शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

ज्योतिष और वास्तु की 19 खास बातें...

ज्योतिष और वास्तु की 19 खास बातें... - 19 Astrology tips for prosperity
कई बार लोग ऐसा महसूस करते हैं कि काफी परिश्रम और प्रयत्न के बाद भी धन नहीं मिलता या मनचाही सफलता नहीं मिलती। कभी मेहनत के अनुसार आपको पैसे नहीं मिलते तो कभी मनमाफिक नौकरी नहीं मिलती। व्यापारी हैं तो व्यापार में बरकत नहीं है।
यदि उपरोक्त बातें छोड़ भी दें तो सब कुछ होने के बावजूद मानसिक शांति नहीं है। पारिवारिक जीवन में उथल-पुथल मची हुई है। नौकरी में अस्थिरता है या मन में बेचैनी, घबराहट बनी रहती है। हो सकता है कि आपको अनावश्यक डर सताता हो। आखिर ऐसा क्यों? सभी तरह की समस्याओं के समाधान के लिए हम ऐसे 19 उपाय बता रहे हैं, जो आपके दिलोदिमाग को शांत तो रखेंगे ही, साथ ही प्रगति के द्वार खोलकर धन की कमी भी दूर करेंगे। परिवार में फिर से खुशियां लौट आएंगी।
 
अगले पन्ने पर पहला चमत्कारिक उपाय...
 

सुगंध से पाएं जीवन में शांति : सुगंध का जीवन में बहुत महत्व होता है। सुगंध में भी इत्र की सुगंध हो तो कहना ही क्या। जरूरी नहीं है कि शरीर और कपड़ों पर सुगंध का इस्तेमाल करें। आप सुगंध के लिए घर में सुगंधित पौधे भी लगा सकते हैं।
 
 
घर में गुड़-घी, गुग्गल और कर्पूर की सुगंध का इस्तेमाल करके आप घर के वास्तुदोष को तो दूर कर ही देंगे, साथ ही आपके मन में शांति का विस्तार होगा। इस नियम को समझें कि जहां शांति होती है, वहीं खुशहाली होती है।
 
अगले पन्ने पर दूसरा चमत्कारिक उपाय...
 

बरकत के लिए : बरकत आती है साफ नीयत, साफ शरीर और साफ घर से। मन, शरीर और घर साफ-सुथरा और स्वच्छ रहेगा तो घर में बरकत रहेगी। साफ नीयत के लिए दान दें, साफ शरीर के लिए पंच स्नान और व्रत करें, स्वच्छ घर के लिए समुद्री नमक से पोंछा लगाएं और घर का अटाला घर बाहर कर दें।
 
पोंछा लगाना : सप्ताह में एक बार (गुरुवार को छोड़कर) समुद्री नमक से पोंछा लगाने से घर में शांति रहती है। घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में झगड़े भी नहीं होते हैं तथा लक्ष्मी का वास स्थायी रहता है।
 
'बरकत' अर्थात वह शुभ स्थिति जिसमें कोई चीज या चीजें इस मात्रा में उपलब्ध हों कि उनसे आवश्यकताओं की पूर्ति होने के बाद भी वह बची रहे अर्थात अन्न इतना हो कि घर के सदस्यों सहित अतिथि आए तो वह भी खा ले। धन इतना हो कि आवश्यकताओं की पूर्ति के बावजूद वह बचा रहे।
 
अगले पन्ने पर तीसरा चमत्कारिक उपाय...
 

घर में रखें ये वस्तुएं : घर में ऐसी वस्तुएं रखें जो घर की ऊर्जा को सकारात्मक बनाती हों। मन को लुभाती हो और पारिवारिक एकता को कायम रखती है। घर में प्रत्येक वस्तु का उचित स्थान होता है। वस्तुएं भी आपके जीवन पर अच्छा या बुरा प्रभाव डालती हैं।
 
बहुत से लोगों के घरों में वस्तु के रूप में कामधेनु गाय, गाय-बछड़ा, नर्मदा शिवलिंग, श्‍वेतार्क गणपति, सिंघम लक्ष्मी शंख, नजर बट्टू, बत्तख या हंसों का जोड़ा, द्वारिका शिला, नागमणि, पारद शिवलिंग, हीरा शंख, गोमती चक्र, श्रीयंत्र, गौरोचन, मछलीघर, शिवलिंग, शालिग्राम, दक्षिणावर्ती शंख, मणि, नग, कौड़ी, समुद्री नमक, हल्दी की गांठ, रुद्राक्ष, हाथाजोड़ी, पारद शिवलिंग आदि सैकड़ों वस्तुएं हो सकती हैं, लेकिन घर में क्या और कहां कौन-सी वस्तु रखें इसके लिए ऊपर दी गई लिंक पर क्लिक करें।
 
अगले पन्ने पर चौथा चमत्कारिक उपाय...
 

वास्तुदोष दूर करें : घर का वास्तुदोष दूर करना जरूरी है अन्यथा मानसिक अशांति बनी रहेगी। जिस घर का दरवाजा आ‍ग्नेय कोण में हो, वहां सदा रोग और क्रोध का वास रहता है। 
 
 
उपाय : उचित घर वह है जिसकी दिशा ईशान, उत्तर, वायव्य या पश्‍चिम में हो। यदि ऐसा नहीं है तो प्रतिदिन सुबह और शाम कर्पूर जलाएं। घर के जिस हिस्से में वास्तुदोष हो वहां कर्पूर की एक डली रख दें। उस डली से सुगंध निकलती रहेगी और वह वहां का वातावरण बदल देगी। घर के सभी सदस्यों के सोने के स्थान उचित दिशा में रखें।
 
घर में मोर पंख रखें। इससे भी वास्तुदोष दूर होता है। माना जाता है कि घर के दक्षिण-पूर्वी कोने में मोर का पंख लगाने से भी घर में बरकत बढ़ती है। यदि मोर पंख को घर के उत्तर-पश्चिमी कोने में रखें तो जहरीले जानवरों का भय नहीं रहता है। अपनी जेब या डायरी में मोर पंख रखने पर राहु दोष से ‍मुक्ति मिलती है।
 
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पशु-पक्षियों को प्रतिदिन भोजन खिलाएं : घर में तैयार भोजन की प्रथम रोटी गाय व अंतिम रोटी कुत्ते को नित्य नियम से खिलाएं। इसके अलावा प्रतिदिन पक्षियों और चींटियों के लिए भोजन-पा‍नी की व्यवस्था करें। यह क्रम बंद न करें। 43वें दिन से आपके भाग्य के द्वार ‍खुलना शुरू हो जाएंगे।
 
पशु-पक्षियों को प्रतिदिन भोजन खिलाना सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। इसमें भी हिन्दू धर्म में गाय, कौए, कुत्ते, चींटी और सांप को अन्य पशु और पक्षियों की अपेक्षा अधिक महत्व दिया गया है। इस संबंध में विस्तार से जानने के लिए ऊपर दी गई लिंक पर क्लिक करें।
 
अगले पन्ने पर छठा चमत्कारिक उपाय...
 

नित्य हनुमान चालीसा का पाठ : मंदिर, दरगाह, बाबा, गुरु, देवी-देवता आदि सभी जगहों पर भटकने के बाद भी कोई शांति और सुख नहीं मिलता और संकटों का जरा भी समाधान नहीं होता है, साथ ही मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा हो तो सिर्फ हनुमान की भक्ति ही बचा सकती है। ऐसे व्यक्ति को हनुमानजी की शरण में आना ही पड़ता है, लेकिन जो पहले से ही उनकी शरण में हैं उन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता।
 
पितृ दोष होता है दूर : हनुमानजी सर्वशक्तिमान और एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनका नाम जपने से ही संकट शरीर और मन से दूर हटने शुरू हो जाते हैं। प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ने से राहु, शनि, केतु और पितृ आदि से सभी दोष मिट जाते हैं।
तीन महत्वपूर्ण लिंक:- 
 
शास्त्रों के अनुसार कलयुग में हनुमानजी की भक्ति को सबसे जरूरी, प्रथम और उत्तम बताया गया है, लेकिन अधिकतर जनता भटकी हुई है। ऐसे भटके हुए लोगों को राम ही बचाने वाले हैं। हनुमानजी की भक्ति सबसे सरल और जल्द ही फल प्रदान करने वाली मानी गई है। यह भक्ति जहां हमें भूत-प्रेत जैसी न दिखने वाली आपदाओं से बचाती है, वहीं यह ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव से भी बचाती है। जो व्यक्ति‍ प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ता है उसके साथ कभी भी घटना-दुर्घटना नहीं होती। श्रीराम के अनन्य भक्त श्रीहनुमान अपने भक्तों और धर्म के मार्ग पर चलने वाले लोगों की हर कदम पर मदद करते हैं, शर्त यह है कि 'और देवता चित्त न धरहीं।'
 
हनुमानजी को मनाने के लिए सबसे सरल उपाय है हनुमान चालीसा का नित्य पाठ। हनुमानजी की यह स्तुति का सबसे सरल और सुरीली है। तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा बहुत प्रभावकारी है। इसकी सभी चौपाइयां मंत्र ही हैं। जिनके निरंतर जप से ये सिद्ध हो जाती हैं और पवनपुत्र हनुमानजी की कृपा प्राप्त हो जाती है।
 
हनुमानजी को चढ़ाएं चोला : यदि आप मानसिक अशांति झेल रहे हैं, कार्य की अधिकता से मन अस्थिर बना हुआ है, घर-परिवार की कोई समस्या सता रही है तो ऐसे में इसके पाठ से चमत्कारिक फल प्राप्त होता है, इसमें कोई शंका या संदेह नहीं है। इसके अलावा 5 बार हनुमानजी को चोला चढ़ाएं, तो तुरंत ही संकटों से मुक्ति मिल जाएगी। इसके अलावा प्रति मंगलवार या शनिवार को बढ़ के पत्ते पर आटे का दीया जलाकर उसे हनुमानजी के मंदिर में रख आएं। ऐसा कम से कम 11 मंगलवार या शनिवार को करें।
 
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द्वार-देहरी पूजा : घर की वस्तुओं को वास्तु अनुसार रखकर प्रतिदिन घर को साफ और स्वच्छ कर प्रतिदिन देहरी पूजा करें। घर के बाहर देली (देहली या डेल) के आसपास स्वस्तिक बनाएं और कुमकुम-हल्दी डालकर उसकी दीपक से आरती उतारें। इसी के साथ ही प्रतिदिन सुबह और शाम को कर्पूर भी जलाएं और घर के वातावरण को सुगंधित बनाएं।
 
जो नित्य देहरी की पूजा करते हैं, देहरी के आसपास घी के दीपक लगाते हैं, उनके घर में स्थायी लक्ष्मी निवास करती है।
 
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पीपल की पूजा : पीपल को सिर्फ शनिवार को ही छूना चाहिए। शनिवार को पीपल के वृक्ष में काले तिल, कच्चा दूध, गंगा जल, शहद, गुड़ को स्टील या चांदी के बर्तन में डालकर अर्पित करें व सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें। बस यह कार्य प्रत्येक शनिवार को करते जाएंगे, तो धीरे-धीरे दुर्भाग्य दूर होता जाएगा।
 
पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें, फिर वापस घर आ जाएं और पीछे मुड़कर न देखें। इससे आपको धनलाभ के साथ ही हर बिगड़ा काम बन जाएगा। 
 
बरगद पूजा : अचानक धनप्राप्ति के लिए अपनी मनोकामना कहते हुए बरगद की जटा में गांठ लगा दें। जब धनलाभ हो जाए तो उसे खोल दें। लेकिन यह उपाय किसी जानकार से पूछकर ही करें। वृक्षों से किस तरह जीवन को बदला जा सकता है इसके लिए ऊपर दी गई लिंक पर क्लिक करें।
 
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नारियल का उतारा : पानीदार एक नारियल लें और उसे अपने ऊपर से 21 बार वारें। वारने के बाद उसे किसी देवस्थान पर जाकर अग्नि में जला दें। ऐसा परिवार के जिस सदस्य पर संकट हो उसके ऊपर से वारें। 
उक्त उपाय किसी मंगलवार या शनिवार को करना चाहिए। 5 शनिवार ऐसा करने से जीवन में अचानक आए कष्ट से छुटकारा मिलेगा। यदि किसी सदस्य की सेहत खराब है तो ऊसके लिए यह उपाय उत्तम है।
 
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जल अर्पण : एक तांबे के लोटे में जल लें और उसमें थोड़ा-सा लाल चंदन मिला दें। उस पात्र को अपने सिरहाने रखकर रात को सो जाएं। प्रात: उठकर सबसे पहले उस जल को तुलसी के पौधे में चढ़ा दें। ऐसा कुछ दिनों तक करें। धीरे-धीरे आपकी परेशानी दूर होती जाएगी।
 
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छाया दान करें : शनिवार को एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रुपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें या किसी शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रखकर आ जाएं।
 
यह उपाय आप कम से कम 5 शनिवार करेंगे तो आपकी शनि की पीड़ा शांत हो जाएगी और शनिदेव की कृपा शुरू हो जाएगी।
 
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केसर का तिलक : श्री महालक्ष्मी का ध्यान करके मस्तक पर शुद्ध केसर का तिलक लगाएं। धनलाभ के समाचार मिलेंगे। घर के बाहर शुद्ध केसर से स्वस्तिक का निर्माण करके उस पर पीले पुष्प और अक्षत चढ़ाएं। घर में लक्ष्मी का आगमन होगा।
 
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बेटी और पत्नी का सम्मान जरूरी : पत्नी और बेटी लक्ष्मी का रूप होती हैं, भूलकर भी इन्हें न दुत्कारें, न कोसें तथा न ही कोई अशुभ वचन कहें। पत्नी और बेटी के दुखी रखने से आप कभी सुखी नहीं रह सकते। एक बार यदि पत्नी रोती हुई अपने माता-पिता के घर चली गई तो याद रहे, इस पापकर्म से आपके घर की बरकत भी चली जाएगी और आप बर्बाद हो जाएंगे। धन, वस्त्र व मान देकर पत्नी को मनाएं।
 
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तिजोरी को हमेशा भरा-भरा रखें : नर व नारायण दक्षिणावर्ती शंख में बासमती चावल भरकर चांदी के सिक्के डालकर एक माला बांधकर तिजोरी में रखने से दरिद्रता का नाश होता है। धन व समृद्धि दोनों प्राप्त होते हैं। आप तिजोरी में पीली कौड़ी या हल्दी की गांठ भी रख सकते हैं। 
 
तांबे, चांदी और पीतल के 100 या 200 सिक्के इकट्ठे करके उनको एक पोटली में बांधकर तिजोरी में रखें। तिजोरी में इत्र की शीशी भी रखें या अष्टगंध भी रख सकते हैं जिससे तिजोरी जब भी खोलें तो सुगंध आए। यह अहसास आपके घर में बरकत बनाए रखेगा।
 
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ये ऋण चुकाने का सोचें : शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के 3 तरह के ऋण होते हैं:- 1. देव ऋण, 2. ऋषि ऋण और 3. पितृ ऋण। इन 3 ऋणों को उतारना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है। 
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यह जीवन और अगला जीवन सुधारना हो तो इन ऋणों के महत्व को समझना जरूरी है। मनुष्य पशुओं से इसलिए अलग है, क्योंकि उसके पास नैतिकता, धर्म और विज्ञान की समझ है। जो व्यक्ति इनको नहीं मानता, वह पशुवत है।
 
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भ्रम और भटकाव से बचने के लिए : बहुत से लोगों को यह नहीं मालूम रहता है कि हम ईश्वर की आराधना कैसे करें। आराधना का मार्ग चुनना जरूरी है। यह समझना भी जरूरी है कि देवता 33 करोड़ नहीं, मात्र 33 होते हैं। यह समझना भी जरूरी है कि ईश्‍वर की आराधना करें या देवी-देवता की। सभी बातें विस्तार से जानने के लिए ‍नीचे दी जा रही लिंक पर क्लिक करें..
 
 
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मानसिक तनाव से निजात के लिए : रविवार रात को सोते समय अपने सिरहाने की तरफ 325 ग्राम दूध रखकर सोएं। सोमवार सुबह उठकर सबसे पहले इस दूध को किसी कीकर या पीपल के पेड़ को अर्पित कर दें। यह उपाय 5 इतवार तक लगातार करें। मानसिक शांति मिलेगी।
 
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राहु, केतु और शनि की पीड़ा से बचने का आसान तरीका...
 
शनि के उपाय : सर्वप्रथम भैरवजी के मंदिर जाकर उनसे अपने पापों की क्षमा मांगें। जुआ, सट्टा, शराब, वेश्या से संपर्क, धर्म की बुराई, पिता-पूर्वजों का अपमान और ब्याज आदि कार्यों से दूर रहें। शरीर के सभी छिद्रों को प्रतिदिन अच्छे से साफ रखें। दांत, बाल और नाखूनों की सफाई रखें।
कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं। छायादान करें अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में रख आएं। अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। रात को सिरहाने पानी रखें और उसे सुबह कीकर, आंक या खजूर के वृक्ष पर चढ़ा आएं।
 
राहु के उपाय : सिर पर चोटी रख सकते हैं, लेकिन किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर। भोजन भोजन कक्ष में ही करें। ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें। रात को सिरहाने मूली रखें और उसे सुबह किसी मंदिर में दान कर दें। घर में कम से कम 250 ग्राम का ठोस चांदी का हाथी रखें।
 
केतु के उपाय : संतानें केतु हैं इसलिए संतानों से संबंध अच्छे रखें। भगवान गणेश की आराधना करें। दोरंगी कुत्ते को रोटी खिलाएं। कान छिदवाएं। कुत्ता भी पाल सकते हैं, लेकिन किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर।
 
अगले पन्ने पर उन्नीसवां चमत्कारिक उपाय... 
 

किसी भी ग्रह से आपके जीवन में प्रॉब्लम क्रिएट हो रही है, तो घबराने की आवश्यकता नहीं। सबसे पहले यह जानें कि कौन-सा ग्रह प्रॉब्लम क्रिएट कर रहा है। फिर उस ग्रह से संबंधित नीचे लिखे टोटके या उपाय करें।
1. सूर्य : भगवान विष्णु की उपासना करें। सूर्य को अर्घ्य दें। रविवार का व्रत रख सकते हैं। मुंह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से निकलें। बहते पानी में गुड़ प्रवाहित करें। पिता या पिता समान व्यक्ति का सम्मान करें।
 
2. चंद्र : दूध या पानी से भरा बर्तन रात को सिरहाने रखें और सुबह उसे बबूल के पेड़ में डाल दें। प्रतिदिन माता के पैर छूना और शिव की भक्ति करना जरूरी। सोमवार का व्रत रख सकते हैं। चावल, सफेद वस्त्र, शंख, वंशपात्र, सफेद चंदन, श्वेत पुष्प, चीनी, बैल, दही और मोती दान करना चाहिए।
 
3. नेक मंगल : शुभ हो तो मिठाई या मीठा भोजन दान करें। बताशे बहते पानी में प्रवाहित करें।
 
4. बद मंगल : अशुभ हो तो बहते पानी में तिल और गुड़ से बनी रेवड़ियां प्रवाहित करें। हनुमानजी की भक्ति करें। मंगल खराब की स्थिति में सफेद रंग का सूरमा आंखों में डालना चाहिए। क्रोध न करें। गुड़ खाना चाहिए। भाई और मित्रों से संबंध अच्छे रखना चाहिए।
 
5. बुध : सिक्के बराबर तांबे के पतरे में छेद करके उसे बहते पानी में प्रवाहित करें। दुर्गा की भक्ति करें। नाक छिदवाएं। बेटी, बहन, बुआ और साली से अच्छे संबंध रखें। बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएं। साबुत हरे मूंग का दान करें। वादों को निभाएं।
 
6. बृहस्पति : केसर को नाभि पर लगाएं। हल्दी की गांठ घर में रखें। सत्य ही बोलें। आचरण को शुद्ध रखें। पिता, दादा और गुरु का आदर करना न भूलें। गुरु बना सकते हैं। घर में धूप-दीप देते रहें।
 
7. शुक्र : लक्ष्मी की उपासना करें। सफेद वस्त्र दान करें। भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को दें। शुक्रवार का व्रत रखें। खटाई न खाएं। दो मोती लेकर एक पानी में बहा दें और एक जिंदगीभर अपने पास रखें। स्वयं को और घर को साफ-सुथरा रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें। नित्य नहाएं। शरीर को जरा भी गंदा न रखें। सुगंधित इत्र या सेंट का उपयोग करें। पवित्र बने रहें। जुवार या चने का चारा गाय को खिलाएं या किसी को दान करें। पत्नी का ध्यान रखें, उसका कभी भी अपमान न करें।
 
8. शनि : सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें। तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं। छायादान करें अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं। दांत साफ रखें। अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। काका और मामा के सम्मान का खयाल रखें और उनसे अच्छे संबंध बनाएं।
 
9. राहु : मूली के पत्ते निकालकर दान करें। मूली को रात को सिरहाने रखकर उसे सुबह मंदिर में दान करें। किचन में बैठकर ही भोजन करें। सरस्वती का ध्यान करें। ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें। सिर में चोटी रखें।
 
10. केतु : संतानें केतु हैं इसलिए संतानों से संबंध अच्छे रखें। भगवान, गणेश की आराधना करें। दोरंगी कुत्ते को रोटी खिलाएं। कान छिदवाएं। कुत्ता पाल सकते हैं।
 
*नोट करने योग्य :
1. सभी उपाय दिन के समय करें।
2. एक उपाय 40 या 43 दिन तक करना चाहिए।
3. एक दिन में केवल एक ही उपाय करें।
4. उक्त उपाय लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही करें।