडका क्षेत्र से 23 मई को सह आरोपी अजय कुमार के साथ गिरफ्तार किया गया था। उसने और उसके साथियों ने किसी संपत्ति विवाद के चलते चार और पांच मई की दरम्यानी रात को छत्रसाल स्टेडियम में पहलवान सागर धनखड़ (23) एवं उसके दो मित्रों को कथित रूप से पीटा था। बाद में धनखड़ की मौत हो गयी।
 
पिछले महीने दिल्ली की एक अदालत ने कुमार की विशेष भोजन एवं पूरक आहार की मांग संबंधी अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि ये ‘अनिवार्य जरूरतें’नहीं हैं।(भाषा)