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पशु-पक्षियों को प्रतिदिन भोजन खिलाएं : घर में तैयार भोजन की प्रथम रोटी गाय व अंतिम रोटी कुत्ते को नित्य नियम से खिलाएं। इसके अलावा प्रतिदिन पक्षियों और चींटियों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था करें। यह क्रम बंद न करें। 43वें दिन से आपके भाग्य के द्वार खुलना शुरू हो जाएंगे।
अगले पन्ने पर तीसरा उपाय...
द्वार-देहरी पूजा : घर की वस्तुओं को वास्तु अनुसार रखकर प्रतिदिन घर को साफ और स्वच्छ कर प्रतिदिन देहरी पूजा करें। घर के बाहर देली (देहली या डेल) के आसपास स्वस्तिक बनाएं और कुमकुम-हल्दी डालकर उसकी दीपक से आरती उतारें। इसी के साथ ही प्रतिदिन सुबह और शाम को कर्पूर भी जलाएं और घर के वातावरण को सुगंधित बनाएं।
जो नित्य देहरी की पूजा करते हैं, देहरी के आसपास घी के दीपक लगाते हैं, उनके घर में स्थायी लक्ष्मी निवास करती है।
अगले पन्ने पर चौथा उपाय...
हल्दी की गांठ : अगर संयोग से आपको काली हल्दी मिल जाए तो उसे अपने देवालय में विष्णु-लक्ष्मी प्रतिमा के समीप रखें और विधिवत पूजा करें। काली हल्दी की गांठ को चांदी के साथ या किसी भी सिक्के के साथ एक स्वच्छ और नए वस्त्र में बांधकर अन्य देव प्रतिमाओं के साथ पूजा करें। यदि काली हल्दी नहीं मिले तो पीली हल्दी की गांठें एक लाल कपड़े में बांधकर उसे तिजोरी में रखें।
अगले पन्ने पर पांचवां उपाय...
ताला दान करें : सबसे पहले आप ताले की दुकान पर किसी भी शुक्रवार को जाएं और एक स्टील या लोहे का ताला खरीद लें। लेकिन ध्यान रखें ताला बंद होना चाहिए, खुला ताला नहीं। ताला खरीदते समय उसे न दुकानदार को खोलने दें और न आप खुद खोलें। ताला सही है या नहीं, यह जांचने के लिए भी न खोलें। बस बंद ताले को खरीदकर ले आएं।
उस ताले को एक डिब्बे में रखें और शुक्रवार की रात को ही अपने सोने वाले कमरे में बिस्तर के पास रख लें। शनिवार सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर ताले को बिना खोले किसी मंदिर या देवस्थान पर रख दें। ताले को रखकर बिना कुछ बोले, बिना पलटें वापस अपने घर आ जाएं।
विश्वास और श्रद्धा रखें, जैसे ही कोई उस ताले को खोलेगा आपकी किस्मत का ताला भी खुल जाएगा। यह जाना-माना प्रयोग है अपनी किस्मत चमकाने के लिए इसे अवश्य आजमाएं...
अगले पन्ने पर छठा उपाय...
पीपल की पूजा : पीपल को सिर्फ शनिवार को ही छूना चाहिए। शनिवार को पीपल के वृक्ष में काले तिल, कच्चा दूध, गंगा जल, शहद, गुड़ को स्टील या चांदी के बर्तन में डालकर अर्पित करें व सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें। बस यह कार्य प्रत्येक शनिवार को करते जाएंगे तो धीरे-धीरे दुर्भाग्य दूर होता जाएगा।
पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें, फिर वापस घर आ जाएं और पीछे मुड़कर न देखें। इससे आपको धनलाभ के साथ ही हर बिगड़ा काम बन जाएगा।
अगले पन्ने पर सातवां उपाय....
बरगद पूजा : अचानक धनप्राप्ति के लिए अपनी मनोकामना कहते हुए बरगद की जटा में गांठ लगा दें। जब धनलाभ हो जाए तो उसे खोल दें। लेकिन यह उपाय किसी जानकार से पूछकर ही करें।
अगले पन्ने पर आठवां उपाय...
केसर का तिलक : श्रीमहालक्ष्मी का ध्यान करके मस्तक पर शुद्ध केसर का तिलक लगाएं। धनलाभ के समाचार मिलेंगे। घर के बाहर शुद्ध केसर से स्वस्तिक का निर्माण करके उस पर पीले पुष्प और अक्षत चढ़ाएं। घर में लक्ष्मी का आगमन होगा।
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श्रीसूक्त या श्रीलक्ष्मी सूक्त का पाठ : जिस घर में नियमित रूप से अथवा प्रत्येक शुक्रवार को श्रीसूक्त या श्रीलक्ष्मी सूक्त का पाठ होता है, वहां धनलक्ष्मी का वास होता है।
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बेटी और पत्नी का सम्मान जरूरी : पत्नी और बेटी लक्ष्मी का रूप होती हैं, भूलकर भी इन्हें न दुत्कारें, न कोसें तथा न ही कोई अशुभ वचन कहें। पत्नी और बेटी के दुखी रखने से आप कभी सुखी नहीं रह सकते। एक बार यदि पत्नी रोती हुई अपने माता-पिता के घर चली गई तो याद रहे, इस पापकर्म से आपके घर की बरकत भी चली जाएगी। धन, वस्त्र व मान देकर पत्नी को मनाएं।
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पोंछा लगाना : सप्ताह में एक बार (गुरुवार को छोड़कर) समुद्री नमक से पोंछा लगाने से घर में शांति रहती है। घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में झगड़े भी नहीं होते हैं तथा लक्ष्मी का वास स्थायी रहता है।
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शंख का उपाय : नर व नारायण दक्षिणावर्ती शंख में बासमती चावल भरकर चांदी के सिक्के डालकर एक माला बांधकर तिजोरी में रखने से दरिद्रता का नाश होता है। धन व समृद्धि दोनों प्राप्त होते हैं।