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...तब नष्ट हो गया था समूचा पाकिस्तान?

Mahabharata war | ...तब नष्ट हो गया था समूचा पाकिस्तान?
और अब भी नष्ट हो जाएगा पाकिस्तान। आजकल पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञ और परमाणु संस्थान के वैज्ञानिक टीवी चैनलों पर यह कहते हुए पाए जाते हैं कि यदि भारत से युद्ध हुआ तो आप निश्चित मान लीजिए कि हमारा पहला हमला परमाणु बम का ही होगा। क्या इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान देना उचित है या कि यह डराने-धमकाने वाला बयान है? यह कहा नहीं जा सकता, लेकिन तब ऐसे में भारत क्या करेगा?

लेकिन भारतीय विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि भारत ने जवाब में सिर्फ एक ही परमाणु बम छोड़ दिया तो पाकिस्तान का वजूद ही मिट जाएगा। ईश्वर करे कि पाकिस्तान को बुद्धि दे, क्योंकि भारत का कुछ खास बिगड़ने वाला नहीं है, लेकिन पाकिस्तान के नदी, तालाब, जंगल सभी जलकर नष्ट हो जाएंगे। यह विश्व की सबसे भयानक त्रासदी होगी। निश्चित ही भारत का जवाब बहुत तगड़ा होगा। क्या आप सोच सकते हैं कि पाकिस्तान के जवाब में भारत चुप बैठा रहेगा?

आजकल पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञ, मुर्ख राजनीतिज्ञ, कट्टरपंथी लोग बहुत ही गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं। वे कहते हैं कि आप यह तय जानिए कि भारत से युद्ध हुआ तो पाकिस्तान परमाणु हमला करेगा। ऐसे बयान उनके डर को ही उजागर करते हैं। इससे पहले  एक टीवी चैनल पर पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञ ने नितिन गडकरी को अप्रत्यक्ष रूप से परमाणु हमले की धमकी दी थी। तारिक पीरजादा, राशिद कुरैशी और सरताज अजीज का नाम कौन नहीं जानता, जो धमकी भरी बात करके माहौल खराब करते रहते हैं। उन्हें हिरोशिमा और नागासाकी के इतिहस और वहां की त्रासदी को अच्छे से पढ़ने की जरूरत है। दुनिया इस वक्त परमाणु के ढेर पर खड़ी है जोकि मानव अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है। संवेदनशील लोगों को इस पर कुछ करने की जरूरत है। खैर...

तदस्त्रं प्रजज्वाल महाज्वालं तेजोमंडल संवृतम।
सशब्द्म्भवम व्योम ज्वालामालाकुलं भृशम।
चचाल च मही कृत्स्ना सपर्वतवनद्रुमा।। महाभारत ।। 8-10-14 ।।

अर्थात : ब्रह्मास्त्र छोड़े जाने के बाद भयंकर वायु जोरदार तमाचे मारने लगी। सहस्रावधि उल्का आकाश से गिरने लगे। भूतमात्र को भयंकर महाभय उत्पन्न हो गया। आकाश में बड़ा शब्द हुआ। आकाश जलने लगा। पर्वत, अरण्य, वृक्षों के साथ पृथ्वी हिल गई।

90 हजार वर्ष से भारत एक प्राचीन और सभ्य देश बना हुआ है। कहते हैं कि 5 हजार वर्षों का एक कल्प होता है। मत्स्य पुराण में 30 कल्पों की चर्चा है : श्‍वेत, नीललोहित, वामदेव, रथनतारा, रौरव, देवा, वृत, कंद्रप, साध्य, ईशान, तमाह, सारस्वत, उडान, गरूढ़, कुर्म, नरसिंह, समान, आग्नेय, सोम, मानव, तत्पुमन, वैकुंठ, लक्ष्मी, अघोर, वराह, वैराज, गौरी, महेश्वर, पितृ आदि। पुराणों में प्रत्येक कल्प की कहानी है। हालांकि इसके पहले ओर भी कल्प हुए हैं।

32 हजार वर्ष पुराने एक प्राचीन नगर को गुजरात के द्वारिका क्षेत्र में ढूंढ लिया गया है। लगभग 35 हजार वर्ष पुराने भित्तिचित्रों को आप भीमबेटका जैसी गुफाओं में देख सकते हैं, तो क्या हम 5 हजार वर्षों पहले एक पूर्ण विकसित सभ्य राष्ट्र नहीं हो सकते हैं? निश्चित ही हो सकते हैं और यह काल महाभारत का काल था जबकि भारत अपने ज्ञान और विज्ञान के चरम पर था। लेकिन एक युद्ध ने भारत को नष्ट कर दिया।

महाभारत का युद्ध आज से लगभग 5,300 वर्ष पूर्व हुआ था। उस दौरान गुरु द्रोण के पुत्र अश्‍वत्थामा ने भगवान कृष्ण के मना करने के बावजूद ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। अपने पिता के मारे जाने के बाद अश्चत्थामा बदले की आग में जल रहा था। उसने पांडवों का समूल नाश करने की प्रतिज्ञा ली और चुपके से पांडवों के शिविर में जा पहुंचा और कृपाचार्य तथा कृतवर्मा की सहायता से उसने पांडवों के बचे हुए वीर महारथियों को मार डाला। केवल यही नहीं, उसने पांडवों के पांचों पुत्रों के सिर भी काट डाले। अंत में अर्जुन की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु की उसे याद आई।

पुत्रों की हत्या से दुखी द्रौपदी विलाप करने लगी। अर्जुन ने जब यह भयंकर दृश्य देखा तो उसका भी दिल दहल गया। उसने अश्वत्थामा के सिर को काटने की प्रतिज्ञा ली। अर्जुन की प्रतिज्ञा सुनकर अश्वत्थामा वहां से भाग निकला। श्रीकृष्ण को सारथी बनाकर अर्जुन ने उसका पीछा किया। अश्वत्थामा को कहीं भी सुरक्षा नहीं मिली तो अंत में उसने ऐषिका (अस्त्र छोड़ने का उपकरण) लेकर अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया। अश्वत्थामा ब्रह्मास्त्र चलाना तो जानता था, पर उसे लौटाना नहीं जानता था।

उस अतिप्रचंड तेजोमय अग्नि को अपनी ओर आता देख अर्जुन भयभीत हो गया और उसने श्रीकृष्ण से विनती की। श्रीकृष्ण बोले, 'है अर्जुन! तुम्हारे भय से व्याकुल होकर अश्वत्थामा ने यह ब्रह्मास्त्र तुम पर छोड़ा है। इस ब्रह्मास्त्र से तुम्हारे प्राण घोर संकट में हैं। इससे बचने के लिए तुम्हें भी अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना होगा, क्योंकि अन्य किसी अस्त्र से इसका निवारण नहीं हो सकता।'

अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ा, प्रत्युत्तर में अर्जुन ने भी छोड़ा। अश्वत्थामा ने पांडवों के नाश के लिए छोड़ा था और अर्जुन ने उसके ब्रह्मास्त्र को नष्ट करने के लिए। दोनों द्वारा छोड़े गए इस ब्रह्मास्त्र के कारण लाखों लोगों की जान चली गई थी।

 

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सिन्धु घाटी की सभ्यता मोहनजोदड़ो और हड़प्पा कैसे नष्ट हो गई : आज जिस हिस्से को पाकिस्तान और अफगानिस्तान कहा जाता है, महाभारतकाल में उसके उत्तरी हिस्से को गांधार, मद्र,  कैकय और कंबोज की स्थली कहा जाता था। अयोध्या और मथुरा से लेकर कंबोज (अफगानिस्तान का उत्तर इलाका) तक आर्यावर्त के बीच वाले खंड में कुरुक्षेत्र होता था, जहां यह युद्ध हुआ। उस काल में कुरुक्षेत्र बहुत बड़ा क्षेत्र होता था। आजकल यह हरियाणा का एक छोटा-सा क्षेत्र है।

उस काल में सिन्धु और सरस्वती नदी के पास ही लोग रहते थे। सिन्धु और सरस्वती के बीच के क्षेत्र में कुरु रहते थे। यहीं सिन्धु घाटी की सभ्यता और मोहनजोदड़ो के शहर बसे थे, जो मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी तक फैले थे।

सिन्धु घाटी सभ्यता के मोहन जोदड़ो, हड़प्पा आदि स्थानों की प्राचीनता और उनके रहस्यों को आज भी सुलझाया नहीं जा सका है। मोहन जोदड़ो सिन्धु नदी के दो टापुओं पर स्थित है।

जब पुरातत्वशास्त्रियों ने पिछली शताब्दी में मोहन जोदड़ो स्थल की खुदाई के अवशेषों का निरीक्षण किया था तो उन्होंने देखा कि वहां की गलियों में नरकंकाल पड़े थे। कई अस्थिपंजर चित अवस्था में लेटे थे और कई अस्थिपंजरों ने एक-दूसरे के हाथ इस तरह पकड़ रखे थे, मानो किसी विपत्ति ने उन्हें अचानक उस अवस्था में पहुंचा दिया था।

उन नरकंकालों पर उसी प्रकार की रेडियो एक्टिविटी के चिह्न थे, जैसे कि जापानी नगर हिरोशिमा और नागासाकी के कंकालों पर एटम बम विस्फोट के पश्चात देखे गए थे। मोहन जोदड़ो स्थल के अवशेषों पर नाइट्रिफिकेशन के जो चिह्न पाए गए थे, उसका कोई स्पष्ट कारण नहीं था, क्योंकि ऐसी अवस्था केवल अणु बम के विस्फोट के पश्चात ही हो सकती है।