• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. रोमांस
  3. प्रेम-गीत
  4. prem kavita

हिन्दी प्रेम कविता : वह घूम रही उपवन-उपवन...

हिन्दी प्रेम कविता : वह घूम रही उपवन-उपवन... - prem kavita
पुष्पों-सी नजाकत अधरों पर
नवनीत-सा कोमल उर थामे।
एक पाती प्रेम भरी लेकर
वह घूम रही उपवन-उपवन।


 
 
 
 
सुर्ख कपोलों पर स्याह लटें
धानी आंचल का कर स्पर्श।
छूने को नभ का केंद्र-पटल
वह घूम रही उपवन-उपवन।
 
मधुर रागिनी करतल ध्वनि पर
छेड़े अनकही अविरल सरगम।
सुधि बिसार, गर्दन उचकाए
वह घूम रही उपवन-उपवन।
 
भोर को निकली सांझ ढले तक
प्रियतम की अपलक बाट जोहती।
अतृप्त, अप्रसन्न और विक्षिप्त-सी
वह घूम रही उपवन-उपवन।
 
ना साज-सिंगार, ना इच्छा बाकी
रोम-रोम बसे मूरत यार की।
ले अभिलाषा उसके आवन की
वह घूम रही उपवन-उपवन।
 
ये भी पढ़ें
क्या आपको सफेद दाग है? जानें कारण और 7 घरेलू उपाय