शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

हिन्दू धर्म : तीर्थ करना है जरूरी

चार धाम है हिंदू तीर्थ

Hindu Shrine, Pilgrimage | हिन्दू धर्म : तीर्थ करना है जरूरी
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तीर्थ करने का बहुत पुण्य है। कौन-सा है एक मात्र तीर्थ? तीर्थाटन का समय क्या है? अयोध्‍या, काशी, मथुरा, प्रयाग, चार धाम और कैलाश में कैलाश की महिमा ही अधिक है वही प्रमुख तीर्थ है। हिंदू धर्म के चार संप्रदाय हैं- 1.वैष्णव 2.शैव, 3.शाक्त और 4.ब्रह्म (अन्य)। चारों के तीर्थ हैं।

जो मनमानें तीर्थ और तीर्थ पर जाने के समय हैं उनकी यात्रा का सनातन धर्म से कोई संबंध नहीं। तीर्थ से ही वैराग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तीर्थ यात्रा का समय संक्रांति के बाद माना गया है जबकि सुर्य उत्तरायण होता है। तीर्थ में सबसे प्रमुख कैलाश मानसरोवर को माना गया है। इसके बाद क्रमश: चार धाम, द्वादश ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ, सप्तपुरी का नंबर आता है।

1.कैलाश मानसरोवर
2.चार धाम : बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी।
3.द्वादश ज्योतिर्लिंग : सोमनाथ, द्वारका, महाकालेश्वर, श्रीशैल, भीमाशंकर, ॐकारेश्वर, केदारनाथ
विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, रामेश्वरम, घृष्णेश्वर, बैद्यनाथ।

4.बावन शक्तिपीठ : हिंगुल या हिंगलाज (पाकिस्तान), शर्कररे (करवीर-कराची-पाकिस्तान), सुगंधा-सुनंदा (शिकारपुर बांग्लादेश), महामाया (अमरनाथ के पास कश्मीर-भारत), सिद्धिदा अंबिका ज्वालादेवीजी (कांगड़ा-हिमाचल भारत), त्रिपुरमालिनी भीषण (जालंधर-पंजाब-भारत), जय दुर्गा बैद्यनाथधाम (देवघर-झारखंड), महशिरा गुजयेश्वरी मंदिर (काडमांडू-नेपाल), मानस दाक्षायणी (मनसा, मानसरोवर-तिब्बत), विरजा- विरजाक्षेत्र (ओड़िसा-भारत), गण्डकी चण्डी चक्रपाणि (पोखरा, गंडक नदी-नेपाल), बहुला चंडिका (वर्धमान-पश्‍चिम बंगाल-भारत), मंगल चंद्रिका (उज्जैन-मध्यप्रदेश-भारत), त्रिपुर सुंदरी (उदरपुर-त्रिपुरा-भारत), छत्राल चट्टल भवानी (चंद्रनाथ पर्वत-चटगांव-बांग्लादेश), त्रिस्रोत भ्रामरी (जलपाइगुड़ी-पश्‍चिम बंगाल-भारत), कामगिरि कामाख्या (गुवाहटी-नीलांचल पर्वत-असम-भारत),  ललिता (प्रयाग-उत्तर प्रदेश-भारत), जयंती (सिल्हैट जयंतीया- बांग्लादेश), युगाद्या- भूतधात्री (वर्धमान जिला खीरग्राम स्थित जुगाड्‍या पश्‍चिम बंगाल भारत), कालिका कालीपीठ (कोलकाता-पश्चिम बंगाल-भारत), किरीट- विमला भुवनेशी (मुर्शीदाबाद जिला किरीटकोण ग्राम ‍पश्चिम बंगाल भारत), मणिकर्णिका विशालाक्षी (वाराणसी-उत्तर प्रदेश-भारत), श्रवणी-सर्वाणी (कन्याश्रम-अज्ञात स्थान), सावित्री (हरियाणा-कुरुक्षे‍त्र -भारत), गायत्री (पुष्कर-राजस्थान-भारत), श्रीशैल महालक्ष्मी (सिल्हैट जिला-जौनपुर ग्राम-बांग्लादेश), कांची देवगर्भ (वीरभूमि जिला-बोलापुर स्टेशन-कोपई नदी-पश्‍चिम बंगाल-भारत), काली (अमरकंटक-कालमाधव-शोन नदी-मध्यप्रदेश-भारत), शोणाक्षी नर्मदा (अमरकंटक-शोणदेश-मध्यप्रदेश-भारत), शिवानी (चित्रकूट-रामगिरि-उत्तर प्रदेश-भारत), उमा (वृंदावन-भूतेश्वर-उत्तर प्रदेश-भारत), शुचि नारायणी (कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग-शुचितीर्थम-तमिलनाडु भारत), वाराही (पंचसागर-अज्ञात स्थान), अर्पण (शेरपुर बागुरा स्टेशन-भवानीपुर ग्राम-करतोया तट-बांग्लादेश), श्रीसुंदरी (श्रीपर्वत-लद्दाख-जम्मू और कश्मीर-भारत), कपालिनी भीमरूप (मेदिनीपुर-तामलुक -विभाष-पश्चिम बंगाल-भारत), चंद्रभागा (जूनागढ़-सोमनाथ-वेरागल-प्रभाष-गुजरात-भारत), अवंति (उज्जैन-भैरवपर्वत-क्षिप्रा नदी-मध्य प्रदेश-भारत), भ्रामरी (नासिक-जनस्थान-गोदावरी नदी-महाराष्ट्र-भारत), सर्वशैल राकिनी (राजामुंद्री-गोदावरी नदी तट-सर्वशैल-आंध्रप्रदेश-भारत), विश्वेश्वरी (गोदावरीतीर-भारत), रत्नावली कुमारी (हुगली जिला-खानाकुल-कृष्णानगर मार्ग-रत्नाकर नदी तट-पश्‍चिम बंगाला-भारत), उमा महादेवी (जनकपुर-मिथिला-भारत-नेपाल सीमा), कालिका तारापीठ (वीरभूमि जिला- नलहाटि स्टेशन-पश्‍चिम बंगाल-भारत), कर्नाट जयदुर्गा (कर्नाट अज्ञात स्थान), महिषमर्दिनी (वीरभूमि जिला-दुबराजपुर स्टेशन-पापहर नदी तट वक्रेश्वर-‍पश्चिम बंगाल-भारत), यशोरेश्वरी (खुलना जिला-ईश्‍वरीपुर-यशोर-बांग्लादेश), अट्टहास फुल्लरा (लाभपुर स्टेशन-अट्टहास-पश्‍चिम बंगाल -भारत), नंदिनी (वीरभूमि जिला-सैंथिया रेलवे स्टेशन-नंदीपुर-चारदीवारी-पश्‍चिम बंगाल-भारत), इंद्रक्षी (त्रिंकोमाली-श्रीलंका), विराट- अंबिका (अज्ञात स्थान), सर्वानन्दकरी (मगध-बिहार-भारत)।

5.सप्तपुरी : काशी, मथुरा, अयोध्या, द्वारका, माया, कांची और अवंति (उज्जैन)।

 
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6. अन्य तीर्थ :
दुर्गा के प्रमुख तीर्थ :- दाक्षायनी (मानसरोवर), माँ वैष्णोदेवी (जम्मू-कटरा), मनसादेवी (हरिद्वार), काली माता (पावागढ़), नयना देवी (नैनीताल), शारदा मैया (मैयर), कालका माता (कोलकाता), ज्वालामुखी (काँगड़ा), भवानी माता (पूना), तुलजा भवानी (तुलजापुर), चामुंडा देवी (धर्मशाला, जोधपुर और देवास), अम्बाजी मंदिर (माउंट आबू के पास), अर्बुदा देवी (नीलगिरि माउंट आबू पर्वत), तुलजा-चामुंडा (देवास माता टेकरी), बिजासन टेकरी (इंदौर), गढ़ कालिका-हरसिद्धि (उज्जैन), मुम्बादेवी (मुंबई), सप्तश्रृंगी देवी (नासिक के पास), माँ मनुदेवी (भुसावल-यावल आड़गाव), त्रिशक्ति पीठम (अमरावती, आंध्रप्रदेश विजयवाड़ा), आट्टुकाल भगवती (तिरुवनंतपुरम), श्रीलयराई देवी (गोवा), कामाख्या (गुवाहाटी), गुह्म कालिका (नेपाल), महाकाली (काशी), कौशिकी देवी (अल्मोड़ा), सातमात्रा (ओंकारेश्वर), कालका (देहली-शिमला रोड पर), नगरकोट की देवी (काँगड़ा पठानकोट-योगीन्द्रनगर लाइन पर भगवती विद्येश्वरी), भगवती कालिका (चित्तौड़), भगवती पटेश्वरी, योगमाया-कालिका (कुतुबमीनार के पास दूसरा ओखला नामक ग्राम में), पथकोट की देवी (पठानकोट), ललिता देवी (इलाहबाद-कड़ा), पूर्णागिरि (नेपाल की सरहद पर शारदानदी के किनारे), माता कुडि़या (चेन्नई), देवी चामुंडा-भेरुण्डा (मैसूर), श्रीविन्ध्यवासिनी (विन्ध्याचल), तारादेवी (कण्डाघाट स्टेशन)।
 
और भी :- तिरुपति बालाजी, शिर्डी, बाबा रामदेवजी (रामद्वारा), श्रीनाथजी, गजानंद महाराज, दादा धूनी वाले, शिलनाथ (देवास), गोगा महाराज, पंढरपुर दत्तात्रेय महाराज आदि।

हिंदू धर्म में कैलाश मानसरोवर और चार धाम की यात्रा का ही महत्व माना गया है। इनकी यात्रा करते हुए ज्योतिर्लिंग व सप्तपुरियों की यात्रा स्वत: ही हो जाती है। इसके अलावा अन्य किसी तीर्थ की यात्रा करना या नहीं करना अपनी-अपनी श्रद्धा का मामला है, किंतु चार धाम अवश्य करना चाहिए।