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श्रावण विशेष : कहां लिखा है कि अविवाहिताएं शिवलिंग की पूजा नहीं कर सकती? जानिए सच...

श्रावण विशेष : कहां लिखा है कि अविवाहिताएं शिवलिंग की पूजा नहीं कर सकती? जानिए सच... - Unmarried Women prohibited from touching Shivling
देवों के देव महादेव देवताओं में सबसे श्रेष्ठ देव हैं, लेकिन पुराणों के माध्यम से हमेशा कहा जाता है कि शिवलिंग की पूजा करना व उसे छूना कुंवारी नारियों के लिए निषेध है। क्या यह सच है आइए जानते हैं कुछ शास्त्रीय तथ्य ... 
 
समाज में प्रचलित धारणा अनुसार शिवलिंग की पूजा सिर्फ पुरुष के द्वारा संपन्न होनी चाहिए न कि नारी के द्वारा। साथ ही विशेष रूप से अविवाहित स्त्री को शिवलिंग पूजा से पूरी तरह से वर्जित है। यह ऐसा क्यों है?
 
1 किंवदंतियों अनुसार अविवाहित स्त्री को शिवलिंग के करीब जाने की आज्ञा नहीं है। साथ ही इसके चारों ओर भी अविवाहित स्त्री को नहीं घूमना चाहिए। यह इसलिए क्योंकि भगवान शिव बेहद गंभीर तपस्या में व्यस्त रहते हैं। 
 
 3. जब भगवान शिव की पूजा की जाती है तो विधि-विधान का बहुत खयाल रखना पड़ता है। देवता व अप्सराएं भी भगवान शिव की पूजा करते समय बेहद सावधानी से उनकी पूजा करती हैं।
 
यह इसलिए कि कहीं देवों के देव महादेव की तंद्रा भंग न हो जाए। जब शिव की तंद्रा भंग होती है तो वे क्रोधित हो जाते हैं। इसी कारण से महिलाओं को शिव पूजा न करने के लिए कहा गया है।
 
4. लेकिन क्या इसका मतलब यह हुआ कि अविवाहित स्त्री शिव की पूजा कर ही नहीं सकती। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप बिल्कुल गलत हैं। बल्कि अविवाहित स्त्री भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा एक साथ कर सकती हैं। 
 
5. कई महिलाएं लगातार 16 सोमवारों को भगवान शिव का सोमवार व्रत रखती हैं। इस व्रत को रखने से कुंवारी महिलाओं को अच्छा वर प्राप्त होता है वहीं विवाहित महिलाओं के पति नेक मार्ग पर चलते हैं।
 
6. सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है। जैसा कि तीनों लोकों में भगवान शिव को एक आदर्श पति माना जाता है। इसलिए अविवाहित स्त्री सोमवार का व्रत रखती हैं और भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं उन्हें शिव के समान ही आदर्श पति मिले। 
 
7. वैसे भगवान शिव का यह व्रत किसी भी सोमवार को रखा जा सकता है, लेकिन हिंदू कैलेंडर के श्रावण महीने में जो कोई भी इस व्रत को रखता है उसे भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। इस माह पूरे समय व्रत रखने का विधान है। 
 
8. शिव पूजा के संबंध में भारत के अलग-अलग राज्यों में मान्यताएं भिन्न भिन्न हैं। दक्षिण भारत में मंदिर के भीतर पूजा सिर्फ मंदिर का पुजारी ही कर सकता है। दूसरे लोगों को यह पूजा करने की इजाजत नहीं है। वहीं उत्तर और विंध्य में पूजा खुद श्रद्धालु करते हैं। 
 
9. घरेलू पूजा में दक्षिण भारत में पुरुष भगवान शिव या शालिग्राम का अभिषेक करते हैं, वहीं महिला अभिषेक के लिए चढ़ाए जाने वाली वस्तुओं को पुरुष को देने का काम करती है।
 
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