• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. पौराणिक कथाएं
  4. draupadi cheer haran story
Written By

जब द्रोपदी की लाज बचाने आए भगवान श्रीकृष्ण

जब द्रोपदी की लाज बचाने आए भगवान श्रीकृष्ण - draupadi cheer haran story
द्रोपदी महाराज द्रुपद की अयोनिजा कन्या थीं। उनका शरीर कृष्ण वर्ण के कमल के जैसा कोमल और सुंदर था, अतः इन्हें कृष्णा भी कहा जाता था। इनका रूप और लावण्य अनुपम व अद्वितीय था।
इनके जन्म के समय आकाशवाणी हुई थी 'देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए एवं उन्मत क्षत्रियों के संहार के लिए ही इस रमणी रत्न का जन्म हुआ है। इसके द्वारा कौरवों को बड़ा भय होगा।' 
 
स्वयंवर में अर्जुन के द्वारा लक्ष्य भेद करने पर द्रोपदी पांडवों को प्राप्त हुई। कई दैवी कारणों से द्रोपदी पांचों पांडवों की पत्नी हुई। यह पांचों पांडवों को अपने शील, स्वभाव और प्रेममय व्यवहार से प्रसन्न रखती थीं।
 
जब कपट के द्यूत में महाराज युधिष्ठिर अपने राजपाट, धन-वैभव तथा स्वयं के साथ द्रोपदी तक को हार गए, तब दुःशासन दुर्योधन के आदेश से द्रोपदी को एक वस्त्रावस्था में खींचकर भरी सभा में ले आया। सभा में रोते-रोते द्रोपदी ने सभासदों से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना की। दुष्ट दुःशासन उन्हें भरी सभा में निर्वस्त्र करना चाहता था। 
 
भीष्म, द्रोण ने अपनी आंखें मूंद लीं, विदुर सभा से उठकर चले गए। जब द्रोपदी चारों ओर से निराश हो गई तब उन्होंने आर्तस्वर में भगवान श्रीकृष्ण को पुकारा, 'हे कृष्ण, हे गोविंद! क्या तुम नहीं जानते कि मैं कौरवों के द्वारा अपमानित हो रही हूं। कौरवरूपी समुद्र में डूबती हुई मुझ अबला का उद्धार करो। कौरवों के बीच विपन्नावस्था को प्राप्त मुझ शरणागत की रक्षा करो।' 
 
भक्त के लिए भगवान को वस्त्रावतार लेना पड़ा और और दस हजार हाथियों के बलवाला दुःशासन साड़ी खींचते-खींचते थक गया, किंतु साड़ी का अंत नहीं मिला और द्रोपदी की लाज बच गई। 
 
जिसके रक्षक नंदनंदन भगवान श्यामसुंदर हों, उसका भला कोई क्या बिगाड़ सकता है।