गजलक्ष्मी व्रत : श्राद्ध पक्ष का शुभ दिन
अष्टलक्ष्मी व्रत की सरल पूजा विधि
श्राद्ध पक्ष में यूं तो शुभ कार्य वर्जित होते हैं। नई वस्तुएं खरीदना, नए परिधान पहनना भी निषेध होता है। लेकिन इन 16 कड़वे दिनों में अष्टमी का दिन विशेष रूप से शुभ माना गया है। श्राद्ध पक्ष में आने वाली अष्टमी को लक्ष्मी जी का वरदान प्राप्त है। यह दिन विशेष इसलिए भी है कि इस दिन सोना खरीदने का महत्व है। साथ ही शादी की खरीदारी के लिए भी यह दिन उपयुक्त माना गया है। इस दिन हाथी पर सवार मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। पूजन की सरल विधि : शाम के समय स्नान कर घर के देवालय में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रखें।-
कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें। मिट्टी का हाथी बाजार से लाकर या घर में बना कर उसे स्वर्णाभूषणों से सजाएं। नया खरीदा सोना हाथी पर रखने से पूजा का विशेष लाभ मिलता है। -
माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें। कमल के फूल से पूजन करें। -
इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई, फल भी रखें। -
इसके बाद माता लक्ष्मी के आठ रूपों की इन मंत्रों के साथ कुंकुम, अक्षत और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें--
ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:-
ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:-
ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:-
ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:-
ॐ कामलक्ष्म्यै नम:-
ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:-
ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:-
ॐ योगलक्ष्म्यै नम:-
इसके बाद धूप और घी के दीप से पूजा कर नैवेद्य या भोग लगाएं। महालक्ष्मी जी की आरती करें।