• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
Written By BBC Hindi
Last Modified: मंगलवार, 12 अगस्त 2014 (20:33 IST)

कितने पुरुष करते हैं बाल यौन शोषण?

कितने पुरुष करते हैं बाल यौन शोषण? -
BBC
कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरु पोप ने हाल ही में कहा था कि लगभग दो प्रतिशत कैथोलिक पादरी पीडोफाइल यानी बाल यौन शोषक हैं, लेकिन अगर पूरे समाज की बात करें, तो ये संख्या औसत से ज्यादा है या कम?

इस सवाल का जवाब ढूंढना मुश्किल है क्योंकि बाल यौन शोषण करने वालों की पहचान करना आसान नहीं है।

टोरंटो विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिक और यौन व्यवहार विशेषज्ञ डॉक्टर जेम्स कैंटर कहते हैं, 'बाल यौन शोषण बहुत रहस्यमयी क्षेत्र है और बहुत कम लोग ही इस बात को कबूल करेंगे, इसलिए एक विश्वसनीय अनुमान नहीं लगाया जा सकता।'

डॉक्टर माइकल सेटो ने इस तरह अनुमान लगाने की कोशिश की। साल 2008 में डॉक्टर सेटो ने एक किताब लिखी थी जिसमें उन्होंने आम आबादी में बाल यौन शोषण करने वालों की तादाद पांच प्रतिशत बताई थी।

ये आंकड़ा जर्मनी, नॉर्वे और फ़िनलैंड में सर्वेक्षणों पर आधारित था। इनमें पुरुषों से पूछा गया था कि क्या कभी उन्हें बच्चों के बारे में कामुक विचार आए हैं या फिर उन्होंने बच्चों के साथ यौन संबंध बनाए हैं।

लेकिन डॉक्टर सेटो का कहना है कि पांच प्रतिशत का आंकड़ा अधिकतम था और अध्ययनों का दायरा सीमित था।

अब अध्ययन के बेहतर तरीकों और ज्यादा जानकारी उपलब्ध होने के बाद डॉक्टर सेटो ने आम आबादी में बाल यौन शोषण करने वालों की मौजूदगी का आंकड़ा घटा कर एक प्रतिशत कर दिया है। हालांकि उन्होंने ये भी साफ़ किया कि ये अध्ययन पर आधारित अनुमान है।

अलग-अलग परिभाषा : हाल ही में पोप ने कहा था कि दो प्रतिशत कैथोलिक पादरी बाल यौन शोषण करते हैं। इस तरह के अनुमानों में दिक्कत ये है कि बाल यौन शोषण यानी 'पीडोफाइल' शब्द के अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग मायने होते हैं।

पीडोफाइल शब्द की क्लिनिकल या डॉक्टरी परिभाषा पर सहमति है। माइकल सेटो और उनके सहयोगी इस बात पर सहमत हैं कि पीडोफाइल व्यक्ति वो है जिसकी 11 या 12 साल से कम उम्र के बच्चों में यौन दिलचस्पी होती है।

इस परिभाषा के आधार पर आम आबादी में ऐसे लोगों की तादाद कुछ भी हो, लेकिन राजनेता, कलाकार या पादरी जैसे किसी बड़े समूह में कुछ बाल यौन शोषक का होना तय है।

तो दो बातें पूरे विश्वास के साथ कही जा सकती हैं। पहली ये कि चाहे कैथोलिक पादरी हों या आम आबादी, बाल यौन शोषण करने वालों की तादाद के आंकड़े पूरी तरह सही नहीं हैं, और दूसरा ये कि दोनों ही वर्गों में ये आंकड़े लगभग समान हैं।