''धर्म बांटेगा लोगों को। काले और सफेद तथा दोनों के बीच लाल और पीले अपने-अपने अधिकारों के लिए भिड़ेंगे। रक्तपात, बीमारियां, अकाल, सूखा, युद्ध और भूख से मानवता बेहाल होगी।'' (vi-10)
ओशो ने अपने किसी प्रवचन में कहा था कि धर्म की शाख पर अधर्म का व्यापार तेजी से फैल रहा है। धर्म तो आंतरिक यात्रा थी लेकिन अब संगठन बन गया है। 'धर्म कहां है? अधर्म के सिक्के ही धर्म बनकर चल रहे हैं। खोटे सिक्के ही विश्वास मांगते हैं, असली सिक्के तो आंख चाहते हैं। विश्वास की उन्हें आवश्यकता ही नहीं। विवेक जहां अनुकूल नहीं है, वहीं विश्वास मांगा जाता है। विवेक की हत्या ही तो विश्वास है। लेकिन न तो अंधे मानने को राजी होते हैं कि अंधे हैं और न विश्वासी राजी होते हैं। अंधों ने और अंधों के शोषकों ने मिलकर जो षड्यंत्र किया है, उसने करीब-करीब धर्म की जड़ काट डाली है। धर्म की साख है और अधर्म का व्यापार है।
खैर, हम तो ओशो की बात नहीं मानते, क्योंकि यह वर्तमान दौर में व्यावहारिक नहीं मानी जा सकती हैं।
दुनिया में पिछले सैकड़ों वर्षों से धर्मयुद्ध चल रहा है। धर्म के नाम पर लोग एक-दूसरे को खत्म करने में लगे हैं। धर्म का मर्म तो कोई नहीं समझता, अलबत्ता अब ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा है, जो खुद के धर्म को सत्य का मार्ग मानकर दूसरे के धर्म की आलोचना करने से चूकते नहीं हैं। दरअसल, धर्म अब धर्म नहीं बल्कि अब सांप्रदायिक, आपराधिक और आतंकवादी संगठन बन गए हैं। ऐसे में सवाल कई उठते हैं और जवाब कहीं से भी नहीं मिलते हैं। लेकिन हम यदि संगठित धर्मों की ही बात करें तो किस धर्म के संबंध में क्या भविष्यवाणी कही गई है, यह जानना भी जरूरी है।
अगले पन्ने पर हिन्दू धर्म के संबंध में नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी...
तबाह कर देंगे पुस्तकालयों को बर्बर लोग : 'एक समय ऐसा आएगा कि जब बेपढ़े लोग पढ़े- लिखों की सभ्यता को तबाह कर देंगे और पुस्तकें वगैरह फूंक डालेंगे। ऐसा दुर्लभ ज्ञान नष्ट कर दिया जाएगा जिसका अधिकांश भाग वापस नहीं पाया जा सकेगा।' (6-17)।
व्याख्या : यह सभी जानते हैं कि बर्बर आक्रमणकारियों के हमले में भारत के नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला के विश्वविद्यालय नष्ट हो गए थे। हजारों मंदिरों और महलों को नष्ट कर दिया गया था। यह बात सर्वविदित है कि मुस्लिम आक्रांताओं ने अखंड भारत के आधे हिस्से की हिन्दू और बौद्ध सभ्यता को लगभग नष्ट ही कर दिया है। आज भी आप इस बर्बर आक्रमण के अवशेष को देख सकते हैं।
नास्त्रेदमस की हिन्दू धर्म के संबंध में भविष्यवाणी : नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी की किताब सेंचुरी में लिखा है कि 'सागरों के नाम वाला धर्म, चांद पर निर्भर रहने वालों के मुकाबले तेजी से पनपेगा और उसे भयभीत कर देंगे 'ए' तथा 'ए' से घायल दो लोग।' (x-96)।
चांद पर आधारित धर्म एक ही है इस्लाम और दुनिया में जितने भी सागर हैं उनमें से सिर्फ हिन्द महासागर के नाम पर ही एक धर्म है जिसे हिन्दू धर्म कहते हैं। आगे के वाक्य की व्याख्या करना कठिन है़, लेकिन नास्त्रेदमस ने अपनी और भी भविष्यवाणियों में हिन्दू धर्म के उत्थान की बात कही है।
'लाल के खिलाफ एकजुट होंगे लोग, लेकिन साजिश और धोखे को नाकाम कर दिया जाएगा।' 'पूरब का वह नेता अपने देश को छोड़कर आएगा, पार करता हुआ इटली के पहाड़ों को और फ्रांस को देखेगा। वह वायु, जल और बर्फ से ऊपर जाकर सभी पर अपने दंड का प्रहार करेगा।'
सेंचुरी द्वितीय की 12वीं भविष्यवाणी में नास्त्रेदमस लिखते हैं कि 'बंद आंखें एक पुरातात्विक उन्माद को देखेंगी, ईश्वरीय एकांत के वस्त्र उतारने की चेष्टा का एक शासक कठोरता से दमन करेगा और भीड़ के जुनून द्वारा मंदिर पर बलपूर्वक कब्जे की सजा देगा।'
व्याख्या : यह भविष्यवाणी 1990 में हमें राम जन्मभूमि पर बने बाबरी ढांचे के गर्भगृह में स्थित जन्म स्थान पर कब्जे की याद दिलाती है। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने हिन्दुओं को बलपूर्वक वहां से खदेड़ने के आदेश दिए थे जिसके चलते सैकड़ों हिन्दुओं का कत्लेआम किया गया था। कई हिन्दू इस दमन चक्र के चलते सरयू नदी में कूद गए थे जिसके चलते उनकी जान चली गई थी। यह भयानक मंजर आज भी लोगों के जेहन में सुरक्षित है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 15 लोग मारे गए थे, जबकि विश्व हिन्दू परिषद का कहना था कि 50 से ज्यादा लोग मारे गए। विश्व हिन्दू परिषद और भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का नाम 'मौलाना मुलायम' रख दिया था। ...इसके बाद जो हुआ वह सभी जानते हैं।यदि ये हत्याएं नहीं की जाती तो संभवत: बाबरी ध्वंस भी नहीं होता।
'एक समय ऐसा भी आएगा कि विश्वव्यापी आग से अधिकांश राष्ट्रों में नरसंहार होगा। ...यह समय कब आएगा इसका संकेत देते हुए वे कहते हैं, 'मेष वृषभ, कर्क, सिंह, कन्या, मंगल, बृहस्पति तथा सूर्य के प्रभाव में होंगे। तब धरती जलने लगेगी, जंगल और शहर यूं तबाह होंगे जैसे मोमबत्ती पर लिखे अक्षर।' ऐसी ग्रह स्थिति 1994 में उत्पन्न हुई थी। अब 22 फरवरी 2020 और फिर 28 मई 20121 में उत्पन्न होगी। -(6-35)
'सांप्रदायिकता और शत्रुता के एक लंबे दौर के बाद सभी धर्म तथा जातियां एक ही विचारधारा को मानने लगेंगी।' (6-10)।
'17 साल के भीतर 5 पोप बदले जाएंगे तब एक नया धर्म आएगा।' -5-96।
...अब जहां तक एक ही विचारधारा को मानने की बात है तो ओशो रजनीश जैसे संतों को भारत-चीन सहित समूचे पश्चिम में ध्यान से पढ़ा जाता है और उनके विचारों से विश्व में नए तरह की धार्मिक क्रांति होने लगी है।
'तीन ओर घिरे समुद्र क्षेत्र में वह जन्म लेगा, जो बृहस्पतिवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा। उसकी प्रसंशा और प्रसिद्धि, सत्ता और शक्ति बढ़ती जाएगी और भूमि व समुद्र में उस जैसा शक्तिशाली कोई न होगा।' (सेंचुरी 1-50वां सूत्र)
तीन ओर समुद्र से तो भारत ही घिरा हुआ है। भारत में गुरुवार एक ऐसा वार है जिसे सभी धर्म के लोग समान रूप से मानते हैं। गुरुवार का दिन केवल हिन्दू धर्म में ही पवित्र माना जाता है। इसका कारण यह है कि गुरुवार की दिशा ईशान कोण है और ईशान कोण में ही देवताओं का वास होता है। मुस्लिम धर्म में शुक्रवार को, यहूदियों में शनिवार को और ईसाइयों में रविवार को पवित्र माना जाता है। हालांकि अभी इस भविष्यवाणी के पूर्ण होने का इंतजार है कि कौन करेगा गुरुवार को अपना अवकाश दिवस घोषित?
'पांच नदियों के प्रख्यात द्वीप राष्ट्र में एक महान राजनेता का उदय होगा। इस राजनेता का नाम 'वरण' या 'शरण' होगा। वह एक शत्रु के उन्माद को हवा के जरिए समाप्त करेगा और इस कार्रवाई में 6 लोग मारे जाएंगे।' (सेंचुरी v-27)
भारत में वैसे तो कई प्रसिद्ध नदियां हैं- गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा आदि, लेकिन पंजाब ऐसा क्षेत्र है जिसे 5 नदियों की भूमि भी कहा जाता है। पंजाब अर्थात जहां 5 नदियां बहती हों। पूर्व में इसे पंचनद प्रदेश भी कहा जाता था। पंजाब प्राचीनकाल से धरती की राजनीति का मुख्य केंद्र भी रहा है। ये 5 नदियां हैं- सतलुज, ब्यास, रावी, चिनाब और झेलम। इन पांचों नदियों का उल्लेख वेदों में भी मिलता है। तो क्या पंजाब से होगा महान राजनेता? पंजाब के इतिहास को देखें तो गुरुनानक देव, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविंदसिंह जैसी महान विभूतियों का इसी क्षेत्र से ताल्लुक है।
8. 'शीघ्र ही पूरी दुनिया का मुखिया होगा महान 'शायरन' जिसे पहले सभी प्यार करेंगे और बाद में वह भयंकर व भयभीत करने वाला होगा। उसकी ख्याति आसमान चूमेगी और वह विजेता के रूप में सम्मान पाएगा।' (v-70)
...'एशिया में वह होगा, जो यूरोप में नहीं हो सकता। एक विद्वान शांतिदूत सभी राष्ट्रों पर हावी होगा।' (x-75)।
उक्त भविष्यवाणी से लगता है कि उस 'महापुरुष' का नाम 'श' से शुरू होगा। 'वरण' या 'शरण' जैसे नाम तो भारत में ही होते हैं, लेकिन 'शायरन' नाम जरूर अजीब है। नास्त्रेदमस ने अंग्रेजी में cheyren लिखा है। इस दौरान 'एलस' नाम से एक और व्यक्ति होगा जिसकी बर्बरता के बारे में लिखा गया है- 'उसका हाथ अंतत: खूनी एलस (ALUS) तक पहुंच जाएगा। समुद्री रास्ते से भागने में भी नाकाम रहेगा। 2 नदियों के बीच सेना उसे घेर लेगी। उसके किए की सजा क्रुद्ध काला उसे देगा।' -(6-33)
'पैगंबर के कुल नाम के अंतिम अक्षर से पहले के नाम वाले सोमवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा। अपनी सनक में वह अनुचित कार्य भी करेगा। जनता को करों से आजाद कराएगा।' (1-28)
...पैगंबर तो एक ही हैं मुहम्मद। उनके कुल का नाम हाशमी था। हाशमी के अंतिम अक्षर के पहले 'श' यानी जिस नेता के प्रादुर्भाव की बात कही जा रही है उसका नाम 'श' से शुरू होना चाहिए। यदि हम कुल का नाम न मानें तो मुहम्मद के अंतिम अक्षर के नाम के पहले 'म' आता है।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों के ज्ञाता महाराष्ट्र के ज्योतिषाचार्य डॉ. रामचन्द्र जोशी ने इस पर मराठी में एक पुस्तक लिखी है जिसमें वे नास्त्रेदमस की सेंचुरी का हवाला देते हुए लिखते हैं कि 'ठहरो स्वर्णयुग (रामराज्य) आ रहा है। एक अधेड़ उम्र का औदार्य (उदार) अजोड़ अधाप महासत्ता अधिकारी भारत ही नहीं, सारी पृथ्वी पर स्वर्ण युग लाएगा और अपने सनातन धर्म का पुनरुत्थान करके यथार्थ भक्ति मार्ग बताकर सर्वश्रेष्ठ हिन्दू राष्ट्र बनाएगा। तत्पश्चात ब्रह्मदेश, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, अफगानिस्तान, मलाया आदि देशों में वही सार्वभौम धार्मिक नेता होगा। सत्ताधारी चांडाल-चौकड़ियों पर उसकी सत्ता होगी। वह नेता 'शायरन' दुनिया की आशा मालूम होता है, बस देखते रहो।'