(एक)
आंसू याद रख खुशियां भुला देते हैं,
मानसून आंखों में बसा लेते हैं लोग।
फूल की महक लेकर भुला देते हैं,
कांटों को दामन से लगा लेते हैं लोग।
बातों-बातों में मुर्दे गड़े उखाड़ लेते हैं,
जीवन को कब्रिस्तान बना लेते हैं लोग।
एक ही बात बार-बार दोहराते हैं,
कुछ किस्से क्यों नहीं भुला देते हैं लोग।
दर्द के गीत ही लिखते हैं, गुनगुनाते हैं,
दिल को गमों का जहान बना लेते हैं लोग।
(दो)
अपनी चिंगारी पर डाल दो पानी समय रहते,
वर्ना आग को अच्छी हवा देते हैं लोग।
ढूंढता है पहले बांटने से सगा अपना,
रेवड़ी अंधों के हाथ थमा देते हैं लोग।
मुर्गे की जान की कीमत क्या खबर किसको,
यहां सिर्फ स्वादों का पता देते हैं लोग।
समझते खुद को हैं शेर मगर,
जब-तब गधे को बाप बना लेते हैं लोग।