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Written By WD News Desk
Last Updated : मंगलवार, 6 अगस्त 2024 (14:02 IST)

Hariyali Teej 2024 Katha: स्वयं शिवजी ने माता पार्वती को सुनाई थी हरियाली तीज की यह पौराणिक व्रत कथा

Hariyali Teej 2024 Katha: स्वयं शिवजी ने माता पार्वती को सुनाई थी हरियाली तीज की यह पौराणिक व्रत कथा - Hariyali Teej 2024 Vrat Katha
Hariyali teej 
 
Highlights 
 
हरियाली तीज की व्रत कथा यहां पढ़ें।
शिव जी के मुख से जानें तीज की व्रत कथा।
हरियाली तीज की पौराणिक कथा। 
Hariyali teej katha : वर्ष 2024 में हरियाली तीज का पर्व 07 अगस्त, दिन बुधवार को मनाया जा रहा है। इस व्रत के धार्मिक महत्व के अनुसार इस दिन सुहागिन महिलाएं स्वयं सजधज कर, हाथों में मेहंदी लगाकर और 16 श्रृंगार करके बड़े ही उत्साहपूर्वक इस पर्व को मनाती हैं और माता पार्वती जी को श्रृंगार सामग्री अर्पित करती हैं। इस त्योहार पर उपवास रखकर शिव-पार्वती जी की पूजा की जाती हैं। अत: सुहागिनें अपने पति की रक्षा, लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए व्रत रखती हैं तथा इसकी कथा पढ़ती है। 
 
धार्मिक मान्यतानुसार भारत भर में विशेष तौर पर मनाया जाने वाला हरियाली तीज पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मतानुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या से ही देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया।

तो आइए यहां आपके लिए प्रस्तुत हैं हरियाली तीज के पावन पर्व की प्रामाणिक एवं पौराणिक व्रत कथा- 
हरियाली तीज की पौराणिक कथा-कहानी : Hariyali Teej Vrat Katha 2024 
 
हरियाली तीज व्रत की कथा के अनुसार माता गौरी ने पार्वती के रूप में हिमालय के घर पुनर्जन्म लिया था। माता पार्वती बचपन से ही शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने कठोर तप किया। एक दिन नारद जी पहुंचे और हिमालय से कहा कि पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं।
 
यह सुन हिमालय बहुत प्रसन्न हुए। दूसरी ओर नारद मुनि विष्णु जी के पास पहुंच गए और कहा कि हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराने का निश्चय किया है। इस पर विष्णु जी ने भी सहमति दे दी। इसके बाद नारद जी माता पार्वती के पास पहुंच गए और बताया कि पिता हिमालय ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया है। 
 
यह सुन पार्वती बहुत निराश हुईं और पिता से नजरें बचाकर सखियों के साथ एक एकांत स्थान पर चली गईं। घने और सुनसान जंगल में पहुंच कर माता पार्वती ने एक बार फिर तप शुरू किया। उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और उपवास करते हुए पूजन शुरू किया। 
 
भगवान शिव इस तप से प्रसन्न हुए और मनोकामना पूर्ण करने का वचन दिया। इस बीच माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय भी वहां पहुंच गए। वह सत्य बात जानकर माता पार्वती की शादी भगवान शिव से कराने के लिए राजी हो गए। शिव इस कथा में बताते हैं कि बाद में विधि-विधान के साथ उनका पार्वती के साथ विवाह हुआ। 
शिव कहते हैं, 'हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था, उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। अत: इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्रियों को मैं मनोवांछित फल देता हूं।' और उनके सुहाग को आयु, सेहत और सुख-सौभाग्य का आशीष प्रदान करता हूं। अत: इस दिन व्रत रखने से जीवन में खुशियां बनी रहती है और हरियाली तीज के दिन उपवास रखकर पूजन के पश्चात यह व्रत कथा सुननी अथवा पढ़नी चाहिए।
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