रविवार, 28 अप्रैल 2024
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Written By भाषा

कॉमनवेल्थ में भारत दूसरे स्थान पर

कॉमनवेल्थ में भारत दूसरे स्थान पर -
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बैडमिंटन के महिला एकल मुकाबले में साइना नेहवाल और युगल मुकाबले में ज्वाला गुट्टा तथा अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी ने सोने का तमगा जीतकर कॉमनवेल्थ गेम्स की पदक तालिका में इंग्लैंड को पछाड़कर भारत को दूसरे स्थान पर पहुँचा दिया। इस तरह भारत ने आखिरकार कुल जीते पदकों का शतक लगा दिया।

खेलों के आखिरी दिन भारत के लिए खुशखबरी बैडमिंटन के मुकाबलों से ई, लेकिन पुरुष हॉकी में भारत को निराशा हाथ लगी जब उसे फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी।

कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान पूरे समय ऑस्ट्रेलिया का ही दबदबा रहा। खेलों का समापन होने तक ऑस्ट्रेलिया 74 स्वर्ण, 54 रजत और 48 काँस्य सहित कुल 176 पदकों के साथ पहले स्थान पर रहा।

वहीं, भारत दूसरे स्थान पर रहा, जिसने अपने निशानेबाजों, मुक्केबाजों और अन्य एथलीटों के बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत 38 स्वर्ण, 27 रजत और 36 काँस्य जीतकर कुल 101 पदक हासिल किए। इंग्लैंड तीसरे स्थान पर रहा जिसके पास 37 सोने के तमगे, 59 रजत और 45 काँस्य पदक सहित 141 पदक आए।

कॉमनवेल्थ गेम्स के तहत स्पर्धाओं का समापन साइना नेहवाल के महिला एकल बैडमिंटन मुकाबले के साथ हुआ। साइना ने अपेक्षानुरूप प्रदर्शन करते हुए तीन गेम तक चले संघषर्पूर्ण मुकाबले में मलेशिया की म्यू चू वोंग को पराजित करके भारत को राष्ट्रमंडल खेलों में बैडमिंटन की महिला एकल का स्वर्ण पदक दिलाया।

साइना ने मलेशियाई खिलाड़ी को 19-21, 23-21, 21-13 से हराकर बैडमिंटन में भारत को दिन का दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया।

इससे पहले कॉमनवेल्थ गेम्स की महिला स्पर्धाओं में भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अपर्णा पोपट ने किया था जिन्होंने 1998 क्वालालम्पुर खेलों की महिला एकल स्पर्धा में रजत जबकि चार साल बाद मैनचेस्टर में काँस्य पदक जीता।

भारत मौजूदा राष्ट्रमंडल खेलों में बैडमिंटन में चार पदक जीतने में सफल रहा। भारत ने मिश्रित टीम स्पर्धा में रजत जबकि पी कश्यप ने पुरुष एकल में काँस्य पदक भी जीता।

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साइना ने वोंग के खिलाफ पहले गेम में 3-1 की बढ़त बनाई लेकिन दुनिया की इस तीसरे नंबर की खिलाड़ी को लय हासिल करने में दिक्कत हो रही थी। भारतीय खिलाड़ी ने इसके बाद कई शॉट बाहर मारे और नेट पर भी उलझाए जिससे वोंग ने 9-4 की बढ़त हासिल कर ली।

साइना ने एक बार फिर वापसी करने की कोशिश की और स्कोर 11-13 किया लेकिन इसके बाद उन्होंने लगातार तीन अंक गँवाकर विरोधी को हावी होने का मौका दिया। वोंग 19-15 के स्कोर पर आसानी से पहला गेम जीतने की ओर बढ़ रही थी लेकिन साइना ने स्कोर 19-20 तक पहुँचा दिया।

दूसरे गेम में साइना ने धीमी शुरुआत करने के बावजूद 8-6 की बढ़त बनाई लेकिन इसके बाद भारतीय खिलाड़ी ने लगातार चार अंक गँवाने के साथ बढ़त भी गँवा दिया।

तीसरे और निर्णायक गेम में मलेशियाई खिलाड़ी ने शुरू में कड़ी चुनौती पेश की लेकिन साइना धीरे-धीरे मजबूती हासिल करते हुए अपनी बढ़त मजबूत करती गई और आखिर में उन्हें यह गेम और मैच जीतने में कोई दिक्कत नहीं हुई। इससे पहले ज्वाला और अश्विनी की जोड़ी को सारी और याओ की जोड़ी ने कड़ी टक्कर मिली। भारतीय जोड़ी ने पहले गेम में थोड़ा दबदबा बनाया और फिर 17-13 की बढ़त बनाने के बाद पहले गेम जीत लिया।

दूसरे गेम में हालाँकि बेहद करीबी मुकाबला देखने को मिला। दोनों जोड़ियाँ 8-8 के स्कोर बर बराबर थी जिसके बाद सिंगापुर की जोड़ी ने धीरे-धीरे बढ़त बनाने की कोशिश की।

सिंगापुर की जोड़ी एक समय 15-12 से आगे हो गई थी लेकिन ज्वाला और अश्विनी ने वापसी करते हुए 17-17 के स्कोर पर बराबरी पा ली। जब स्कोर 18-18 से बराबर था तब ज्वाला की सर्विस पर सिंगापुर की जोड़ी ने विरोधी किया कि वे तैयार नहीं थे लेकिन रैफरी ने उनकी अपील ठुकराकर भारतीय जोड़ी को अंक दे दिया।

भारतीय जोड़ी ने इसके बाद 20-19 की बढ़त बनाई और विरोधी जोड़ी के शॉट बाहर खेलते ही भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स की बैडमिंटन स्पर्धा के महिला वर्ग में पहला स्वर्ण पदक मिल गया। ज्वाला इस जीत के बाद कोर्ट पर ही भावुक होकर रोने लगी।

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उधर, पिछले दो मैचों में जबर्दस्त आक्रामकता की बानगी पेश करने वाली भारतीय हाकी टीम आज विश्व चैम्पियन ऑस्ट्रेलिया के सामने पूरी तरह दबी सहमी नजर आई और निहायत ही एकतरफा मुकाबले में 0-8 से शर्मनाक पराजय का सामना करने के बाद उसे कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। भारत की यह सबसे शर्मनाक हार में से एक है।

कॉमनवेल्थ के इतिहास में पुरुष हॉकी स्पर्धा में भारत का यह पहला पदक है। इन खेलों में 1998 में हॉकी को शामिल किए जाने के बाद भारत चौथे स्थान पर रहा जबकि मैनचेस्टर (2002) में उसने हिस्सा नहीं लिया और मेलबोर्न (2006) में पाँचवें स्थान पर रहा था।

दूसरी ओर रिक चार्ल्सवर्थ की ऑस्ट्रेलियाई टीम ने कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार चौथा स्वर्ण पदक जीतकर विश्व हॉकी में अपनी बादशाहत पर फिर मुहर लगा दी। एक ही साल में विश्व कप, चैम्पियंस ट्रॉफी और कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली वह पहली टीम बन गई।

ऑस्ट्रेलिया के लिए जॉसन नीलसन (17वाँ और 28वाँ मिनट), क्रिस सिरियेलो (20वाँ), ल्यूक डोरनर (34वाँ और 51वाँ मिनट), साइमन ओर्चार्ड (60वाँ मिनट) और जैमी ड्वायेर (67वाँ मिनट) और ग्लेन टर्नर (70वाँ) ने गोल किए।

पहले ही मिनट से आक्रामक खेल दिखाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारतीय गोल पर लगातार हमले बोले। वहीं प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह समेत कई विशिष्ट अतिथियों की मौजूदगी में खेल रही भारतीय टीम वह जोश, जुनून और आक्रामकता नहीं दिखा सकी जो उसने पाकिस्तान और इंग्लैंड के खिलाफ दिखाई थी।

राजपालसिंह की हौसलाअफजाई के लिए भारी तादाद में ध्यानचंद स्टेडियम में जमा दर्शकों को निराशा ही हाथ लगी। इसके साथ ही उन्हें 1982 एशियाई खेलों की यादें ताजा हो गई जब फाइनल में इसी मैदान पर भारत को 7-1 से पराजय का सामना करना पड़ा था लेकिन तब सामने पाकिस्तानी टीम थी।

आज सुबह हुई मैराथन में कीनियाई धावकों ने अपना जलवा बरकरार रखते हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में दाँव पर लगे दोनों स्वर्ण पदक जीते। जॉन इरिकु कैलाय ने पुरुषों की मैराथर्न में 42-195 किमी की दूरी दो घंटे 14 मिनट और 35 सेंकड में पूरी करके सोने का तमगा जीता।

ऑस्ट्रेलिया के माइकल शैली ने दो घंटे 15 मिनट 18 सेकंड के साथ रजत जबकि कीनिया के अमोस टिरोप मैतुई ने दो घंटे 15 मिनट 58 सेकंड का समय लेकर काँस्य पदक हासिल किया।

भारत के रामसिंह यादव दो घंटे 21 मिनट 24 सेकंड के साथ आर्ठव जबकि बिनिंग लिंगखोई दो घंटे 23 मिनट 01 र्सेकड के समय के साथ नवें स्थान पर रहे।

महिलओंकी मैराथन में कीनिया ने स्वर्ण और रजत दोनों पर कब्जा जमाया। कीनियाई आइरिन जेरिटिक्स कोसगे ने दो घंटे 34 मिनट और 32 सेकंड के समय के साथ सोने का तमगा हासिल किया जबकि उनकी हमवतन आइरिन मोगाके दो घंटे 34 मिनट 43 सेकंड के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। ऑस्ट्रेलिया की लिसा वेटमैन ने दो घंटे 35 मिनट 25 सेकंड के साथ काँस्य पदक हासिल किया। (भाषा)