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Written By DW
Last Modified: मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014 (12:53 IST)

सरकारें रोक सकती हैं मोटापा

सरकारें रोक सकती हैं मोटापा -
FILE
मोटापा दुनिया भर में लगातार बढ़ती समस्या है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसे रोकने के लिए सरकारों के आगे आने से ही बात बनेगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तमाम देशों की सरकारें फास्ट फूड बाजार पर सख्ती भरे खदम उठाएं तो लोगों के बढ़ते वजन को काबू में किया जा सकता है। इसकी मदद से बड़ी आबादी को डायबिटीज, हृदय रोग, कैंसर और कई दूसरी बीमारियों से बचाया जा सकेगा।

इस अध्ययन की अध्यक्षता करने वाले कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रॉबर्टो डी वेगली ने कहा, 'जब तक सरकारें अपनी अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कदम नहीं उठाएंगी, बाजार में मौजूद अप्रत्यक्ष हाथ दुनिया भर में मोटापा बढ़ाते रहेंगे। इससे भविष्य में लोगों की सेहत पर बुरी तरह प्रभावित होगी और देश की आर्थिक उत्पादकता पर भी असर पड़ेगा।'

क्या करे सरकार : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सरकारों से अपील की है कि वे मोटापे की रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाएं, न कि लोगों की सेहत और देश की अर्थव्यवस्था को दांव पर लगाए। संगठन ने कुछ सुझाव भी रखे हैं। इसमें स्वस्थ और ताजा खाना बेचने वालों को आर्थिक लाभ देने की बात कही गई है।

खूब प्रोसेस किया हुआ खाना और सॉफ्ट ड्रिंक्स बेचने वाली कंपनियों को इन लाभों से दूर रखा जाए और कीटनाशक और रसायन इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को रेट में किसी तरह की सब्सिडी न दी जाए। इसके अलावा उन्होंने सुझाव दिया कि फास्ट फूड कंपनियों के विज्ञापनों पर सख्त शर्तें लागू हों खासकर बच्चों के मामले में।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का सुझाव है कि सरकारों को उन कंपनियों को आर्थिक लाभ देना चाहिए जो स्वस्थ खाना बेच रही हैं।

रिसर्च का आधार : लोग जितनी बार फास्ट फूड खरीदते हैं, रिसर्चरों ने इसे 'फास्ट फूड ट्रांसैक्शन' नाम दिया। रिसर्चरों ने यह अध्ययन 1999 से 2008 के बीच 25 धनी देशों के आंकड़ों के आधार पर किया। उन्होंने फास्ट फूड ट्रांसैक्शन की तुलना बॉडी मास इंडेक्स से की। उन्होंने पाया कि जब प्रति व्यक्ति सालाना फास्ट फूड ट्रांसैक्शन में 26.61 से 32.76 की वृद्दि हुई तो बॉडी मास इंडेक्स भी 25.8 से बढ़ कर 26.4 हो गया।

बॉडी मास इंडेक्स अगर 25 से ज्यादा हो तो व्यक्ति ओवरवेट या सामान्य से ज्यादा वजन का माना जाता है। जबकि बॉडी मास इंडेक्स 30 होने पर व्यक्ति को ओबेसिटी यानि मोटापे की बामारी से ग्रस्त माना जाता है।

वेगली ने बताया कि ये आंकड़े धनी देशों से इकट्ठा किए गए थे और ये परिणाम विकासशील देशों पर भी लागू होते हैं। उन्होंने कहा, 'लगभग सभी बाजारों में ढील और वैश्वीकरण का असर है। खासकर पिछले तीन दशकों से।' सभी 25 देशों में प्रति व्यक्ति औसत फास्ट फूड ट्रांसैक्शन बढ़ा है। सबसे ज्यादा वृद्धि कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और न्यूजीलैंड में हुई है। जबकि कम वृद्दि उन देशों में हुई है, जहां बाजार में ज्यादा सख्त नियम हैं जैसे इटली, नीदरलैंड्स, ग्रीस और बेल्जियम।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्वास्थ्य एवं कल्याण विभाग के निदेशक फ्रांसिस्को ब्रांका ने कहा, परिणाम यह दिखाते हैं कि आम जनता के मोटापे में सरकारी नीतियों की कितनी अहम भूमिका है। उन्होंने कहा, 'खाद्य और पोषण पर आधारित नीतियों की कृषि, स्वास्थ्य, समाज कल्याण और शिक्षा समेत सभी क्षेत्रों में आवश्यक्ता है।'

- एसएफ/एएम (रॉयटर्स)