मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. श्रावण मास विशेष
  4. kavad yatra and parsuram
Written By

परशुराम थे पहले कावड़िये, किया था शिवलिंग का जलाभिषेक

परशुराम थे पहले कावड़िये, किया था शिवलिंग का जलाभिषेक - kavad yatra and parsuram
- कुलदीप काम्बोज
 
सावन का महीना है। उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और और मध्यप्रदेश आदि राज्यों में कावड़िये दूर-दूर से कावड़ में गंगाजल लाकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं। यह परंपरा कई दूसरे राज्यों में भी है। कावड़ लाकर भोले नाथ का जलाभिषेक करने की शुरुआत कब और कहांं से हुई कुछ ठीक तरह से कहना मुश्किल है। पर यह जरूर कहा जा सकता है कि भगवान परशुराम पहले कावड़िये थे जिन्होंने गंगा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया।
शास्त्रों में इसका उल्लेख मिलता है। परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि कजरी वन में अपनी पत्नी रेणुका के साथ रहते थे। वह बड़े शांत स्वभाव और अतिथि सत्कार वाले महात्मा थे। एक बार प्रतापी और बलशाली राजा सहस्त्रबाहु का कजरी वन में आना हुआ। तो ऋषि ने सहस्त्रबाहु और उनके साथ आए सैनिकों की सभी तरह से सेवा की। 
 
सहस्त्रबाहु को पता चला कि ऋषि के पास कामधेनु नाम की गाय है। इस गाय से जो भी माँगा जाए, मिल जाता है। इसी के चलते ऋषि ने तमाम संसाधन जुटाकर राजा की सेवा की है। इस पर सहस्त्रबाहु ने ऋषि जमदग्नि से कामधेनु गाय की माँग की। जब ऋषि ने देने से मना कर दिया तो राजा ने उनकी हत्या कर दी और गाय को अपने साथ लेकर चला गया।

इसकी जानकारी जब परशुराम को मिली तो उन्होंने सहस्त्रबाहु की हत्या कर दी और अपने पिता ऋषि जमदग्नि को पुनर्जीवित कर लिया। ऋषि को जब परशुराम द्वारा सहस्त्रबाहु की हत्या की बात पता चली तो उन्होंने परशुराम को गंगा जल लाकर शिव लिंग का जलाभिषेक कर प्रायश्चित करने की सलाह दी। 

परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा मानते हुए कजरी वन में शिवलिंग की स्थापना की। वहीं उन्होंने गंगा जल लाकर इसका महाभिषेक किया। इस स्थान पर आज भी प्राचीन मंदिर मौजूद है। कजरी वन क्षेत्र मेरठ के आस पास ही स्थित है। जिस स्थान पर परशुराम ने शिवलिंग स्थापित कर जलाभिषेक किया था। उस स्थान को 'पुरा महादेव' कहते हैं। 
 
इसके बाद से यहां दूर-दूर से लोग आते हैं और हरिद्वार, गोमुख और गंगोत्री से कावड़ में गंगा जल लाकर यहां शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।
ये भी पढ़ें
सरल-सहज भगवान शिव, नयनों के जल से भी पिघल जाते हैं